अंकिता भोपाल की रहने वाली हैं. उनकी मम्मी की उम्र 55 साल है. ऑस्टियोआर्थराइटिस की शिकायत है. उनके घुटनों में बहुत ज़्यादा दर्द रहता है. वो चल नहीं पातीं. बैठे-बैठे भी दर्द होता है. डॉक्टर्स ने उन्हें नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाने की सलाह दी है. यानी घुटनों की सर्जरी ताकि वो दोबारा पहले की तरह काम कर सकें. अब अंकिता चाहती हैं कि हम नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बारे में सही जानकारी उन तक पहचाएं. ये क्या होती है, कैसे होती है, कितना खर्चा आ जाएगा वगैरह. तो हमने बात की नी रिप्लेसमेंट सर्जन से. सबसे पहले ये जान लेते हैं कि रिप्लेसमेंट सर्जरी की ज़रूरत क्यों और किसे पड़ती है? क्यों करवानी पड़ती है नी रिप्लेसमेंट सर्जरी? ये हमें बताया डॉक्टर प्रहलाद उघ्रेजा ने.
डॉ. प्रह्लाद उघरेजा, ऑर्थोपैडिक सर्जन, मोरबी, गुजरात
-जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करने का मुख्य कारण होता है ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी जोड़ों में घिसाव
-ऑस्टियोआर्थराइटिस 55 साल से ज़्यादा उम्र वाले लोगों में शुरू होता है
-कुछ लोगों में ऑस्टियोआर्थराइटिस कम उम्र में शुरू हो जाता है, जैसे ज़्यादा वज़न वाले लोगों में
-औरतों में पुरुषों के मुकाबले ऑस्टियोआर्थराइटिस जल्दी होता है
-ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीज़ों को चलने में बहुत दर्द होता है, चलने के लिए छड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता है
-ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीज़ पालथी मारके नहीं बैठ सकते हैं
-इंडियन स्टाइल टॉयलेट नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं
- ऐसे में ज़िंदगी भर दर्द झेलने से बेहतर होता है कि आप अपने घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी करवा लें
जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करने का मुख्य कारण होता है ऑस्टियोआर्थराइटिस
कैसे होती है नी रिप्लेसमेंट सर्जरी? -ऑस्टियोआर्थराइटिस में घुटनों की हड्डियां घिस जाती हैं, औज़ार की मदद से इन हड्डियों को काटा जाता है
-फिर सीमेंट लगाकर जॉइंट रिप्लेसमेंट में इस्तेमाल किया जाने वाला पार्ट घुटने पर लगाया जाता है
-इसके बाद घुटने का जोड़ काम करने लगता है, घुटने के जोड़ मुड़ पाते हैं
-इस सर्जरी को करने में एक से डेढ़ घंटा लगता है
-ऑपरेशन के बाद 3 से 4 दिन मरीज़ को अस्पताल में रखा जाता है
-एक महीने तक मरीज़ को छड़ी की मदद से चलना पड़ता है
-बाद में मरीज़ बिना वॉकर के चल सकते हैं
ऑपरेशन के बाद 3 से 4 दिन मरीज़ को अस्पताल में रखा जाता है
नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कैसे की जाती है, ये डॉक्टर साहब ने समझा दिया. अब जान लेते हैं इसके फ़ायदे क्या हैं? साथ ही सर्जरी करवाने के बाद डॉक्टर्स पेशेंट्स को क्या सलाह देते हैं. और हां, इसमें लगभग कितना ख़र्चा आ जाता है.
फ़ायदे
-मरीज़ को ऑपरेशन के बाद कोई दर्द नहीं होता, पेन किलर नहीं खानी पड़ती जिसके कारण उनकी किडनी या लिवर को नुकसान नहीं पहुंचता, चलने के लिए किसी की मदद नहीं लेनी पड़ती.
टिप्स
-ऑपरेशन के बाद पालथी मारके नहीं बैठना है
-इंडियन स्टाइल टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करना है
-ऐसा करने से जो ऑपरेशन के समय जॉइंट डाला गया होता है वो भी घिसना शुरू हो जाता है
-नार्मल जॉइंट की उम्र 20 से 25 साल होती है
-ये पेशेंट-टु-पेशेंट अलग होती है. निर्भर करता है कि कितने अच्छे से देखभाल की जा रही है
-ऑपरेशन के बाद फ़िज़ियोथेरेपी करनी चाहिए, ताकि जोड़ों की मांसपेशियां मज़बूत रहें
ख़र्चा
-घुटना बदलने के ऑपरेशन का ख़र्चा जॉइंट पर निर्भर करता है
-आप किस कंपनी का जॉइंट लगवा रहे हैं, इससे फ़र्क पड़ता है
-मोटामाटी ख़र्चा 1 लाख 20 हज़ार से 2 लाख तक होता है
-केंद्रीय सरकार ने आयुष्मान भारत कार्ड दिए गए हैं जिसके अंतर्गत जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी बिलकुल मुफ़्त है
चलिए, उम्मीद है सारी जानकारी और एक्सरसाइज़ आपके काम ज़रूर आएगी.
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