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Arshad Nadeem Story दस साल एक जैवलिन से प्रैक्टिस, टूटा तो मांगी मदद की 'भीख'... अब बने ओलंपिक्स चैंपियन!

Arshad Nadeem का नाम अमर हो गया है. वह पाकिस्तान के लिए पर्सनल गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले एथलीट बन गए हैं. अरशद ने भारत के नीरज चोपड़ा को पीछे छोड़ ये मुकाम हासिल किया.

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अरशद नदीम ने कमाल कर दिया (AP)

Arshad Nadeem. पाकिस्तानी जैवलिन थ्रोअर ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने ना सिर्फ़ ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीता, बल्कि एक नया ओलंपिक्स रिकॉर्ड भी बना दिया. अरशद ने Paris 2024 Olympics में दो बार ये रिकॉर्ड बनाया. अरशद ने 92.97 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता. पिछला रिकॉर्ड नॉर्वे के आंद्रियास थॉरकिलसन के नाम था. इन्होंने 2008 के बीजिंग ओलंपिक्स के दौरान 90.57 मीटर्स तक भाला फेंका था.

अरशद ने अपने आखिरी प्रयास में 91.79 मीटर तक भाला फेंका. यानी ये रिकॉर्ड एक बार और टूटा. अरशद का पिछला बेस्ट 90.18 मीटर्स का था. इन्होंने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान ये थ्रो करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. 2 जनवरी 1997 को लाहौर से बहुत दूर मियां चन्नू नाम के कस्बे में इनका जन्म हुआ था. अरशद आठ भाई-बहनों में तीसरे नंबर के हैं. कई जगह इनके भाई-बहनों की संख्या सात भी बताई गई है. परिवार में पिताजी अकेले कमाने वाले थे. किसी तरह से घर के खर्चे चलते थे. अरशद को शुरू में क्रिकेट में इंट्रेस्ट था. लेकिन परिवार वाले नहीं माने.

अरशद ने जब पहली बार जैवलिन उठाया, तब भी पैसों की समस्या थी. इकॉनमिक टाइम्स के मुताबिक इनके पिता ने इस बारे में कहा था,

'लोगों को नहीं पता कि अरशद यहां तक कैसे पहुंचे हैं. कैसे उनके गांव वालों और रिश्तेदारों ने पैसे दिए, जिससे शुरुआत में वह ट्रेनिंग और इवेंट्स के लिए अलग-अलग शहरों में जा पाएं.'

इस गुरबत से निकल अरशद कुछ वक्त बाद इंटरनेशनल लेवल पर रेगुलर हो गए. लेकिन समस्याएं अब भी जारी थीं. पैसों की तंगी पीछा नहीं छोड़ रही थी. इसी साल के शुरुआत की बात है. अरशद का पुराना जैवलिन टूट गया. वह साल 2015 से इसी से प्रैक्टिस करते आए थे. लेकिन अब ये टूट चुका था. और उनके पास नए जैवलिन के पैसे नहीं थे.

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अरशद ने ओलंपिक्स से पहले पाकिस्तान की फ़ेडरेशन से इस मामले में मदद मांगी. उनकी ये मांग नीरज चोपड़ा तक भी आई थी. नीरज ने इस मामले में उनके लिए आवाज़ भी उठाई. मार्च के महीने में रिपोर्ट आई थी कि अरशद सात-आठ साल से एक ही जैवलिन का इस्तेमाल कर रहे थे. और अब उसका हाल बुरा था. टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक अरशद ने कहा था,

'अब इसका ऐसा हाल है कि ये डैमेज़ हो चुका है और मैंने नेशनल फ़ेडरेशन और अपने कोच से कहा है कि पेरिस ओलंपिक्स से पहले इस दिशा में कुछ करें. जब मैंने 2015 में इंटरनेशनल इवेंट्स में भाग लेना शुरू किया था. तब मुझे ये जैवलिन मिला था. ओलंपिक गेम्स में मेडल की उम्मीद रखने वाले किसी भी इंटरनेशनल एथलीट के पास बेहतर साजो-सामान और ट्रेनिंग फ़ैसिलिटीज़ का होना बहुत जरूरी है.'

इन समस्याओं के साथ अरशद अपनी फ़िटनेस से भी परेशान थे. उन्हें लगातार चोटें लगी. फरवरी में ही उन्होंने एल्बो सर्जरी भी कराई थी. लेकिन अब ये सब पीछे छूट चुका है. अरशद पाकिस्तान के लिए व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले एथलीट बन चुके हैं. साथ ही उन्होंने साल 1992 के बाद पाकिस्तान को पहला ओलंपिक्स मेडल भी दिला दिया है. और अभी की बात करें तो पाकिस्तान वाले ओलंपिक्स मेडल टैली में भारत से ऊपर भी हैं.

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