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अफगानिस्तान के कप्तान ने महिला क्रिकेटर्स के हक में उठाई आवाज, तालिबान को बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा

Afghanistan Women Cricket: जब शाहिद से पूछा गया कि क्या अफगानिस्तान महिला टीम को खेलने की इजाज़त दी जानी चाहिए, तो उन्होंने कहा, “हां, हर कोई, हर किसी को खेलते देखना पसंद करता है.” उन्होंने ये भी कहा कि जब राजनीति से जुड़ी चीज़ों की बात आती है तो वो उनके कंट्रोल में नहीं है.

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एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अफगानिस्तानी क्रिकेटर हशमतुल्लाह शाहिदी. (फोटो- पीटीआई)

अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान हशमतुल्लाह शाहिदी (Hashmatullah Shahidi) ने अफगानिस्तान की महिलाओं के क्रिकेट (Afghanistan Women Cricket) नहीं खेलने पर चिंता जताई है. उन्होंने अफगान महिलाओं के क्रिकेट खेलने का समर्थन किया है. हालांकि, शहीदी ये भी कहा कि ये उनके कंट्रोल से बाहर है. तालिबान साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ था. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान की महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए. इन प्रतिबंधों को लेकर मानवाधिकार संगठन लगातार सवाल उठाते रहे हैं.

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जब शाहिद से पूछा गया कि क्या अफगानिस्तान महिला टीम को खेलने की इजाज़त दी जानी चाहिए, तो उन्होंने कहा, “हां, हर कोई सभी को खेलते देखना पसंद करता है.” शाहिदी ने 25 फरवरी को कहा, 

जब राजनीति से जुड़ी चीज़ों की बात आती है तो वो हमारे कंट्रोल में नहीं है. जिस चीज़ पर हमारा कंट्रोल है, वो है क्रिकेट. हम सिर्फ क्रिकेटर हैं. हम सिर्फ ग्राउंड में चीज़ों को कंट्रोल कर सकते हैं. हम सिर्फ मैदान ही डिज़र्व करते हैं. 

तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज़ होने के बाद वहां की कई महिला क्रिकेटर ऑस्ट्रेलिया चली गईं. शाहिदी के अलावा कई और अफगान क्रिकेटर अपने देश में महिलाओं की स्थिति पर चिंता जता चुके हैं. इनमें राशिद खान और मोहम्मद नबी का नाम भी शामिल है. उन्होंने पिछले साल के अंत में महिलाओं को डॉक्टर के रूप में ट्रेनिंग देने पर बैन लगाने पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी. 

अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति के विरोध में बीते दिनों कुछ ब्रिटिश सांसदों ने इंग्लैंड की टीम से अफगानिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी के मैच का बायकॉट करने को था. इसे लेकर जब शहीदी से पूछा गया कि क्या इससे उनकी टीम की परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, “हमारी टीम हमेशा कड़ी मेहनत करना पसंद करती है. इससे हमारे कॉन्फिडेंस पर कोई असर नहीं पड़ सकता.”

दूसरी तरफ, इंग्लैंड के कप्तान जॉस बटलर ने भी कहा था कि उनकी टीम अफगानिस्तान में महिलाओं की हालत से “बहुत दुखी” है. लेकिन उन्होंने तालिबान के शासन वाली अफगानिस्तान की टीम के साथ खेलने का फैसला किया है. उनका मानना है कि स्पोर्ट्स मुश्किल समय में उम्मीद जगाता है. 

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