Lallantop के व्यूअर हैं दीपक. उनको स्पोर्ट्स का बड़ा शौक है. फिट रहने के लिए वो रोज़ रनिंग करते हैं. पर पिछले कुछ समय से उनके पैर के अंगूठे में एक अजीब सी समस्या शुरू हो गई है. नाखून एकदम काला पड़ गया है और उसमें दर्द रहता है. दिन-पर-दिन दर्द बढ़ता जा रहा है. पहले उन्हें लगा था कि हो सकता है फंगल इन्फेक्शन हो गया हो. पर डॉक्टर को दिखाने पर पता चला ये फंगल इन्फेक्शन नहीं रनर्स टो की समस्या है. जिसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है उनका जूता.
अंगूठे का नाखून काला पड़ रहा है? तुरंत अपना जूता बदलें
अगली बार जब आप जूते ख़रीदने जाएं तो कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें.
रनर्स टो एक बहुत आम समस्या है. बहुत बार हम जूते उनके स्टाइल को देखकर पसंद करते हैं. पर ज़रूरी नहीं जो चीज़ दिखने में अच्छी लगे, वो पहनने में भी ठीक हो. दीपक चाहते हैं हम अपने शो पर रनर्स टो के बारे में बताएं. ये क्या होता है, क्यों होता है, क्या गलतियां अवॉइड करनी चाहिए, इसका इलाज क्या है, डॉक्टर से पूछकर बताएं.
रनर्स टो क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर अभिजीत तायडे ने.
जो लोग बहुत रनिंग करते हैं, स्पोर्ट्स खेलते हैं, ख़ासतौर पर फुटबॉल या स्क्वैश उनमें रनर्स टो की समस्या होती है. पैर के बड़े अंगूठे के नाख़ून के अंदर कालापन दिखने लगता है. ये होता है रनर्स टो.
कारणरनर्स टो होता है स्ट्रेस पड़ने के कारण. इसमें अंगूठे के ऊपर स्ट्रेस पड़ता है. स्ट्रेस पड़ने के कई कारण हैं. स्ट्रेस से कालापन आना शुरू होता है क्योंकि अंगूठे के नीचे ब्लीडिंग होना शुरू हो जाती है. इसके जमा होने से कालापन दिखने लगता है. स्पोर्ट्स खेलने वाले और दौड़ने वाले लोगों के लिए सही जूता पहनना ज़रूरी होता है. अगर आप टाइट जूते पहनते हैं जिससे अंगूठा जूते से रगड़ता रहता है तो वहां रगड़ के कारण दर्द शुरू हो जाता है. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. अगर इसे ठीक करना है तो ज़रूरी है जूता पैर से रगड़े नहीं.
लक्षण-पहली चीज़ नाखून के नीचे कालापन दिखता है.
-इसमें कभी-कभी दर्द होता है, कभी-कभी नहीं होता.
-अगर दर्द नहीं है तो बहुत अच्छी बात है.
-ये अपने आप ठीक हो जाएगा.
-पर अगर दर्द है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
-कई बार लगता है कि ये रनर्स टो है, पर ये कुछ और निकलता है.
-इसलिए दिखाना ज़रूरी है.
-ये फंगल इन्फेक्शन हो सकता है.
-दर्द और कालापन अहम लक्षण हैं.
इलाजइस बात पर नज़र रखें कि क्या कालापन बढ़ रहा है. अगर बढ़ रहा है तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं. सही जूते पहनना बहुत ज़रूरी है. टाइट जूते न पहनें. जूता हमेशा आधा इंच बड़ा लें. आधा इंच बड़ा रखने से पंजे जूते से नहीं घिसेंगे. मोज़े पहनते हैं तो मोटा सोल पहनिए. पतला सोल पहनने से रगड़ का चांस ज़्यादा है. मोटा सोल पहनने से पंजा डायरेक्ट जूते से रगड़ेगा नहीं. रनिंग के टाइम सपोर्ट मिलेगा.
जो लोग रनिंग करते हैं, उन्हें पैर में ज़्यादा पसीना आता है. मोज़ा गीला न रहे इस बात पर ध्यान दें क्योंकि इससे फंगल इन्फेक्शन हो सकता है. जूते के फीते बहुत टाइट न बांधें. इससे भी जूता टाइट हो जाता है. पैर पर स्ट्रेस पड़ता रहता है. बहुत लूज़ भी न रखें. बहुत बार ये अपने आप ठीक हो जाता है. इसलिए नाख़ून को बढ़ने दीजिए. धीरे-धीरे वो पार्ट निकल जाएगा. दर्द चला जाएगा.
अगर दर्द बहुत ज़्यादा है तो कई बार वहां सूई डालकर जो खून जमा हुआ है, उसे निकाला जाता है. एक बार खून निकल जाए तो नाखून भी धीरे-धीरे अपने आप बढ़कर निकल जाता है. पर 90 पर्सेंट मरीज़ों में ये अपने आप ठीक हो जाता है. 10 पर्सेंट मरीज़ों में ये अपने आप ठीक नहीं होता. तब सूई लगाने की नौबत आती है. पर घबराने की बात नहीं है. बस जूतों का ध्यान रखें, ये दिक्कत नहीं आएगी.
तो अगली बार आप जूते ख़रीदने जाएं तो डॉक्टर साहब की बताई गई टिप्स का ध्यान रखें, इस समस्या से बचे रहेंगे.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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