हमारे न्यूजरूम में एक सज्जन हैं. जिनका प्यार का नाम सूर्या है. लेकिन इनका नाम छोड़िए, इनका परिचय इसलिए दिया जा रहा है कि इनके दो प्यारे डॉग्स हैं- लाली और नानी, जो इनके लिए ‘बेटे’ ही हैं. अब एक रोज सूर्या के मन में सवाल आया कि कभी तो ये बड़े जानवरों से भिड़ने को घूमते हैं. पर कभी मामूली सी चीजों से इतना डर जाते हैं कि पूछो मत! तो हमने सोचा डॉग्स में डर की वजहों को समझने की कोशिश की जाए.
कभी सबसे भिड़ने को तैयार तो कभी हल्की सी आवाज से डर जाता है आपका डॉग, ऐसा क्यों होता है?
Pet care: कुछ डॉग्स 'Hand shy' होते हैं. यानी से छूने पर शर्माते हैं. इसलिए यह ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है कि कभी जो व्यवहार डर जैसा लग रहा हो, वो दर्द का संकेत भी हो सकता है.
पहले तो उन डॉग्स की बात करते हैं, जिन्हें हर नई चीज से डर लगता है. कई बार पेट्स नई चीजों या लोगों को देखने के बाद, कॉन्फिडेंस, मिलनसार होने की बजाय डर से दुम छुपाकर बैठ जाते हैं. कई बार नई परिस्थितियों से भी एडजेस्ट नहीं कर पाते, आइए समझते हैं कि इसके पीछे क्या वजहें बताई जाती हैं.
petmd के मुताबिक, जंगलों में डर की भी भूमिका है. ये जीवों को खतरों से दूर रख, सर्वाइवल में मदद करता है. लेकिन अगर आपका पालतू हमेशा ही डरा या अजीब सा व्यवहार करता है, तो ये उसके लिए तनावपूर्ण भी हो सकता है.
दरअसल, किसी डॉग के जीवन में उसका व्यवहार मेनली दो चीजों से तय होता है. नेचर और नर्चर. यानी उसकी प्रकृति कैसी है और उसका पालन कैसे किया गया. एक-एक करके समझते हैं-
कम मेलजोलबताया जाता है कि पपी (Puppy) के शुरुआती दिनों में अगर उसे सकारात्मक व्यवहार ना मिले. मसलन इंसान, जानवर या खराब वातावरण की वजह से वह स्ट्रेस में रहे तो यह भी डॉग्स में डर की एक वजह हो सकती है.
दरअसल, 8-16 महीनों के बीच का समय पपीज़ के विकास में अहम होता है. इस दौरान इन्हें खूब प्यार और सकारात्मक व्यवहार और लोगों से सही मेलजोल की जरूरत होती है.
वहीं अगर ऐसा ना हो सके तो ये नई चीजों को लेकर संशय में रह सकते हैं. और घबरा सकते हैं. इसकी वजह से वो उन चीजों से भी डर सकते हैं, जिन्हें हम आमतौर पर डरने के साथ जोड़कर नहीं देखते. जैसे कि लंबी टोपी पहने कोई शख्स, या कोई हाथ गाड़ी या फिर कोई स्केटबोर्ड.
मां का असरये भी बताया जाता है कि कुछ शर्मीलापन या नर्वसनेस, जेनेटिक भी हो सकती है. यानी ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच सकती है. घबराने वाली या एंग्जियस मां के पपीज़ में भी ऐसा होने के चांस हो सकते हैं.
ट्रॉमेटिक एक्सपीरिएंसट्रॉमा या कोई ऐसी बुरी घटना जो आपके जीवन पर छाप छोड़ दे. इंसान क्या जानवर भी इनसे प्रभावित होते हैं. जानवरों की डॉक्टर टिफ्नी टुप्लर इस बारे में petmd को बताती हैं,
कई बार एक ही ट्रॉमेटिक अनुभव, जीवन भर का भय भरने के लिए काफी होता है.
मसलन, कभी अचानाक पटाखों की आवाज से सामना होने के बाद, पेट आमतौर पर तेज आवाजों से डरने लग सकते हैं. जैसे की कार का दरवाजा तेजी से बंद करना या फिर उस जगह के पास जाने से ही डरना, जहां वो तेज आवाज सुनी गई हो.
दर्दजौन एलिया साहब ने दर्द पर कहा है,
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
दर्द बदनाम तो नहीं होगा
हाँ दवा दो मगर ये बतला दो
मुझ को आराम तो नहीं होगा
हम इंसानों का क्या है, दर्द हो तो दर्द को भी रोमैंटिसाइज़ कर लेते हैं. बयां कर सकते हैं. लेकिन जानवर अपने दर्द के बारे में हमारी तरह बता नहीं सकते हैं. इसलिए हो सकता है, ये दर्द को किसी और तरीके से जताएं.
कुछ डॉग्स, ‘हैंड शाई’ (Hand Shy) होते हैं. यानी ये छूने पर शर्माते या घबराते हैं. इसलिए यह ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है कि कभी जो व्यवहार डर जैसा लग रहा हो, वो दर्द का संकेत भी हो सकता है. इसलिए आप किसी जानवरों के डॉक्टर की मदद ले सकते हैं कि आपका पेट दर्द का अनुभव कर रहा है या फिर भय का.
वहीं कई बार जन्म के तुरंत बाद पपी को मां से दूर कर देना भी उनमें डर और अलग तरह के व्यवहार के पीछे की वजह बन सकता है.
अपने पेट की मदद कैसे करें?हालांकि, डर की जितनी वजहें हो सकती हैं उनसे निपटने के तरीके भी उतने ही हो सकते हैं. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप किसी एक्सपर्ट की मदद से अपने पेट की मदद करने की कोशिश करें.
फिर भी कुछ चीजें हैं जो बताई जाती हैं, जैसे अपने डॉग की ट्रेनिंग के दौरान संयम रखें. हड़बड़ी ना करें. किसी नर्वस डॉग को उसके कंफर्ट ज़ोन से अचानक बाहर निकालने की कोशिश करना, उसकी ट्रेनिंग को पटरी से उतार सकता है. इसलिए धैर्य के साथ पेट को समझते हुए काम लें.
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