27 साल की अदिति (बदला हुआ नाम). मेरठ की हैं. दो हफ्ते पहले उनकी शादी हुई है. लल्लनटॉप देखती-पढ़ती हैं. उन्होंने हमें ईमेल पर बताया कि वो PhD कर रही हैं और उसके पूरा होने से पहले बच्चा नहीं चाहती हैं. लेकिन बर्थ कंट्रोल के लिए कौन से तरीके अपनाए जाएं, इसे लेकर अदिति कंफ्यूज़्ड हैं. इसलिए अदिति चाहती हैं कि हम उन्हें औरतों के लिए मौजूद गर्भ निरोध के ऑप्शंस के बारे में बताएं. तो चलिए जानते हैं कि बर्थ कंट्रोल पिल्स का औरतों के शरीर पर क्या असर पड़ता है. और इसके कौन-कौन से तरीके हैं जो औरत के शरीर को कम से कम नुकसान पहुंचाते हैं.
स्क्रॉल डॉट इन की एक ख़बर के मुताबिक, बीते आठ साल में कॉन्डम की सेल 52 प्रतिशत गिरी है और पुरुष नसबंदी की 73 प्रतिशत. यानी बर्थ कंट्रोल और प्रेग्नेंसी से खुद को बचाने का पूरा भार औरतों के ऊपर है.
कौन सा बर्थ कंट्रोल तरीका है आपके लिए सही?
ये हमें बताया डॉक्टर लवलीना नादिर ने.
डॉक्टर लवलीना नादिर, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, अपोलो हॉस्पिटल, दिल्ली
# परमानेंट तरीका:
नसबंदी. आदमी, औरत दोनों ये ऑपरेशन करवा सकते हैं. आदमियों में इसे vasectomy कहते हैं. ये एक छोटा सा ऑपरेशन है. इसमें एडमिट होने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती. औरतों में दूरबीन द्वारा ये ऑपरेशन किया जाता है.
# नॉन-हॉर्मोनल तरीके
- कॉन्डमः सबसे सेफ़ और आम तरीका है. अनचाहे गर्भ से बचाने के साथ-साथ ये यौन रोगों से भी बचाता है. हर बार एक नया कॉन्डम इस्तेमाल करना चाहिए.
-इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेपटिव डिवाइस. IUCD: आम भाषा में इसे कॉपर-टी या मल्टीनोड कहते हैं. ये तीन से पांच साल के लिए लगाई जाती है. इसे निकलवा भी सकते हैं. इसमें कोई दर्द नहीं होता. शरीर पर इसका कोई बुरा असर नहीं होता. ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान भी ये बिलकुल सेफ़ है. इससे सिर्फ़ कभी-कभार ब्लीडिंग हो सकती है, पहले दो-तीन महीने तक, जो समय के साथ ठीक हो जाता है.
इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेपटिव डिवाइस. जिसे आम भाषा में कॉपर-टी या मल्टीनोड के नाम से जाना जाता है
गर्भ निरोध के हॉर्मोनल तरीके
-ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्सः इसमें एक पिल हर रोज़ लेनी पड़ती है. ये कई किस्म की आती हैं. ये आपके डॉक्टर बताएंगे कि आपको कौन सी पिल सूट करेगी. इसका फायदा ये है कि इससे ब्लीडिंग कम हो जाती है, ब्लीडिंग कम होने से औरतों में अनीमिया कम देखा जाता है. इससे एक्ने या पिंपल कम हो जाते हैं. बहुत थोड़े से साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं. जैसे थोड़ा सिरदर्द, उल्टी आना, मूड स्विंग. इसका इस्तेमाल पांच साल तक के लिए किया जा सकता है.
-इमरजेंसी कॉन्ट्रासेपटिव पिल: इन्हें प्लान बी, इमरजेंसी पिल भी कहा जाता है. ये केवल इमरजेंसी के लिए हैं. अनसेफ़ सेक्स के बाद इसे तुरंत खाना चाहिए. इसे सेक्स के 72 घंटों के अंदर ही लेना होता है, उसके बाद ये असर नहीं करता. बार-बार इस्तेमाल करने पर तो पीरियड साइकल बिगड़ जाएगी. इर्रेगुलर ब्लीडिंग भी हो सकती है.
- हॉर्मोनल IUCD: इसमें हॉर्मोन्स होते हैं. जो काम सामान्य IUCD की तरह तो करते ही हैं. साथ में जिन लोगों को पीरियड के दौरान बेहद दर्द होता है और बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है. डॉक्टर उन्हें इसके इस्तेमाल की सलाह देते हैं.
हॉर्मोनल तरीकों में सबसे आम है ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स
-इनके अलावा हॉर्मोनल वजाइनल रिंग्स भी आते हैं
-इम्प्लान्ट्स भी आते हैं
-जो आपके डॉक्टर सही समझेंगे वो गर्भ निरोध आपको दिया जाएगा
आपने सारे गर्भ निरोध के तरीकों के बारे में विस्तार से जान लिया. किसका क्या फ़ायदा है, क्या नुकसान ये भी समझ लिया. पर आपके लिए कौन सा गर्भ निरोध का ऑप्शन सबसे सही है, ये चुनने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लें.
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