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श्वेत प्रदर यानी vaginal discharge के myths

न केवल इंडिया, बल्कि पूरी दुनिया की लड़कियां असहज महसूस करती हैं

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जैसे ही लड़कियां बड़ी होती हैं, तो उन्हें दी जाने वाली तमाम नसीहतों में एक नसीहत ये भी होती है कि अपने अंडरगारमेंट्स को कैसे छुपा कर सुखना है.
कल रात मेरी रूममेट की दोस्त हमारे फ्लैट में रुकने आई. सुबह नहाने के बाद उसने पूछा कि कपड़े कहां सुखाते हैं. मैंने उसे बालकनी का रास्ता दिखा दिया, जहां कपड़े सुखाने वाला स्टैंड रखा था. बालकनी पहुंचकर उसने पहले पूरी सोसाइटी देखी. ऊपर नीचे गर्दन घुमाकर देखा कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा. जैसे ही उसे तसल्ली हुई कि कोई कुछ नहीं देख रहा, तो उसने झट से अपने कपड़े डाले और उसपर टॉवल डाल दी. मैं उसे ये सब करते हुए शांति से देख रही थी. अंदर आते ही उसने मुझसे कहा कि अंदर पहनने वाले कपड़े खुले में सुखाने में वो असहज महसूस करती है. उसे वैजिनल डिस्चार्ज होता है, जिसके कारण पैंटी के एक पैच का रंग उड़ जाता है. जिसके कारण उसे बड़ी एमबैरेसमेंट होती है.
उससे बात करने के बाद मैंने सोचा, ऐसा तो कितनी ही लड़कियों के साथ होता होगा तो क्यों ना इसपर बात की जाए. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है.

असहजता का कारण क्या है?

DDLJ का एक आइकॉनिक सीन है. काजोल का बैग गिर जाता है. वो हड़बड़ी में सारा सामान बैग में भरती हैं, लेकिन उनकी ब्रा छूट जाती है. शाहरुख़ ब्रा उठाकर उन्हें देते हैं. शाहरुख़ के हाथ में अपनी ब्रा देखकर काजोल ऐमबैरेस हो जाती हैं और जल्दी से उसे छीनकर छुपा देती हैं.
DDLJ का सीन
फ़िल्में समाज का ही आईना है. DDLJ का यह आइकॉनिक सीन समाज का ही एक सीन है.

ये सीन हमें अंडरगारमेंट्स को लेकर सोसाइटी में जो स्टिग्मा है, वो दिखता है. जैसे ही लड़कियां बड़ी होती हैं, तो उन्हें दी जाने वाली तमाम नसीहतों में एक नसीहत ये भी होती है कि अपने अंडरगारमेंट्स को कैसे छुपा कर सुखना है. अगर घर में मर्द हैं तो उन्हें पता नहीं चलना चाहिए कि तुम्हारे अंडरगारमेंट्स कहां सूख रहे हैं. इस ट्रेनिंग का नतीजा ये होता है कि लड़कियां ये मानने लगती हैं कि उनके अंडरगारमेंट्स कोई खुफिया चीज़ है, जिसके बारे में खुलकर बात नहीं कर सकते या उन्हें खुले में नहीं सुखा सकते.
खैर, ये नसीहतें लड़कों से कभी नहीं दी जातीं. उनसे कभी नहीं कहा जाता कि अपने अंडरगारमेंट्स या बनियान, टॉवल के अंदर छिपा कर सुखाने.
मुझे याद है बचपन में मैं अन्नपूर्णा गारमेंट्स में कपड़े खरीदने जाती थी. लड़कियों के इनरवियर दिखाने के लिए काउंटर पर एक दीदी होती थीं. एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ वहां अंडरगारमेंट्स लेने गई. उस दिन वहां कोई लड़की नहीं थी. और आप विश्वास नहीं करेंगे, हमने उस दिन उस दूकान से अंडरगारमेंट नहीं ख़रीदे. हम दो चार चीज़ें टाइमपास में देखकर उलटे पांव लौट आए.
उन्ही दीदी से उस दूकान में हज़ारों मर्द भी अपने अंडरगारमेंट्स ख़रीदते थे. और वो कभी नहीं शरमाते थे. लेकिन एक दिन दीदी की जगह भैया खड़े हो गए तो मैं, मेरी मम्मी और न जाने हमारे जैसी कितनी महलिओं ने अंडरवियर खरीदा ही नहीं होगा.
ये सारी बातें मैंने आपको इसलिए बताईं ताकि आपको पता चल सके कि अंडरगारमेंट्स खरीदने और सुखाने को लेकर ही लड़कियों और महिलाओं में इत्ती शर्म है कि उससे जुड़ी कोई बात या हाईजीन से जुड़ी कोई बात होना तो दूर की बात है. लेकिन आज मैं आज लड़कियों के undergarments से जुड़ी उन सारी चीज़ों के बारे में बात करूंगी, जिनके बारे में बात करने में हम शर्माते हैं या झिझकते है या फिर अकेले में गूगल कर के उलटी-सीधी जो जानकारी मिलती है उनपर विश्वास कर लेते हैं.

