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अंटार्कटिका में हरियाली देख वैज्ञानिकों के हाथ-पांव फूले

नेचर जियोसाइंस जर्नल में हाल में एक रिसर्च छपा है. जो बता रहा है कि अंटार्कटिका चिंताजनक रेट से हरा हो रहा है. वैसे तो अक्सर हरियाली को खुशहाली का सूचक माना जाता है. लेकिन गर्मी के कुछ इवेंट्स के चलते, पिछले कुछ दशकों में इस महाद्वीप का लैंडस्केप तेजी से बदला है.

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बर्फ की जगह हरियाली. (तस्वीर: नेचर)

अंटार्कटिका का नाम सुनकर हमारे मन में क्या तस्वीर बनती है? कड़ाके की ठंड, बर्फ और उससे बनी मीलों लंबी सफेद चादर. लेकिन हाल में इंटरनेट पर कुछ तस्वीरें चक्कर काट रही हैं, जिन्हें देखकर आप भी सोच में पड़ सकते हैं कि क्या ये अंटार्कटिका है, इतनी हरियाली यहां कैसे? और ये हरियाली बढ़ने के पीछे किसका हाथ है?

दरअसल नेचर जियोसाइंस में हाल में एक रिसर्च छपा है जो बता रहा है कि अंटार्कटिका चिंताजनक रेट से हरा हो रहा है. वैसे तो अक्सर हरियाली को खुशहाली का सूचक माना जाता है. लेकिन बढ़ती गर्मी से जुड़े कुछ इवेंट्स के चलते, पिछले कुछ दशकों में इस महाद्वीप का लैंडस्केप तेजी से बदला है.

सैटेलाइट के डेटा के आधार पर साइंटिस्ट की टीम ने नाटकीय बदलाव देखे हैं. और अंटार्कटिका में कई जगहों पर बढ़ती हरियाली नोटिस की है. जो बताती है कि यहां की बर्फ पिघली है और तापमान में बदलाव हुआ है. 

टीम ने पाया कि यहां हरियाली साल 1986 से लेकर 2021 तक दस गुना से ज्यादा बढ़ी है. इस टाइम के बीच ये एरिया 1 वर्ग किलोमीटर से 12 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा है. 

स्टडी में ये भी पाया गया कि साल 2016 से लेकर 2021 तक, यहां की हरियाली में 30 फीसद से ज्यादा बढ़त थी. बताया जा रहा है कि अकेले इन पांच सालों के बीच ही. हरियाली करीब 100 एकड़ हर साल बढ़ी.

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(Image: Nature geoscience)
कौन से पौधे उग रहे बर्फीले महाद्वीप पर?

स्टडी से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के रिसर्चर थॉमस रोलैंड बताते हैं, 

"हमें अंटार्कटिका में जो पौधे मिले वो ज्यादातर मॉस (mosses) थे. जो शायद दुनिया की सबसे कठिन परिस्थितियों में उगने वाले पौधे हैं."

बकौल रोलैंड अंटार्कटिका में अभी भी ज्यादातर जगह बर्फ ही है. और केवल एक छोटे से हिस्से में ही हरियाली ने पकड़ बनाई है.

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लेकिन जिस तरह से इस छोटे हिस्से में ये बढ़ी है वो नाटकीय है. और इस बात का संकेत है कि इस सुदूर जगह तक मानव जनित पर्यावरण बदलाव पहुंच गए हैं.

यानी क्लाइमेट चेंज के पांव यहां तक पसर चुके हैं. वहीं हाल में आई एक रिसर्च में ये भी बताया गया कि अंटार्कटिका का थ्वैट्स (Thwaites) ग्लेशियर दो सदियों से भी कम समय में पूरी तरह गायब हो सकता है.

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