डेटा आ गया है दोस्तों, पता चल गया औरतें कितनी खराब ड्राइवर होती हैं!
क्या कहते हैं दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के आंकड़े.

फिल्म 'रब ने बना दे जोड़ी' में अनुष्का शर्मा, और 'पीकू' में दीपिका पादुकोण.
- ये देखो, राइट इंडिकेटर देकर लेफ्ट टर्न ले रही, पक्का कोई लड़की चला रही होगी.
- तुम ड्राइव करोगी? मैं फिर पीछे की सीट पर बैठ जाता हूं
- स्कूटी मैं चलाउंगा, मैं लड़कियों के पीछे नहीं बैठता, पता नहीं कहां ठोक दें
- अरे आज उधर बहुत भीड़ होगी, तुम कहां गाड़ी लेकर जा पाओगी आपने भी इस तरह की बात कभी न कभी ज़रूर सुनी होगी. इस 'फैक्ट' पर ज़ोर देने वाली बातें कि गाड़ी और औरतों का तालमेल सही नहीं बैठता. लड़की के हाथ में गाड़ी दी तो एक्सीडेंट या जाम लगना तय है. लेकिन आपको सुनकर झटका लगेगा कि दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग का लेटेस्ट डेटा अलग ही बात कहता है. दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने साल 2020 की रोड क्रैश फैटालिटीज़ रिपोर्ट यानी सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में साल 2020 में सड़क दुर्घटनाओं में जिन लोगों की मौत, जिन लोगों से एक्सीडेंट हुआ, जिन इलाकों, महीनों और समय में सबसे ज्यादा हादसे हुए उन सबका एनालिसिस किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में जितने भी लोग गाड़ी चलाते हैं उनमें केवल आठ प्रतिशत महिलाएं हैं. वहीं, ट्रांसपोर्ट विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में दिल्ली में हुए 99 प्रतिशत जानलेवा रोड एक्सीडेंट्स उन गाड़ियों से हुए जिन्हें पुरुष चला रहे थे, केवल एक प्रतिशत एक्सीडेंट में महिला ड्राइवर्स शामिल थीं. साल 2020 में सड़क हादसों में कुल 1197 लोगों की मौत हुई.
और क्या है रिपोर्ट मेंः
- हादसों में मारे गए 90 प्रतिशत लोग पुरुष, 10 प्रतिशत महिलाएं हैं.
- 20 से 39 आयुवर्ग के पुरुष रोड एक्सीडेंट के रिस्क पर ज्यादा हैं.
- हादसों के रिस्क पर सबसे ज्यादा पैदल चलने वाले और मोटरसाइकल सवार हैं.
- सबसे ज्यादा जानलेवा हादसे रात आठ से एक बजे के बीच होते हैं. इसमें भी रात 12 से एक के बीच सबसे ज्यादा एक्सीडेंट्स होते हैं.
- जानलेवा सड़क हादसों में 51 प्रतिशत हिट एंड रन के मामले होते हैं. लौटते हैं विमेन ड्राइवर्स की तरफ. बैंक बाज़ार की साल 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, औरतें धीरे गाड़ी नहीं चलातीं बल्कि इकॉनमी स्पीड में गाड़ी चलाती हैं. रिपोर्ट ये भी कहती है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में हार्ड ब्रेक्स का इस्तेमाल कम करती हैं और गाड़ी चलाते समय हेलमेट और सीटबेल्ट का इस्तेमाल करती हैं. इतना ही नहीं, रैश ड्राइविंग या ड्रंक ड्राइविंग के ज्यादातर केसेस में पुरुष गाड़ी चलाते पाए जाते हैं. तो डेटा आपके सामने है, उम्मीद है कि अब ड्राइविंग को लेकर आप औरतों को खारिज नहीं करेंगे. और अगर कोई ऊपर लिखी ऊटपटांग बातें आपसे कहे तो दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग की रिपोर्ट उनको दिखा दीजिएगा.