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ना चश्मा, ना लेंस, ऐसे होंगी हमेशा के लिए आंखें ठीक!

इस सर्जरी में जो नंबर हटाया जाता है, वो दूर का नंबर होता है.

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इसका ख़र्चा 30 हज़ार रुपए से लेकर 90 हज़ार रुपए तक आ सकता है
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

राशी 27 साल की हैं. बिजनौर की रहने वाली हैं. 14 साल की उम्र में उनको चश्मा लग गया था. तब से उन्हें चश्मा पहनना पसंद नहीं है. जब वो छोटी थीं तब उनके मम्मी-पापा उन्हें कॉन्टैक्ट लेंस नहीं पहनने देते थे. पर जैसे ही राशी ने कमाना शुरू किया, सबसे पहला काम जो उन्होंने किया वो था कॉन्टैक्ट लेंसेस ख़रीदना. इतने सालों से वो कॉन्टैक्ट लेंसेस लगा रही हैं. पर राशी चाहती हैं वो हमेशा के लिए चश्मे को बाय-बाय कह दें. उनके चश्मे का नंबर -8 है. उन्होंने ऐसी सर्जरीज के बारे में कई लोगों से सुना है, जिनको करवाने से हमेशा के लिए चश्मा हट सकता है. वो चाहती हैं हम इस सर्जरी पर एक एपिसोड बनाएं. ये क्या होती है, कैसे की जाती है, क्या ये सेफ़ है, क्या वो इसे करवा सकती हैं, कितना ख़र्चा आता है, वगैरह. राशी की तरह और भी कई लोग चश्मे से निजात पाना चाहते हैं. पर क्या हर कोई ये सर्जरी करवा सकता है? जवाब है नहीं. सबसे पहले ये जान लेते हैं किस तरह की सर्जरी करवाने से चश्मा हट सकता है. चश्मा हटवाने के लिए आंखों पर कौन सी सर्जरी की जाती है? ये हमें बताया डॉक्टर आभा गौर ने.
Abha GOUR | Dr. Shroff's Charity Eye Hospital, New Delhi | cornea डॉक्टर आभा गौर, कंसल्टेंट कॉर्निया सर्विसेस, डॉक्टर श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल


-चश्मा हटवाने के लिए लेसिक सर्जरी करवा सकते हैं.
-लेसिक सर्जरी चश्मे का नंबर हमेशा के लिए पुतली पर डाल देती है.
-ये दो तरह से हो सकता है.
-पहला. इसे फ्लैप बनाकर किया जाए.
-दूसरा. बिना फ्लैप के पुतली पर डायरेक्ट किया जाए.
-पहली तरह की सर्जरी में एक पतला सा फ्लैप लिया जाता है.
-लेज़र से उसका नंबर ठीक किया जाता है.
-फिर फ्लैप को वापस रख दिया जाता है, जो अपने आप चिपक जाता है.
-ये फ्लैप या तो मोटराइज्ड ब्लेड से बनता है.
-जिसमें कोई दर्द नहीं होता, इंजेक्शन नहीं लगाना पड़ता.
-या लेज़र से किया जा सकता है.
-दोनों चीज़ों में पैसों का फ़र्क होता है.
-क्योंकि अगर ब्लेड से फ्लैप बनाया जाता है तो वो थोड़ा मोटा बनता है.
LASIK enhancement: When additional surgery is needed चश्मा हटवाने के लिए लेसिक सर्जरी करवा सकते हैं


-चश्मे के ज़्यादा नंबर वाले लोगों के लिए ये ठीक नहीं रहता. लेसिक सर्जरी कैसे की जाती है? -लेसिक सर्जरी तीन प्रकार से की जाती है.
-पहला. फ्लैप लेज़र से बनाया जाता है.
-जिसे फेम्टो आई लेसिक या ब्लेड फ्री लेसिक कहा जाता है.
-इसमें पतला सा फ्लैप लेज़र की मदद से बनाया जाता है.
-दूसरी मशीन उसी फ्लैप का नंबर ठीक करती है.
-दूसरा तरीका. इसमें आंखों पर एक रिंग फ़िक्स की जाती है.
-ताकि आंख न हिले.
-एक मोटराइज्ड ब्लेड फ्लैप को बनाता है.
-उसी फ्लैप को लेज़र की मदद से ठीक किया जाता है, उसका नंबर सही किया जाता है.
-तीसरा तरीका. इसमें पुतली के ऊपर मौजूद सेल्स को हटा देते हैं.
-फिर लेज़र किया जाता है.
-आंख के ऊपर के सेल्स 1-2 दिन के अंदर वापस आ जाते हैं.
-इस सर्जरी को पीआरके कहा जाता है.
-इसमें पहले 1-2 दिन थोड़ा दर्द और चुभन होती है.
-पर दूसरे, तीसरे दिन के बाद के बाद ये नॉर्मल हो जाता है.
-ये सर्जरी भी सेफ़ है, पर ये इस पर निर्भर करता है कि नंबर कितना है.
-पीआरके 5-6 नंबर से ज़्यादा वाले लोगों पर नहीं की जाती. कौन लोग ये सर्जरी करवा सकते हैं? -ये सर्जरी उन लोगों के लिए है जो चश्मा नहीं पहनना चाहते हैं.
-इस सर्जरी में जो नंबर हटाया जाता है, वो दूर का नंबर होता है.
-यानी जिन लोगों को दूर का देखने के लिए सारा टाइम चश्मा लगाना पड़ता है.
LASIK Eye Surgery: Overview ये सर्जरी भी सेफ़ है, पर ये इस पर निर्भर करता है कि नंबर कितना है


