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ज़्यादा गर्मी में बेहोशी क्यों छाने लगती है? कैसे रखें अपना ख़्याल?

गर्मियां शुरू हो गई हैं. लोगों के बेहोश होने, उनके चक्कर खाने की घटनाएं बढ़ने लगेंगी. गर्मियों में ऐसा दिमाग के सही से काम न करने की वजह से होता है.

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गर्मियों में लोगों के चक्कर खाने की घटनाएं बहुत आम हैं

गर्मियों में स्कूल की असेंबली याद है आपको? जब सारे बच्चे लाइन से खड़े होते थे. फिर असेंबली के दौरान एक-दो बच्चे तो हमेशा ही चक्कर खाकर गिर पड़ते थे. पुराने दिनों की बात छोड़िए. अभी हाल ही में दूरदर्शन की एक एंकर खबर पढ़ते-पढ़ते बेहोश हो गईं. पता चला कि स्टूडियो में तेज़ गर्मी थी. जिसकी वजह से उन्हें चक्कर आ गया था. गर्मियों में थकान, बेहोशी होना काफ़ी आम है पर कभी-कभी ये ख़तरनाक भी हो सकता है.

गर्मी के मौसम में हम सभी को खास सावधानी बरतने की ज़रूरत है. ख़ासकर उन लोगों को, जो किसी बीमारी या कंडीशन से जूझ रहे हैं. चाहें वो बीपी हो या डायबिटीज़. आपने कभी सोचा है कि आखिर गर्मी में ही इतने चक्कर क्यों आते हैं? क्यों हमें बेहोशी छाने लगती है? आज इसी पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि ज़्यादा गर्मी में लोग बेहोश क्यों हो जाते हैं? हीट क्रैंप्स और हीट एग्जॉशन क्या होता है? साथ ही समझेंगे गर्मियों में अपनी सेहत का ख्याल कैसे रखें?

ज़्यादा गर्मी में रहने से बेहोश क्यों हो जाते हैं?

ये हमें बताया डॉ. परिणीता कौर ने. 

डॉ. परिणीता कौर, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, आकाश हेल्थकेयर

अक्सर गर्मियों में बहुत सारे लोगों को अचानक चक्कर आ जाता है. वो गिर जाते हैं, बेहोश हो जाते हैं. उन्हें क्रैंप्स होने लगते हैं. हाथ-पैर में दर्द होने लगता है. ये सब बहुत ज़्यादा गर्मी की वजह से होता है. दरअसल हमारे ब्रेन में हाइपोथैलेमस नाम का एक पार्ट होता है. ये हमारे शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है. चाहे गर्मी हो या सर्दी, हमारे शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट के आसपास ही रहता है. लेकिन, कभी-कभी बहुत ज़्यादा गर्मी की वजह से ये कंट्रोल हट जाता है. तब हमारा हाइपोथैलेमस ठीक से इस तापमान को कंट्रोल नहीं कर पाता है. फिर हमारे शरीर का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है. जब ज़्यादा गर्मी पड़ती है, तब हाइपोथैलेमस कम काम करने लगता है. यह सक्रिय रूप से काम नहीं करता और फिर शरीर का तापमान बढ़ जाता है. हमारे दिमाग का तापमान भी बढ़ जाता है. शरीर के बाकी अंगों पर भी इसका असर पड़ता है. जैसे दिल, फेफड़े और किडनी पर. इन सब में खून का बहाव सही तरह से नहीं होता जिससे ये ठीक से काम नहीं कर पाते.

लक्षण

पहले हीट क्रैंप्स (Heat cramps) होते हैं, फिर हीट एग्जॉशन (Heat exhaustion) और आखिर में हीट स्ट्रोक (Heat Stroke). हीट क्रैंप्स में हमारे हाथ-पैर में दर्द होने लगता है. उनमें जकड़न महसूस होती है. चलने में दिक्कत होने लगती है. मुंह सूखता है. बहुत प्यास लगती है. स्किन सूखी-सी लगती है. ये सब हीट क्रैंप्स के लक्षण हैं. इससे एक स्टेप ऊपर हीट एग्जॉशन है. इसमें व्यक्ति सुस्त-सा हो जाता है. वह कंफ्यूज़ हो जाता है. आवाज़ लड़खड़ाने लगती है. मुंह चिपचिपाने लगता है. इससे भी ज़्यादा हो तो व्यक्ति बेहोश हो जाता है. उसे मल्टीऑर्गन फेलियर हो सकता है यानी कई सारे अंग एक साथ फ़ेल हो सकते हैं.

गर्मी के मौसम में अपना सिर ढककर ही बाहर निकलें

गर्मियों में अपनी सेहत का ख़्याल कैसे रखें?

अगर बहुत तेज़ धूप में निकलने की ज़रूरत नहीं है तो न निकलें. अगर निकल ही रहे हैं तो अपने सिर को ढककर और खुद को हाइड्रेट करके निकलें. पानी, नींबू पानी और नारियल पानी जैसे इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर पदार्थों का सेवन करें. बच्चे और बुज़ुर्ग हीट स्ट्रोक के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होते हैं. उन्हें ज़्यादा बचाकर रखें. वो मरीज़ जिन्हें एक से ज़्यादा बीमारियां हैं, जैसे डायबिटीज़, किडनी और दिल के मरीज़ और जिनको पानी का रिस्ट्रिक्शन बताया गया है उन्हें अपने पानी का ध्यान रखना चाहिए. 

हो सके तो ज़्यादा धूप को अवॉइड करना चाहिए. इसके अलावा फल ज़्यादा खाइए. इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर लिक्विड लीजिए. कोशिश करें कि बहुत तेज़ धूप में न निकलें. अभी तो बस गर्मियां शुरू हुई हैं. पूरी पिक्चर बाकी है. लू भी चलेगी. इसलिए पहले से सावधान रहें. डॉक्टर ने जो टिप्स बताई हैं, उन्हें याद रखें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: गर्दन में दर्द रहती है तो ये वीडियो आपके लिए है