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समुद्र की गहराई में मिली 6 पैरों वाली मछली, और ये पैर सिर्फ चलने के काम नहीं आते!

Sea Robin Fish: एक तो यही अजूबा है कि छह पैरों वाली मछली है. वहीं अब तक तो यही समझा जाता रहा है कि ये अपने पैरों का इस्तेमाल चलने के लिए करती रही हैं. लेकिन अब बताया जा रहा है कि ये इनका इस्तेमाल ज़ुबान की तरह भी करती हैं, पर कैसे?

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खास तकनीक से शिकार करती है ये मछली. (सांकेतिक तस्वीर: विकीमीडिया)

साल 2007 में आई डॉन नंबर-1 फिल्म याद है? अरे वही, जिसमें वो फेमस डायलॉग था, तेरी ज़ुबान बहुत चलती है सूर्या. और फिर सूर्या का वो तुनक जवाब, हाथ उससे ज्यादा चलते हैं. लेकिन फिरोज और सूर्या अगर सी रॉबिन (Sea Robin Fish) मछली से मिल पाते, तो दोनों का दिल गदगद हो जाता!

क्योंकि इस मछली के हाथ और जुबान दोनों बहुत चलते हैं. हाथ कहें या पैर ये तय नहीं, सुविधा के लिए पैर कह लेते हैं. लेकिन एक बात जो तय बताई जा रही है, वो ये कि एक तो इस मछली के 6 पैर हैं. कहानी यहीं नहीं खत्म होती…

26 सितंबर को छपी दो रिसर्च्स में बताया जा रहा है कि इस रॉबिन मछली के पैर, ‘स्वाद’ ले सकते हैं. हाय ये पैर हैं या ज़ुबान. दरअसल ये मछली समंदर के तल में दबे हुए शिकारों को अपने पैरों की मदद से खोजती है. 

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मछली अपने पैरों से मलबा हटा कर शिकर करती हैं (Anik Grearson)
मछली के पैर कम थे कि ज़ुबान भी बन गए!

एक तो यही अजूबा है कि 6 पैरों वाली मछली. वहीं अब तक तो यही समझा जाता रहा है कि ये अपने पैरों का इस्तेमाल चलने के लिए करती रही हैं. लेकिन अब बताया जा रहा है कि ये इनका इस्तेमाल ज़ुबान की तरह भी करती हैं. समझते हैं पूरा माजरा. 

इस सब पर स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के डेवलपमेंटल बॉयोलॉजिस्ट डेविड किंग्स्ले का कहना है, 

नई चीजें पुराने हिस्सों से पैदा होती हैं. एक चलने वाली मछली जिसके पैरों में स्वाद लेने की क्षमता हो, सुनने में ये जरूर कूल और अलग लग सकता है. लेकिन अगर गहराई से देखा जाए, तो ये नई चीजें पुरानी जीन्स के नए तरीके से इस्तेमाल का ही नतीजा हैं. 

दरअसल, नर्थर्न सी रॉबिन दबे हुए शिकारों को खोजने में माहिर होती हैं. इतनी कि दूसरे शिकारी इनके पीछे-पीछे चलते हैं. ताकि किसी बचे हुए शिकार का फायदा उठा सकें. साइंस न्यूज के मुताबिक, पहले के शोध में ये तो मालूम था कि रॉबिन मछली अपने पैरों से केमिकल्स सेंस कर सकती हैं.

लेकिन यह साफ नहीं था कि समंदर तल खोदते वक्त ये अपने पैरों से कुछ टेस्ट सेंस कर सकती थीं.

इस पर फिलाडेल्फिया के मॉनेल केमिकल सेंसेस सेंटर के पीहुआ जियांग (Peihua Jiang) का साइंस न्यूज से कहना है,

मछलियों के मुंह में स्वाद की ग्रंथियां (टेस्ट बड्स) होती हैं. कुछ मछलियों के शरीर पर भी टेस्ट बड्स होती हैं. इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि नार्थ सी रॉबिन मछलियों में शरीर के बाहर टेस्ट सेंस करने की छमता हो. 

लेकिन असल में गज़ब की बात ये है कि इनके पैर सेंस करने वाले अंग बन गए हैं, जो कि आमतौर पर स्वाद के मामले में नहीं देखा जाता है.

कैसे करती हैं सेंस?

रिसर्च से जुड़े किंग्स्ले और साथियों ने कई एक्सपेरिमेंट्स में नजर रखी कि रॉबिन मछलियां खाना कैसे खोजती हैं? 

व्यवहारिक टेस्ट से पता चलता है कि ये अपने पैरों से रेत में खिसकाती हैं और कुदाल जैसा स्ट्रक्चर बनाती हैं. करीब से देखने पर पता चलता है कि इनमें सेंस करने वाले कुछ हिस्से होते हैं. जिन्हें पैपिली (papillae) कहा जाता है. जैसे कि जुबान पर स्वाद चखने वाले टेस्ट बड्स होते हैं.

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पहले टीम इस बात को लेकर श्योर नहीं थी कि ये पैपिली टेस्ट या स्मेल की तरह केमिकल्स को महसूस कर रहे होंगे. लेकिन रिसर्च में टीम को पता चला कि ये पैपिली भी काफी हद तक टेस्ट रिसेप्टर्स की तरह काम करते हैं.

लेकिन ये मुंह पर मौजूद टेस्ट बड्स से अलग तरह से अरेंज होते हैं. 

साथ ही जेनेटिक और फिजियोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट्स या आनुवांशिक और शारीरिक प्रयोगों से ये भी पता चला कि पैपिली में टच-सेंसटिव या स्पर्श महसूस करने वाली तंत्रिकाएं या नर्व्स होती हैं. जो रॉबिन मछलियों की मदद करती हैं कि खुदाई कहां करनी है.

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