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पहली बार इस मक्खी के दिमाग का 'पूरा नक्शा' बनाया गया, पर इससे हमें क्या फायदा होने वाला है?

Nature: खबर ये है कि साइंटिस्ट्स ने फलों पर बैठने वाली ये मक्खी- Fruit Fly के दिमाग का पूरा नक्शा बना लिया है. इससे पहले आप ये सोचें कि इससे हमें क्या फायदा होने वाला है? आपको बताते हैं, सब बताते हैं.

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पूरे काम में चार से ज्यादा साल लगे (सांकेतिक तस्वीर)

घरों में भिन-भिनाने वाली मक्खी से छोटी एक और मक्खी है, नाम है फ्रूट फ्लाई (Fruit Fly). ये मक्खियां पकी हुई हुए फल-सब्जियों पर बैठती हैं. इनकी खास बात ये है कि लैब्स में इनका इस्तेमाल सालों से प्रयोगों के लिए किया जा रहा है. अब साइंटिस्ट्स ने इसके दिमाग के 5 करोड़ 45 लाख कनेक्शन्स का डीटेल में नक्शा तैयार किया है. दिमागी साइंस (neuroscience) की दुनिया में ये एक बड़ा कदम माना जा रहा है, आज इसी को समझते हैं. समझेंगे ये भी इस रिसर्च से इंसानों को क्या फायदा होने वाला है?

दरअसल साइंटिस्ट्स ने फ्रूट फ्लाई के दिमाग का अपनी तरह का ये पहला पूरा डायग्राम तैयार किया है. खसखस जितने छोटे दिमाग के सभी 139,255 न्यूरांस या तंत्रिकाओं को सालों लगाकर, मैप किया गया है. 

इस पूरे प्रोसेस में रिसर्चर्स ने 8,400 अलग-अलग तरह की कोशिकाओं को भी पहचाना. दरअसल दिमाग में किसी जटिल तारों के तंत्र की तरह न्यूरॉन्स गुथे रहते हैं. जिनमें कनेक्शन होते हैं, जो सिग्नल्स का आदान प्रदान करने में मदद करते हैं.

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पांच करोड़ से भी ज्यादा कनेक्शन्स की डीटेल्स (Image: FlyWire, Princeton University)
इससे हमको क्या

इस फ्लाइ वायर प्रोजेक्ट (Flywire Project) के साथ प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस और न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर सेबैस्टियन सियुंग जुड़े रहे हैं. वो इस बारे में द गार्डियन को बताते हैं,

आप सवाल पूछ सकते हैं कि फ्रूट फ्लाई के दिमाग से हमें क्या लेना-देना? तो इसपर मेरा सीधा सा जवाब होगा कि अगर हम ये समझ सकें कि कोई भी दिमाग कैसे काम करता है. तो इससे सभी दिमागों को समझने में कुछ ना कुछ मदद मिल सकती है. 

बताया जाता है कि बेहद छोटी सी जगह में गुथे, ये न्यूरॉन्स अगर सुलझाए जाएं तो 150 मीटर लंबे हो सकते हैं.

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ये न्यूरॉन्स अगर सुलझाए जाएं तो 150 मीटर लंबे हो सकते हैं (Image: FlyWire, Princeton University)
ये नक्शा तैयार कैसे किया गया

ये दिमागी नक्शा एक दिन, महीने या साल में नहीं तैयार किया गया है. न्यूरोसाइंटिस्ट माला मूर्थी (Mala Murthy) और सेबैस्टियन सियुंग (Sebastian Seung) ने इस काम में चार साल से भी ज्यादा लगाए. 

और ये मशक्कत भरा काम किया कैसे गया? इस काम के लिए इस मक्खी के दिमाग के सात हजार महीन स्लाइस किए गए. इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की मदद से हर सेक्शन की तस्वीरें निकाली गईं.

दरअसल साधारण माइक्रोस्कोप लाइट या प्रकाश का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें प्रकाश की किरणों की मदद से चीजों की बड़ी तस्वीर देखी जाती है. वहीं इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप (electron microscope) में इलेक्ट्रान्स की मदद से बेहद छोटी चीजों की तस्वीरें निकाली जाती हैं. जैसे कि फ्रूट फ्लाई के मामले में किया गया.

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कुछ ऐसा दिखता है एक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (विकीमीडिया)

लेकिन इन लाखों तस्वीरों को देखे कौन. तब पिक्चर में आता है हमारा साथी या सथिनी AI. जिसकी मदद से मिलीमीटर के भी लाखवें हिस्सों की तस्वीरों का एनॉलसिस किया गया. और न्यूरॉन्स और उनके बीच के सिनैप्टिक कनेक्शन्स का पथ समझा गया. 

लेकिन AI के बस का पूरा प्रोसेस नहीं था. AI के काम में तमाम गलतियां भी हुईं. इसलिए दुनियाभर से साइंटिस्ट्स और वालंटियर की फौज भी इस काम में लगी. जिन्होंने गलतियां ठीक कीं और फाइनल मैप बनाने में मदद की. 

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प्रोसेस में AI की मदद भी लेनी पड़ी (Image: FlyWire, Princeton University)

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द गार्डियन की खबर के मुताबिक, इसकी मदद से एक वायरिंग डायग्राम बनाने में भी मदद मिली, जिसे कनेक्टोम (connectome) कहा जाता है. इसकी मदद से साइंटिस्ट फ्रूट फ्लाई के दिमाग के एक हिस्से का कंप्यूटर सिम्यूलेशन भी बना पाए. यानी कंप्यूटर में दिमागी नकल जैसा कुछ.

मजेदार बात ये भी है कि इस सिम्युलेशन के साथ प्रयोग करके, साइंटिस्ट उस न्यूरल सर्किट या तंत्रिका के हिस्से को पहचान पाए - जो स्वाद के प्रोसेस को तय करता है. उम्मीद की जा रही है कि इसकी मदद से जीवों के व्यवहार और दिमागी वायरिंग के बीच के संबंध को समझने में मदद मिलेगी. 

कमाल है ना!! हो सकता है हम भविष्य में ये समझ पाएं कि दिमाग की फला तंत्रिकाओं की वजह से हमें गुस्सा आता है, या कोई दिमागी विकार होता है. और फिर हम इनके इलाज में इस जानकारी का इस्तेमाल कर सकें.

खैर बकौल सियुंग कनेक्टोमिक्स, ये न्युरोसाइंस के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की शुरुआत है. और यह ट्रांस्फॉर्मेशन दिमाग के सिम्युलेशन तक पहुंचेगा. आज जिस तरह न्यूरोसाइंस की जा रही है, वो इसकी वजह से तेजी से बदलने वाला है. 

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आगे चूहे के दिमाग का नक्शा बनाने की तैयारी चल रही है (Image: FlyWire, Princeton University)


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बहरहाल ये तो अभी शुरुआत है, बाकी चूहे के दिमाग का पूरा नक्शा बनाने का प्रोसेस भी चल रहा है. रिसर्चर्स पांच से दस साल में इसके पूरे होने की उम्मीद कर रहे हैं. 

लेकिन इंसानी दिमाग के लिए ये नक्शा बनने में शायद अभी वक्त लगे. पर अगर ये हो गया तो तमाम दिमागी विकारों वगैरह को समझने में मदद मिल सकेगी. और हम जिन चीजों को समझ सकेंगे उनका इलाज करने में भी मदद मिल पाएगी.

बाकी अभी तो ये अंगड़ाई है आगे बहुत लड़ाई है.

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