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चंद्रयान-3 अब भी खोल रहा है चांद के राज, सतह पर नई खोज से मिलेंगी ये अहम जानकारियां

ISRO Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर नई खोज की है. ये खोज तब की गई, जब प्रज्ञान रोवर अपनी लैंडिंग के पास के ऊंचे तल से होकर गुजर रहा था. जो साउथ पोल के एटकिन बेसिन से करीब 350 किलोमीटर दूर है. बता दें एटकिन बेसिन चांद की सतह पर मौजूद सबसे बड़ा इंपैक्ट बेसिन है.

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चंद्रयान की लैंडिंग साइट (Photo: X/@Bhardwaj_A_2016)

भारत का चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan 3) साल 2023 में चांद पर सफलता पूर्वक खत्म हुआ. लेकिन ये अभी भी बड़ी खोजों में अपना योगदान दे रहा है. दरअसल चांद के साउथ पोल से प्रज्ञान रोवर ने डेटा भेजा है. जिसकी मदद से एक नए प्राचीन क्रेटर की खोज की जा सकी. 

अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी ने साइंस डायरेक्ट में इस बारे में छापा है. बताया गया कि प्रज्ञान रोवर ने अपनी लैंडिंग की जगह के पर 160 किलोमीटर चौड़ा क्रेटर या विशाल गड्ढा खोजा है. 

ये खोज तब की गई, जब प्रज्ञान रोवर अपनी लैंडिंग के पास के ऊंचे तल से होकर गुजर रहा था. जो साउथ पोल के एटकिन बेसिन से करीब 350 किलोमीटर दूर है. बता दें एटकिन बेसिन चांद की सतह पर मौजूद सबसे बड़ा इंपैक्ट बेसिन है. 

बताया जा रहा है कि प्रज्ञान ने जो क्रेटर खोजा, वो साउथ पोल के एटकिन बेसिन के पहले बना माना जा रहा है. यानी ये चांद पर मौजूद सबसे प्राचीन भौगोलिक संरचनाओं में से एक है. हालांकि पुराना होने की वजह से ये ज्यादातर मलबे से भर गया है. जो बाद में चांद पर टकराने वाले पिंडों की वजह से हो सकता है. खासकर साउथ पोल-एटकिन बनने के समय. 

खत्म होता रहा है क्रेटर

साथ ही ये क्रेटर समय के साथ धीरे-धीरे खत्म भी होता रहा है. लेकिन प्रज्ञान रोवर के नेविगेशमन और हाई रेज़ॉल्यूशन कैमरों की मदद से इस क्रेटर की संरचना का पता चला, जो चांद के भौगोलिक इतिहास की कहानी बता रहा है. 

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क्रेटर की खोज के बाद साइंटिस्ट्स के पास एक दुर्लभ मौका है. जिसकी मदद से वो चांद के इस क्रेटर में दबे मलबे का परीक्षण कर सकते हैं. जो चांद से पिंडों के टकराने के समय जितना पुराना है. दरअसल ये लैंडिंग साइट पुरानी टक्करों की वजह से मिनरल से भरी है. जिसकी वजह से चांद पर खोज की यह एक अव्वल जगह बन जाती है. 

दरअसल चांद के शुरुआती दिनों में अंतरिक्ष में तैरते पिंड चांद की सतह से टकराते रहे हैं. जिनकी टक्करों से ये क्रेटर बने हैं. जो चांद की सतह पर गड्ढों से नजर आते हैं. इनकी वजह से मलबा भी निकलता है. बताया जाता है, साउथ पोल-एटकिंस बेसिन ने करीब 1,400 मीटर मलबा पैदा किया होगा.

वीडियो: चंद्रयान 3 का रोवर अचानक कांपने क्यों लगा? चांद से क्या नई जानकारी भेजी?