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भालू के साइज का 'कनखजूरा'? वैज्ञानिकों ने मिट्टी के नीचे से निकाल लिए सबूत

Ancient History & Nature: इस प्राचीन जीव का नाम है आर्थोप्लुरा (Arthropleura) है. जो कि धरती पर रहे अब तक के सबसे बड़े आर्थोपोड थे. दरअसल, हाल में साइंस एडवांसेस में छपी एक रिसर्च ने 30 करोड़ साल पुराने एक फॉसिल या जीवाश्म का एनॉलसिस किया.

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प्राचीन जीव के कई जोड़ी पैर (Credit: Mickaël Lhéritier)

मिलीपीड और सेंटीपीड (millipede & centipede) ये तो फैंसी नाम हैं. अपनी भाषा में कहें तो कनखजूरे. अरे, वही जीव जिनमें सैकड़ों पैर होते हैं. दरअसल, ये जीव कहे जाते हैं, आर्थोपोड. लेकिन हमारे घरों में निकलने वाले कनखजूरे, देखने में भले खतरनाक लग सकते हों, पर होते तो छोटे हैं. अब कल्पना करें एक प्राचीन जीव की- जो 2.6 मीटर लंबा हो. यानी एक वयस्क ग्रिजली बियर या भालू जितना लंबा. लेकिन यही नहीं, अभी और भी है. इस जीव के 64 पैर भी बताए जा रहे हैं.

साइंस के मुताबिक, यह प्राचीन जीव आर्थोप्लुरा (Arthropleura) है. जो कि धरती पर रहे अब तक के सबसे बड़े आर्थोपोड थे. दरअसल हाल में साइंस एडवांसेस में छपी एक रिसर्च ने 30 करोड़ साल पुराने एक फॉसिल या जीवाश्म का विश्लेषण किया. 

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(Credit: Mickaël Lhéritier)

और इस प्राचीन जीव के फीचर्स मिलीपीड और सेंटीपीड के हाइब्रिड जैसे बताए. दरअसल, जैसा कि हम जानते हैं कि कनखजूरे जैसे जीवों का शरीर कई सेगमेंट्स में बंटा होता है. अलग-अलग हिस्से, जिन्हें बाहर से एक-एक देखा जा सकता है. वहीं ये भी बताया जाता है कि मिलीपीड में हर सेगमेंट में दो जोड़ी पैर होते हैं, वहीं सेंटीपीड में हर सेगमेंट में एक जोड़ी पैर पाए जाते हैं.

ये भी बताया जाता है कि सेंटीपीड आमतौर पर कीड़ों को अपने जहर से मारकर खाते हैं. वहीं मिलीपीड सड़ते पेड़-पौधों पर पलते हैं.  

(carnegiemnh.org)
सेंटीपीड ये जीव जहरीले होे सकते हैं (carnegiemnh.org)
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मिलीपीड मृत पेड़-पौधों पर पलते हैं. (carnegiemnh.org)
किसके जैसा है ये जीव?

वहीं टीम ने इस प्राचीन जीवाश्म को देखकर अंदाजा लगाया कि इसमें भी हर सेगमेंट में दो पैर हैं. वहीं इनका सिर कुछ सेंटीपीड जैसा था. हालांकि, रिसर्चर्स का ये भी कहना है कि आर्थोप्लुरा में जहर उगलने वाले हिस्से या शिकार पकड़ने वाला पार्ट नहीं होता है. जो इन्हें अलग बनाता है. 

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जिसके आधार पर अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये भी मिलीपीड्स की तरह पौधे खाने वाले रहे होंगे. बताया जा रहा है कि इस खोज से मिलीपीड और सेंटीपीड के बीच की कड़ी को समझने में मदद मिलेगी. और यह भी समझा जा सकेगा कि जीवों का विकास कैसे हुआ रहा होगा?

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