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ठंड के मौसम में सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है?

आमतौर पर इस मौसम में लोगों को सांस लेने में तकलीफ, बलगम की मात्रा बढ़ना और बंद नाक की समस्या होती है.

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सर्दियों में प्रदूषण की वजह से भी हो सकती है सांस लेने में तकलीफ (सांकेतिक फोटो)

सर्दियों का मौसम उन लोगों के लिए बहुत भारी हो जाता है, जिन्हें सांस से जुड़ी समस्याएं होती हैं. कई लोगों को लगातार खांसी रहती है. सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज़ आती है. ठीक तरह सांस नहीं आती. तो आज हम डॉक्टर से जानेंगे कि ठंड में फेफड़ों को किस तरह का ख़तरा रहता है और क्यों. साथ ही जानेंगे इससे कैसे बचा जा सकता है?

सर्दियों में फेफड़ों को किस तरह का ख़तरा होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर अरुणेश कुमार ने.

(डॉ. अरुणेश कुमार, हेड, प्लमोनोलॉजी विभाग, पारस हॉस्पिटल)

सर्दियों में जब धुंध पड़ती है, उस दौरान स्मॉग की मात्रा बढ़ जाती है. स्मॉग सांस की नालियों को काफी नुकसान करता है. अस्थमा, ब्रोंकाइटिस  और COPD जैसी बीमारियों के मरीजों को सर्दियों में ज़्यादा परेशानी होती है. क्योंकि सांस के साथ प्रदूषण के कण फेफड़ों में पहुंचकर सूजन पैदा करते हैं. आमतौर पर इस मौसम में लोगों को सांस लेने में तकलीफ, बलगम की मात्रा बढ़ना और बंद नाक की समस्या होती है. सांस लेने के दौरान आवाज आती है जिसे व्हीज़िंग कहते हैं. कुछ लोगों को निमोनिया भी हो जाता है. ये सारी समस्याएं स्मॉग की वजह से होती हैं.

बचाव

अगर लंबे समय से सांस की कोई बीमारी है तो डॉक्टर ने जो मेंटेनेंस ट्रीटमेंट दिया है, उसे फॉलो कीजिए. ये समस्या को बढ़ने से रोकेगा. अगर अचानक से लक्षण गंभीर हो गए हैं, जैसे कि ऑक्सीजन की कमी, बुखार, खांसी या सांस फूलने लगे, तो ऐसे में जल्दी से डॉक्टर के पास पहुंचें. धूम्रपान बंद कर दें. धूम्रपान से ये परेशानियां ज़्यादा बढ़ती हैं और पहले से हो रहे प्रदूषण के साथ धूम्रपान से दोगुना नुकसान होता है. अगर रसोई में खाना पकाने के दौरान ज़्यादा धुआं निकलता है, तो एग्जॉस्ट फैन का इस्तेमाल करें. इस धुएं से भी फेफड़ों को नुकसान होता है. बैलेंस डाइट वाला खाना खाएं. कोशिश करें कि हरी सब्जियां और फल जरूर खाएं, इनमें फेफड़ों को मजबूत करने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं. खांसी होने पर केले और दही जैसी ठंडी चीज़ों से परहेज करें. हेल्दी रहने के लिए खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)