साल 2011 का वनडे वर्ल्ड कप. साल 2024 का पेरिस ओलंपिक्स हॉकी का ब्रॉन्ज़ मेडल. ग्रैंडमास्टर दोम्माराजु गुकेश का वर्ल्ड चैंपियन बनना. भारतीय खेलों के इतिहास के तीन बड़े पल. और इन तीनों में एक व्यक्ति कॉमन है. कॉमन यानी ये व्यक्ति इन तीनों जीतों में शरीक रहा है. बल्कि यूं भी कह सकते हैं, कि ये ना होता तो शायद हम ये तीनों मोमेंट्स के मजे ना ले पाते. नाम पैडी अप्टन.
धोनी, इंडियन हॉकी टीम और गुकेश... चैंपियंस का ये विदेशी कनेक्शन पता चला?
डी गुकेश वर्ल्ड चैंपियन बन गए हैं. महेंद्र सिंह धोनी की टीम 2011 में बनी थी. जबकि भारतीय हॉकी टीम ने 2024 पेरिस ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता. इन तीनों सफलताओं का एक विदेशी कनेक्शन भी है- पैडी अप्टन.
साल 2011 में जब भारतीय टीम धोनी की कप्तानी में वर्ल्ड चैंपियन बनी. तो पैडी टीम के साथ थे. इनका नाम गूगल करेंगे तो लिखकर आता है- साउथ अफ़्रीकन क्रिकेट कोच. यानी क्रिकेट तो इनकी स्पेशलिटी में शामिल ही था. लेकिन इसके साथ ही पैडी मेंटल कंडिशनिंग कोच भी हैं. यानी लोगों को बड़ी चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार करते हैं.
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और इसी तैयारी के साथ इन्होंने भारतीय हॉकी टीम को पेरिस ओलंपिक्स का ब्रॉन्ज़ मेडल जिताया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पैडी बीते तीन हफ़्तों से लगातार चेस के खेल को फ़ॉलो कर रहे थे. ऐसा क्यों? क्योंकि पैडी इस वक्त साथ थे भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश के. गुकेश के साथ काम कर, पैडी ने उन्हें सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बना दिया.
गुकेश ने वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए चाइना के डिंग लिरेन को मात दी. हालांकि, यहां गुकेश की यात्रा आसान नहीं रही. पहले ही गेम में उन्हें हार मिली. और जैसा कि तमाम चैंपियंस पहले भी बोल चुके हैं, वर्ल्ड चैंपियन बनने की राह आसान नहीं होती. यहां भी मुश्किलें आईं. लेकिन पैडी गुकेश को इन मुश्किलों से निकलने के रास्ते बताते ही रहे.
हालांकि, वह अभी भी इस सफलता का क्रेडिट लेने में हिचक रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा,
'टूर्नामेंट के दौरान इन्होंने जिस तरह से खुद को मैनेज किया, उस पर मुझे बहुत गर्व है. 18 साल का लड़का, अपनी पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप में, उन्होंने खुद को बहुत मैच्यॉर तरीके से मैनेज किया. हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि वह हर मूव को परफ़ेक्ट तरीके से अंजाम देंगे. या हर गेम, 14 गेम्स वाले पूरे टूर्नामेंट को परफ़ेक्ट तरीके से पूरा करेंगे. ऐसा करना संभव नहीं है. कुछ गेम तो खराब होने ही थे, कुछ गेम ऐवरेज़ भी जाते और कुछ गेम्स कमाल के होते.'
वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद गुकेश ने पैडी के बारे में कहा,
‘पैडी यहां मौजूद हैं, इसलिए मैं उनका ज़िक्र करना चाहूंगा. इस चैंपियनशिप की तैयारी में बीते छह महीनों में वह बहुत बड़ा सपोर्ट रहे हैं. वह मेरी चेस टीम का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वह इस यात्रा में बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं.’
पैडी ने बीते कई महीनों से गुकेश के साथ काम किया. और उन्हें वर्ल्ड चैंपियन बनाकर ही दम लिया. गुकेश ने वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले हुए कैंडिडेट टूर्नामेंट को भी अपने नाम किया था. गुकेश ने इस टूर्नामेंट में दुनियाभर के दिग्गज चेस प्लेयर्स को मात दी थी. सिर्फ़ 18 साल की उम्र में चैंपियन बने गुकेश से पहले दुनिया के सबसे युवा चेस चैंपियन रूस के लेजेंड गैरी कास्परोव थे. उन्होंने 22 साल की उम्र में ये कारनामा किया था.
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