-40-45 के बाद पढ़ने के लिए ज़्यादातर लोगों को चश्मे की ज़रूरत पड़ती है.
-वो लेज़र सर्जरी करवाने के बाद भी रहता है.
-जो नॉर्मल नंबर हैं जैसे 4, 5, 6 ये बहुत ही आसानी से लेज़र से हटाए जा सकते हैं.
-पर जिन लोगों में चश्मे का नंबर 10,11 से ऊपर होता है, उनमें टेस्ट बहुत ज़रूरी होते हैं.
-ये देखा जाता है कि कितना नंबर सेफ़ली निकाला जा सकता है.
-ये भी देखा जाता है कि क्या दूसरे प्रोसीजर करने की ज़रूरत है.
-जिससे हाई नंबर का चश्मा हटाया जा सके.
-जिन लोगों को चश्मा नहीं लगाना, उनके लिए कई सेफ़ ऑप्शन उपलब्ध हैं. सर्जरी करवाने से पहले और बाद में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? -पहले चेकअप के लिए आते हैं
- उससे 1-2 दिन पहले कॉन्टैक्ट लेंस न लगाएं.
-कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से कॉर्निया (आंखों का पारदर्शी भाग) का स्ट्रक्चर थोड़ा बदल जाता है.
-इसलिए जो स्कैन लिया जाता है, वो परफेक्ट नहीं होता.
-कॉन्टैक्ट लेंस पहले से न इस्तेमाल करें.
-इस बात का ज़रूर ध्यान रखें कि चश्मे का नंबर 6 महीने से लेकर 1 साल तक बदला न हो.
-तभी लेज़र करवाने की सलाह दी जाती है.
-ये सारे टेस्ट होने के बाद जिस दिन सर्जरी के लिए बुलाया जाता है, उसके 1-2 दिन पहले से आंखों पर कोई मेकअप न लगाएं.
-आंख के आसपास सफ़ाई रखें.
LASIK Surgery is Safe? Here Are What You Need to Know! जिन लोगों में चश्मे का नंबर 10,11 से ऊपर होता है, उनमें टेस्ट बहुत ज़रूरी होते हैं


-ऑपरेशन होने के 3-4 दिन बाद तक बाल धोने के लिए मना किया जाता है.
-ऑपरेशन करवाने के 1-2 बाद तक आंखों में पानी, धूल-मिट्टी एकदम न जाए.
-2 से 3 हफ़्तों तक आंखों पर मेकअप न लगाएं.
-तैरना अवॉइड कीजिए.
-सर्जरी के 4-5 दिनों बाद तक चश्मा लगाकर रखने की सलाह दी जाती है.
-ताकि आंखों पर गलती से हाथ न लगे.
-रात में सोते समय प्लास्टिक का एक कवर दिया जाता है.
-ताकि सोते समय आप गलती से अपनी आंखों को रगड़ न दें. कितना ख़र्चा आता है? -टेस्ट पर ख़र्चा निर्भर करता है कि कौन सी सर्जरी करवाने की सलाह दी जाएगी.
-इसका ख़र्चा 30 हज़ार रुपए से लेकर 90 हज़ार रुपए तक आ सकता है.
-फेम्टो या ब्लेड फ्री लेज़र 90 हज़ार तक पड़ती है दोनों आंखों के लिए.
उम्मीद है आपके मन में लेसिक सर्जरी को लेकर जो भी सवाल थे, वो दूर हो गए होंगे. लेसिक सर्जरी अब काफ़ी आम है. पर कुछ टेस्ट्स होने के बाद ही साफ़ होता है कि आप ये सर्जरी करवा सकते हैं या नहीं. इसलिए एक्सपर्ट से मिलें, उनकी सलाह लेने के बाद ही सर्जरी के बारे में सोचें.