वजाइनल डिस्चार्ज क्या होता है?

तो भई, सबसे पहली बात करते हैं कि क्यों लड़कियों को अपने अंडरगारमेंट्स टॉवल के अंदर क्यों नहीं सुखाने चाहिए?
क्योंकि भाई ये कोई बॉम्ब नहीं है जो खुली हवा में फट जाएगा. न ही ये कोई ऐसी चीज़ है जिसे देखकर लोग डर जाएंगे. ये तो मेरा मानना है. लेकिन ऐसा न करने के लिए डॉक्टर्स भी कहते हैं. क्यों कहते हैं? उनका लॉजिक क्या है, ये जानने के लिए मैंने बात की डॉ. ऋतु सभरवाल से, जो एक गायनोकोलॉजिस्ट हैं.
"अंडरगारमेंट्स तो हमेशा ही धूप में सुखाने चाहिए. बाक़ी कपड़ों से ज़्यादा ज़रूरी है कि अंडरगारमेंट्स को धूप में सुखाया जाए. धूप सबसे अच्छी एंटी-बैक्टीरियल है. कपड़ों में लगे बैक्टीरिया या किसी भी तरह का इन्फेक्शन, धूप से सारे बैक्टीरिया मरने के पूरे पूरे चांस होते हैं.
जो ऊपर के कपड़े हैं, उसमें बैक्टीरिया तो फिर भी कम हानिकारक है. लेकिन अंडर गारमेंट्स तो आपके शरीर से चिपके हुए होते हैं. उनका साफ़ रहना बहुत ज़रूरी है. नहीं तो यूरिन में या वजाइना में इंफेक्शन होने के चांस से ज़्यादा बढ़ जाते हैं."
सांकेतिक तस्वीर
इस तस्वीर को देख कर असहज मत हों. हम इसी स्टिग्मा की बात कर रहे हैं. (तस्वीर ट्विटर से ली गई)

बहुत सी लड़कियां इस शर्म के कारण भी अपने undergarments खुले में नहीं सूखातीं क्योंकि उसके एक पैच का रंग उड़ा हुआ होता है. चाहे आप कितनी ही अच्छी ब्रांड की पैंटी क्यों न खरीद लें, एक टाइम बाद रंग फेड हो ही जाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है ये पूछा मैंने डॉ ऋतु से.
"जो वेजाइनल डिसचार्ज होता है, उसका pH कम होता है. मतलब, वजाइना से निकलने वाला प्रदर एसिडिक होता है. और अगर कोई लिक्विड एसिडिक है, तो कपड़ों का रंग उड़ जाना बहुत नॉर्मल है. इसमें कोई शर्म करने वाली बात नहीं है."
वजाइना से जो डिस्चार्ज होता है, क्या ये नार्मल है? या ये किसी समस्या के कारण होता है. ये भी जाना मैंने डॉ ऋतु से.
"पीरियड शुरू होने के साथ ही वेजाइनल डिसचार्ज होने शुरू हो जाते हैं. और जब तक मेनोपॉज़ नहीं होता, तब तक होते रहते हैं. रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप में एक बहुत सामान्य बात है और इसके लिए बिल्कुल परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है. सेक्स के दौरान यह एक लुब्रिकेंट के जैसा काम करता है.
लेकिन अगर आपको डिस्चार्ज के साथ जलन हो रही है, खुजली हो रही है या डिस्चार्ज का रंग हरा या लाल जैसा कुछ आ रहा है, उस केस में आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए."
मार्किट में बहुत सारे वजाइना क्लीनिंग प्रोडक्ट्स मिलते हैं. क्या उन्हें यूज़ किया जाना चाहिए? उन्हें यूज़ करना सेफ है?
"एक मेडिकल पॉइंट ऑफ़ व्यू से ऐसे प्रोडक्ट्स बिल्कुल ग़ैर-ज़रूरी हैं. यह बिल्कुल सामान्य ह्यूमन डिस्चार्ज है. जैसे हम लोगों को पसीना आता है, उसके लिए कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. वैसे ही वजाइनल डिस्चार्ज के लिए भी कुछ भी करना ज़रूरी नहीं है. यह बस मार्केटिंग स्ट्रेटजी है कि कुछ कंपनियां ऐसे प्रोडक्ट्स बेच रही हैं."
उम्मीद है, अब आपको सारी चीज़ें क्लियर होंगी. वजाइना हमेशा गर्म और मॉइस्ट होती है. इसका स्ट्रक्चर ऐसा है कि ये ऑटोमेटिकली खुद को साफ़ करता रहता है. जिसके कारण कुछ डिस्चार्ज होते हैं. चूंकि इसकी pH वैलयू 7 से कम होती है, इसलिए ये एसिडिक नेचर का होता है. जिस वजह से पैंटी के उस हिस्से का रंग उड़ जाता है जो वजाइना के निचे होता है. और ये बहुत नार्मल है. इससे किसी भी लड़की को शर्माने की ज़रूरत नहीं है.
इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है मुझे कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताइएगा.