Nobel prize चर्चा में हैं. विज्ञान, अर्थशास्त्र या फिर लिटरेचर. सभी विजेता पुरस्कार लेकर गए, साथ में कुछ पैसे भी. लेकिन अगर हम आपको बताएं कि पुरस्कार लेने वाले कुछ देते भी हैं. दरअसल नोबेल प्राइज़ म्यूजियम (Nobel Prize Museum) में तमाम नोबेल लोरिएट्स अपनी कोई कीमती, पसंद की या खोज से जुड़ी खास चीज डोनेट कर सकते हैं. कहें तो ये म्यूजियम उन लोगों की जिंदगी या एकेडमिक जीवन का संगम बन बैठा है. जानते हैं, किसने पत्थर डोनेट किया, अल्बर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein) ने इस म्यूजियम को क्या दिया? मिलेंगे, सब सवालों के जवाब बराबर मिलेंगे.
नोबेल प्राइज म्यूजियम की इन चीजों ने दुनिया बदली! पता है आइंस्टाइन से मलाला तक ने यहां क्या रखा?
Nobel Prize Museum: अपनी-अपनी फील्ड के दिग्गजों को Nobel Prize से सम्मानित किया जाता है. लेकिन ये दिग्गज कई बार कुछ अहम चीजें नोबेल प्राइज़ म्यूजियम को दान भी देते हैं. इन चीजों की लिस्ट में पीनट बटर का डिब्बा, शॉल, पत्थर और तमाम चीजें शामिल हैं. जानते हैं, इनके पीछे क्या कहानियां जुड़ी हैं?
स्टॉकहोम के केंद्र में मौजूद - यह म्यूजियम 100 सालों से भी ज्यादा पुरानी चीजें संजोए रखे है. सदियों की क्रिएटिविटी और जानकारी एक छत के नीचे. यहां 900 से भी ज्यादा क्रिएटिव दिमागों की खोजों और जीवन से जुड़ी चीजें धरी गई हैं.
किताब के साथ पीनट बटर का डिब्बाअमेरिकी बॉयोकेमिस्ट कैरोलिन आर बर्टोज़ी (Carolyn R. Bertozzi) को साल 2022 में केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार दिया गया.
कैरोलिन जब अपनी रिसर्च और एकेडमिक्स से जुड़ी रही हैं, तो उन्हें पीनट बटर खाना बहुत पसंद था. इसलिए इन्होंने नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद इस म्यूजियम को एक पीनट बटर का जार और अपनी पहली आर्गेनिक केमिस्ट्री की किताब डोनेट कर दी.
आइंस्टाइन को किस खोज के लिए दिया गया था नोबेलअल्बर्ट आइंस्टाइन तो शायद किसी परिचय के मोहताज भी नहीं हैं. फिर भी बता देते हैं. इन्हें याद किया जाता है इनकी थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों से इतर कई बातें बताने के लिए.
इनकी थ्योरी की बदौलत ही ब्लैक होल्स का प्रेडिक्शन किया जा सका. लेकिन इन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने के पीछे एक और खोज थी, फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट (Photo Electric Effect) या प्रकाश-विद्युत प्रभाव. यानी जब कोई पदार्थ लाइट या एक्स-रे वगैरह से ऊर्जा लेकर इलेक्ट्रान उत्सर्जित करे.
खैर जब साल 1921 में इन्हें नोबेल पुरस्कार दिए जाने के बारे में पता चला. तो ये एक मैन्युस्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे. इन्होंने यही लेखनी इस संग्रहालय को डोनेट कर दी थी.
मलाला युसुफ़ज़ई ने क्या दिया?साल 2013 में टाइम मैग्जीन ने मलाला को 100 सबसे ज्यादा इंफ्लुएंशियल लोगों की लिस्ट में रखा था. अपने 16वें जन्मदिन पर उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स में स्पीच दी थी. जिसमें दुनिया भर में बच्चियों की शिक्षा के समान अधिकार की बातें कही थीं. इसके बाद वो इस मुहिम का चेहरा बन गईं.
और साल 2014 में इन्हें शान्ति का नोबेल पुरस्कार दिया गया. तब मलाला ने नोबेल प्राइज़ म्यूजियम में अपनी वही शॉल डोनेट की, जो उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स में अपनी बात रखते वक्त पहनी थी.
पत्थर दिया दान मेंइवो एंड्रिक (Ivo Andrić) सर्बियन भाषा के लेखक थे. जो अपने उपन्यासों और लघु कहानियों के लिए जाने जाते हैं. इनकी किताब 'द ब्रिज ऑन द डरिना' (The Bridge on the Drina.) के लिए इन्हें साल 1961 में लिटरेचर का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
और जानते हैं बदले में इन्होंने म्यूजियम को क्या कीमती चीज दी? एक पत्थर. अब पत्थर कैसे कीमती हो सकता है, बताते हैं. दरअसल इनकी किताब ‘द ब्रिज ऑन द डरिना’ में पत्थरों की अहम भूमिका है. जिसके चलते एक सांकेतिक तौर पर - इन्होंने ये तोहफा नोबेल प्राइज़ म्यूजियम को दिया था.
वहीं तुर्की के लेखक ओरहन पमुक (Orhan Pamuk) को साल 2016 में लिटलेचर का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. इन्होंने संग्रहालय को उस किताब का पन्ना ही दे दिया, जिस पर वो उस समय काम कर रहे थे.
ये तो कुछ नाम थे, किसी ने इस संग्रहालय में अपने मछली पकड़ने के कांटे दिए. क्योंकि मछली पकड़ते वक्त ही नोबेल जिताने वाला आइडिया आया था. वहीं कुछ अपनी रिसर्च के मॉडल देखकर जाते हैं, तो कुछ कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट.
बहरहाल, हमें बताइए अगर आपको किसी पुरस्कार के बाद, अपनी कोई चीज देनी हो तो आप क्या देना चाहेंगे?
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