ब्रह्मांड का अंत हो या ना हो, इसके रहस्यों का अंत नहीं है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में जल भंडार की खोज की है. इसे ब्रह्मांड में मिला अब तक का सबसे बड़ा ‘महासागर’ माना जा रहा है. पृथ्वी से 12 अरब प्रकाशवर्ष, यानी लगभग 74 लाख करोड़ मील दूर एक क्वासर में पानी का ये महाविशाल भंडार मिला है. ये जगह एक क्वासर के चारों ओर स्थित है. आकाशगंगा में स्थित चमकीले खगोलीय पिंड को क्वासर कहते हैं, जो बहुत ज़्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं.
पृथ्वी के महासागरों से 140 लाख करोड़ गुना ज्यादा पानी है यहां!
बताया गया है कि यह महासागर इतना विशाल है कि इसमें पृथ्वी के सभी महासागरों के जल से 14 खरब (140 लाख करोड़) गुना ज्यादा पानी मौजूद है. इसकी खोज कैलिफोर्निया के पासाडेना में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के वैज्ञानिक मैट ब्रैडफोर्ड ने की है.
इस महासागर का नाम APM 08279+5255 दिया गया है. बताया गया है कि यह महासागर इतना विशाल है कि इसमें पृथ्वी के सभी महासागरों के जल से 14 खरब (140 लाख करोड़) गुना ज्यादा पानी मौजूद है. इसकी खोज कैलिफोर्निया के पासाडेना में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के वैज्ञानिक मैट ब्रैडफोर्ड ने की है.
Earth.com की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रैडफोर्ड ने बताया, “इस क्वासर के आसपास का वातावरण अद्वितीय है, क्योंकि यह बड़ी मात्रा में पानी उत्पन्न कर रहा है. यह एक संकेत है कि ब्रह्मांड की शुरुआत से पानी मौजूद था.”
क्वासर को पहली बार 50 साल पहले खोजा गया था. ये खगोलीय पिंड अपनी चमक और तीव्र ऊर्जा के कारण सामान्य सितारों से अलग होते हैं. क्वासर के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल होते हैं, जिनका द्रव्यमान हमारे सूर्य से लाखों से अरबों गुना तक अधिक होता है.
ब्लैक होल गैस और धूल को अपनी ओर खींचते हैं. जैसे-जैसे ये कण ब्लैक होल के करीब आते हैं, वैसे-वैसे गर्म होकर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं. इस तरह से क्वासर ब्रह्मांड में सबसे चमकीले और ऊर्जावान पिंड बन जाते हैं.
क्वासर के पास मिला महासागरखगोलविदों ने APM 08279+5255 क्वासर के वातावरण में जल वाष्प का पता लगाया है. यह वाष्प सैकड़ों प्रकाशवर्ष तक फैली हुई है. एक प्रकाशवर्ष ही लगभग 6 खरब मील दूरी के बराबर होता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह गैस पृथ्वी के मानकों के अनुसार पतली है और हमारी आकाशगंगा के समान क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म और घनी है.
तापमान: लगभग -63°F.
घनत्व: पृथ्वी के वातावरण से 300 खरब गुना कम. लेकिन हमारी आकाशगंगा के समान क्षेत्रों से कई गुना घनी.
खगोलविदों ने क्वासर में कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे अन्य अणुओं की भी खोज की है. जो दर्शाते हैं कि ब्लैक होल के बढ़ने के लिए बड़ी मात्रा में सामग्री मौजूद है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस जल वाष्प गैस के माध्यम से ब्लैक होल का द्रव्यमान लगभग छह गुना तक बढ़ सकता है. यह गैस नए तारों का निर्माण कर सकती है या अंतरिक्ष में बिखर सकती है.
इतनी दूर स्थित क्वासर में जल वाष्प की खोज यह दिखाती है कि जीवन के लिए आवश्यक तत्व समय और अंतरिक्ष में व्यापक रूप से फैले हुए हैं. पानी जीवन के लिए आवश्यक है. और इसका अरबों वर्ष पहले मौजूद होना संकेत देता है कि जीवन के लिए जरूरी ये तत्व लंबे समय से उपलब्ध है. इसके अलावा पानी तारों और आकाश गंगाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जब वाष्प गैस बादल ठंडे होते हैं, तो पानी उनके संकुचन में मदद करता है. इससे नए तारे जन्म लेते हैं.
ब्लैक होल और क्वासर क्या हैं?
ब्लैक होल एक ऐसी जगह है जहां गुरुत्वाकर्षण इतना ताकतवर होता है कि वहां से कुछ भी, यहां तक कि रोशनी भी बाहर नहीं निकल सकती. यह तब बनता है जब कोई बहुत बड़ा तारा अपने जीवन के अंत में अपने ही वजन से सिकुड़ जाता है.
क्वासर ब्रह्मांड के सबसे चमकीले और ऊर्जावान पिंडों में से एक है. यह ब्लैक होल के आसपास बनता है. जब ब्लैक होल के पास गैस और धूल जैसी चीजें गिरने लगती हैं, तो ये गर्म होकर बहुत तेज़ रौशनी और ऊर्जा पैदा करती हैं. यह रौशनी इतनी तेज होती है कि यह पूरी आकाशगंगा की रौशनी को भी फीका कर देती है.
(इस स्टोरी में हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे अमृत का भी योगदान है.)
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