पेशाब का रंग कभी एकदम साफ, कभी हल्का पीला तो कभी बहुत पीला होता है. आपको इसकी वजह पता होगी ही. जिन्हें नहीं पता उन्हें हम बता देते हैं. जब भी आप कम पानी पीते हैं तो यूरिन एकदम पीले रंग का आता है. जब अच्छी मात्रा में पानी पीते हैं तो यूरिन साफ़ होता है. सवाल उठता है कि शरीर में पानी की मात्रा से यूरिन का रंग क्यों बदलता है और पीला यूरिन किस चीज़ का संकेत है.
पीला पेशाब आना किडनी के लिए हो सकता है खतरनाक, उठने पर आ सकते हैं चक्कर
पानी की कमी से पॉस्चरल फॉल की समस्या भी हो सकती है.

ये हमें बताया डॉक्टर रवि बंसल ने.

शरीर के अंदर के वातावरण को बनाए रखने के लिए पानी जरूरी है. इससे सोडियम, पोटाशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बना रहता है. दिल खून को पंप करता है, जिससे पूरे शरीर में पोषक तत्व पहुंचते हैं. इन सभी फंक्शन्स के लिए पानी बहुत जरूरी है. किडनी जैसे अंग पानी पर काम करते हैं. शरीर में पैदा होने वाले वेस्ट को किडनी पानी के साथ पेशाब के जरिए बाहर निकाल देती है.
काफी समय तक पानी न पीने से पेशाब का रंग पीला होने लगता है. शरीर में पानी की कमी होने से किडनी पानी रोककर सिर्फ गंदगी ही बाहर निकालती है. यानी पीले या गहरे पीले रंग का पेशाब शरीर में पानी की कमी की वजह से आता है. पानी की कमी से आलस आता है, बैठे रहने का मन करता है, काम करने की ताकत नहीं रहती. दिमाग फोकस नहीं कर पाता. लेटे या बैठे हैं तो अचानक उठने से कई बार चक्कर आ जाता है. इसे पॉस्चरल फॉल (Postural Fall) कहते हैं. इसमें पानी की कमी के कारण ब्लड पैरों में आ जाता है और चक्कर आता है. ऐसा जब भी हो तो समझ जाएं कि बॉडी आपको पानी कम होने का संकेत दे रही है.
पानी की कमी से चक्कर आ सकता है, ब्लड प्रेशर लो हो सकता है. पानी की कमी से खून का बहाव कम हो जाएगा, जिससे किडनी काम करना बंद कर देगी. मसल को पानी न मिलने से मसल नेक्रोसिस (Muscle Necrosis) हो सकता है. इससे मसल्स को चोट पहुंचेगी और रैबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) का खतरा होता है. ऐसा होने पर शरीर में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ सकती है.
किन लोगों को डीहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है?कुछ लोगों में पानी की कमी ज्यादा होती है. जैसे कुछ लोग डायबिटीज की दवाइयां लेते हैं. जिस वजह से पेशाब में ज्यादा शुगर निकलती है. या ब्लड प्रेशर की दवाई खाते हैं, जिससे ज्यादा पेशाब आता है और पानी की कमी हो जाती है. ऐसे लोगों में डीहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है. कुछ लोग जो मानसिक रूप से ठीक नहीं हैं, साइकोलॉजिकल या न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित हैं, उनको भी डीहाइड्रेशन का खतरा होता है. साथ ही छोटे बच्चे या बूढ़े लोग जो खुद पानी नहीं पी सकते उन्हें भी डीहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है.
शरीर में पानी सिर्फ मुंह के जरिए अंदर जाता है. शरीर से ये मल-मूत्र, पसीने और सांस के जरिए बाहर निकलता है. गर्मियों में पसीने और सांस के जरिए काफी मात्रा में पानी निकल जाता है. जब शरीर के अंदर पानी कम जाए लेकिन ज्यादा पानी निकल जाए, तब बॉडी में पानी की कमी हो जाती है. इसलिए गर्मियों में पानी ज्यादा पीना चाहिए. इसके लिए आप ऐसी चीजें खाएं जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो. जैसे फल, तरी वाली सब्जियां, दही और दूध से बनी चीजें, या सादा पानी पिएं. पानी की पूर्ति करने वाली चीजें डाइट में ज्यादा शामिल करनी होंगी.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)