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कौन हैं राही सरनोबत, जिन्होंने एशियन गेम्स में शूटिंग में गोल्ड मेडल जीता है

राही एशियन गेम्स में शूटिंग में सोना जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं.

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जीत के बाद तिरंगे के साथ राही सरनोबत

साल था 2006. शूटर तेजस्विनी सावंत जब मेलबर्न में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में दो स्वर्ण पदक जीतकर वापस आईं, तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर में लोगों ने उन्हें अपने सर-आंखों पर बिठा लिया. अपने शहर में उनका इतना भव्य स्वागत हुआ कि बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर तेजस्विनी का नाम चढ़ गया. कोल्हापुर के उन्हीं बच्चों में आठवीं में पढ़ने वाली एक लड़की भी थी. तेजस्विनी को देखकर उस लड़की की आंखों में भी एक सपना तैर गया. सपना, तेजस्विनी की तरह देश के लिए निशानेबाजी में सोना जीतना.

दो साल बीते. साल आया 2008. अब उस बच्ची के सपने का गर्भ से बाहर आने का वक़्त था. लड़की दसवीं में पहुंची. बोर्ड के एग्ज़ाम में फेल होने का डर सता रहा था, लेकिन जैसे-तैसे करके शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी. और ये बात उसने अभी अपने बापू को नहीं बताई थी. उसे डर था कि कहीं पिताजी गुस्सा न हो जाएं. दसवीं का रिजल्ट आया, बाधा पार हुई. उसके बाद बच्ची ने हिम्मत करके पिताजी को शूटिंग के बारे में बताया.

पिता चाहते थे कि बेटी साइंस पढ़े, लेकिन पिता को बेटी के सपने के आगे झुकना पड़ा. पापा की हां मिली, तो कोल्हापुर के संभाजी राजे शूटिंग सेंटर में बेटी के सोना जीतने की तैयारी शुरू हो गई. इस बेटी का नाम था राही सरनोबत.


निशाना लगाती राही सरनोबत(फोटो-ट्विटर)
निशाना लगाती राही सरनोबत (फोटो-ट्विटर).

कट टू 2019

इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियन गेम्स में महिला वर्ग में 25 मीटर पिस्टल शूटिंग का इवेंट शुरू हुआ. इस इवेंट में भारत की दो खिलाड़ी थीं. पहली राही सरनोबत और दूसरी मनु भाकर. इवेंट के क्वॉलिफाइंग राउंड में मनु भाकर राही सरनोबत से आगे थीं, लेकिन फाइनल में राही का तजुर्बा काम आया और राही ने सभी को पछाड़कर देश की झोली में सोना डाला. इसी के साथ वो एशियन गेम्स में निशानेबाजी में सोना जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं.


इससे पहले राही ने कहां पदक झटके हैं

राही ने पहला मेडल साल 2008 में हुए यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता था. वहां से शुरू हुआ उनकी जीत का सिलसिला एशियन गेम्स में भी जारी है. साल 2010 में उन्होंने दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड जीते थे. 2014 में हुए एशियन गेम्स में राही के हाथ ब्रॉन्ज मेडल लगा. अगले साल 2015 में चैंगवोन में हुए ISSF वर्ल्ड कप में उन्होंने प्रदर्शन सुधारा और 25 मीटर पिस्टल इवेंट में सोने पर निशाना लगाया.


रोजमर्रा की जिंदगी से राही की एक तस्वीर (फोटो-फेसबुक)
रोजमर्रा की जिंदगी से राही की एक तस्वीर (फोटो-फेसबुक).

चोट के कारण ओलंपिक से रहीं बाहर

साल 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक गेम्स में राही भारत की सबसे कम उम्र की निशानेबाज थीं. कम तजुर्बे के चलते सफलता उनके हाथ नहीं लगी. 2016 के रियो ओलंपिक में भी राही की किस्मत में मेडल पहनना नहीं लिखा था, क्योंकि 2015 के आखिर में उनकी कोहनी में चोट लग गई थी. चोट के बावजूद राही ने रियो ओलंपिक में क्वॉलिफाई करने की ठानी, लेकिन इससे उनकी कोहनी की हालत पहले से ज्यादा ख़राब हो गई. नतीजा ये हुआ ये कि उन्हें पूरे साल पिस्टल से दूर रहना पड़ा. कोहनी दुरुस्त होने के बाद उन्होंने 2018 में भी दो वर्ल्ड कप खेले, लेकिन इसमें जीत उनके हाथ नहीं लगी.

एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने राही को 50 लाख रुपए का इनाम देने की बात कही है. सोनाधारी राही पुणे में डिप्टी कलेक्टर हैं. इस बार भी लोग उनके स्वागत के लिए पलकें बिछाए बैठे हैं, लेकिन अभी उन्हें थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा. क्योंकि राही अभी वतन वापसी नहीं कर रही हैं. इंडोनेशिया के बाद वो एक और इवेंट में हिस्सा लेने साउथ कोरिया जाएंगी.



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