
ये हैं इंस्पेक्टर रुद्र श्रीवास्तव. जिनकी लाइफ ट्रेजडियों से पटी पड़ी हैं.
इस बार भी कहानी, ईमानदार पुलिस ऑफिसर रुद्र श्रीवास्तव की है. वही रुद्र, जो पिछले सीज़न, अपनी ईमानदारी के चक्कर में कई लफड़ों में पड़ा. मगर इस बार मुसीबत का कारण उसकी बीवी रंजना बनती है. रूद्र की शादीशुदा ज़िंदगी में वैसे भी कुछ ठीक नहीं हो रहा होता. उधर उसके ऑफिस वाले रुद्र को रॉ का एजेंट बनाकर सर्बिया भेज देते हैं. एक खूफिया मिशन पर. रॉ की नाक में दम कर रहे क्रिमिनल बिक्रम बहादुर शाह यानी बीबीएस को किडनैप करने के मिशन पर. अब रुद्र वहां कैसे पहुंचता है, बीबीएस को कैसे मारता है, क्या-क्या ट्विस्ट एंड टर्न होते हैं इसके लिए आपको देखनी होगी अपहरण-2.
#कितने दमदार निकले कलाकार?
शुरू से शुरू करें तो सबसे पहले बात एक्टिंग की. इस सीज़न में भी रुद्र की वाइफ रंजना यानी निधी सिंह सारा अटेंशन ले गईं. हालांकि इस बार उन्हें स्क्रीन टाइम कम मिला. लेकिन जितना मिला, उसमें उन्होंने जी-जान लगा दी. नशे में धुत्त होकर गाना गाने का सीन हो, या रुद्र की सच्चाई जानकर भय वाला दृश्य. निधि की स्क्रीन टाइमिंग बढ़िया है.

ये हैं रुद्र श्रीवास्तव की पत्नी रंजना. जिन्हें लगता है कि लता मंगेशकर को उन्होंने गाना सिखाया है.
रॉ ऑफिसर भंडारी बने एक्टर उज्ज्वल चोपड़ा का काम बस काम चलाऊ ही है. उनके कैरेक्टर की जो डिमांड इस सीरीज़ में थी, वो पावर स्क्रीन पर जनरेट नहीं कर पाए. कहीं-कहीं तो वो बिल्कुल ढीले से पड़ते दिखते हैं. दूबे और गिल्लौरी यानी सानन्द वर्मा और स्नेहिल दीक्षित मेहरा ने अपने रोल्स में अच्छा काम किया है. इंटेंस सीन और खून-खराबे के बीच कॉमेडी को बैलेंस करने के लिए दोनों का रोल ज़रूरी है. स्नेहिल दीक्षित उभरती हुई यू-ट्यूबर हैं. जिन्हें आप स्क्रीन पर और देखना चाहते हैं. मगर अफसोस ऐसा नहीं होता. लास्ट एपिसोड में एक्टर जितेन्द्र का छोटा सा रोल अहम भी है और दमदार भी.

सीरीज़ का ट्रेलर अगर आपने देखा होगा तो उसमें स्नेहिल दीक्षित एक लाइन कहती हैं, 'ए जी ई गाली दे रहे हैं.'बस पूरी सीरीज़ में इनसे सिर्फ गालियों को लेकर ही चर्चा होती है. इन्हें बस फिलर के जैसे दिखाया गया है. जबकि आप इससे कुछ ज़्यादा की उम्मीद रखते हैं.
पूरे सीरीज़ के सूत्रधार यानी इंस्पेक्टर रुद्र का कैरेक्टर निभाने वाले अरुणोदय ने इस सीज़न मेहनत तो की है. पिछले सीज़न का मेन प्रोटैगनिस्ट अपने ही किरदार में उलझा हुआ था. मगर इस बार अरुणोदय ने ग्रे शेड को पर्दे पर बखूबी उतारा है. मगर उनकी एक्टिंग दमदार होने के बावजूद सीरीज़ बहुत प्रेडिक्टबल लगती है. कई सीन्स देखकर ये फील होता है.

सीरीज़ देखते हुए कई बार आप ऐसा बोलने वाले हैं.
#सबसे कमज़ोर कड़ी साबित होती है राइटिंग
इसमें पूरी तरह एक्टर्स की गलती नहीं. बड़ा हाथ स्टोरी लिखने वाले राइटर सिद्धार्थ सेनगुप्ता और उनकी टीम का भी है. सिद्धार्थ बालिका वधू के डायरेक्टर रह चुके हैं और पिछले साल ही इनकी लिखी सीरीज़ अनदेखी भी आई थी. जो एक क्राइम सीरीज़ थी. नेटफ्लिक्स पर आई ये काली-काली आंखें के डायरेक्टर भी रह चुके हैं. ऐसा लगता है कि अपहरण 2 को लिखने की उन्हें बहुत जल्दी थी इसलिए बस किसी भी तरह टीप-टाप के काम खत्म कर दिया. क्योंकि इस सीरीज़ में राइटिंग बहुत कमज़ोर कड़ी साबित होती है. स्टोरीटेलिंग भी आपको बांधे नहीं रख पाती.