हम सबकी प्यारी, क्रिकेट एडमिन की दुलारी BCCI ने हाल ही में एक मीटिंग की. इस मीटिंग में हाल के दिनों में भारतीय क्रिकेट टीम की कुटाई-पिटाई पर फ़ीडबैक लिया गया. आम कॉर्पोरेट्स की तरह, BCCI भी अपने कर्मचारियों की कामचोरी से परेशान है. ये अलग बात है कि इन्होंने इतना परेशान होने के लिए किसी खास महीने का इंतजार नहीं किया. अप्रेज़ल से पहले ही तमाम प्रपोज़ल दे मारे.
नरक का द्वार 'बंद', अब ब्रह्मांड विजयी बनेगी इंडियन क्रिकेट टीम
भारतीय क्रिकेटर्स की पत्नियां, गर्लफ़्रेंड्स और परिवार अब विदेशी दौरों पर बहुत दिनों तक इनके साथ नहीं रह पाएंगी. BCCI ने भारतीय टीम के हालिया बुरे हाल का जिम्मेदार इन्हीं को माना है. और अब टीम इंडिया अश्वमेध यज्ञ के लिए तैयार है.

इन प्रपोज़ल्स में कई चीजों को कवर किया गया. जैसे, अब आप विदेश यात्रा पर जाते हुए अपने लगेज़ में ईंट-पत्थर रखकर नहीं ले जा सकते. और अगर ले जा रहे हैं, तो इनका कुल वजन एक पल्सर से बस दो किलो ज्यादा हो सकता है. जान लीजिए कि पल्सर 148 किलो की होती है. बुरा खेलेंगे तो आपके पैसे कटेंगे, हालांकि इसमें ये नहीं बताया गया कि पूरी टीम बुरा खेली तो सबके पैसे कटेंगे, या फिर उन बुरे लोगों में से ज्यादा बुरे लोगों को छांटा जाएगा.
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ख़ैर, आगे बढ़ते हैं. इसी मीटिंग में एक और चीज तय हुई. बताया गया कि अब प्लेयर्स की पत्नियां, महिला मित्र और परिवार विदेशी दौरों पर एक तय वक्त तक ही रह सकते हैं. अगर दौरा डेढ़ महीने का है, तो ये अवधि दो हफ़्ते होगी. इससे कम वक्त के दौरे में इसे घटाकर हफ़्ते भर का कर दिया जाएगा. ये फैसला कितना महत्वपूर्ण है, वो आप इससे समझ सकते हैं कि ये पत्नियां ही हैं जो रोहित-विराट जैसे दिग्गजों का खेल खराब कर रही थीं.
अगर आपने मैच देखे हों, तो साफ पता चला होगा कि कैसे ऑफ़ स्टंप से बाहर जाती गेंदें देखते ही अनुष्का फूंक मारकर विराट का बल्ला भिड़ा देती थीं. रितिका ने पूरी दुनिया के सामने रोहित को टेलेंडर्स के आगे भी अटैकिंग फ़ील्डिंग नहीं लगाने दी. ये अलग बात है कि जसप्रीत बुमराह की पत्नी उनका ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाईं. लेकिन बाक़ी क्रिकेटर्स का खेल तो पत्नियों ने ही बिगाड़ा. यशस्वी और नितीश रेड्डी जैसे यंगस्टर्स को देखिए, सिंगल हैं. सुखी हैं. रन भी बनाते हैं.
शादीशुदा या किसी महिला के साथ रिश्ते में पड़े लोग तो लगातार डुबो रहे हैं. और हमारे तो पुरखे भी पुरुषों को महिलाओं से बचने की ताकीद दे गए हैं. आदि शंकराचार्य, असली वाले से जुड़ी एक किताब है-‘प्रश्नोत्तरी श्री आदि शंकराचार्य रचित'. इस किताब में बहुत सारे सवाल हैं. शंकराचार्य जी ने इन सवालों के जवाब दिए हुए हैं. इन्हीं सवालों में एक कुछ इस तरह है,
'द्वारं किमेकं नरकस्य?'
अर्थात, नरक का द्वार क्या है? जवाब आता है.
'नारी'
आंग्लभाषा में भी एक कहावत है,
'Take a leaf out of someone's book.'
इसका अर्थ होता है किसी और के द्वारा किए हुए काम को कॉपी करना. और आखिरकार, BCCI ने आदि शंकराचार्य जी की प्रश्नोत्तरी से एक पत्ता उठा ही लिया है. महिला रूपी नरक के द्वार को टीम इंडिया से दूर करने का फैसला कर लिया गया है. अब बस शादीशुदा लोगों को टीम में सेलेक्ट करना बंद कर दिया जाए, तो शायद भारतीय टीम ब्रह्मांड चैंपियन बन जाए. क्योंकि दुनिया तो ये लोग एक से ज्यादा बार जीत ही चुके हैं.
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