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पापा, पति, बेटे का मूड खराब रहता है, जानें इरिटेबल मेल सिंड्रोम क्या होता है?

अगर आप भी अपनी उम्र के 40वें- 50वें पड़ाव पर हैं. और, आपको बहुत ज़्यादा झुंझलाहट महसूस हो रही है. हर पल गुस्सा आ रहा है. कॉन्फिडेंस एकदम गिर गया है. आप खुद को डिप्रेशन में जाता हुआ पा रहे हैं. तो, तुरंत डॉक्टर से मिलें. हो सकता है कि आप मेल इरिटेबल सिंड्रोम के शिकार हो गए हों.

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पुरुषों को भी मेनोपॉज़ होता है, इसे एंड्रोपॉज कहते हैं.

आपने अक्सर ये सुना होगा कि जब लड़कियों को PMS हो रहा होता है, यानी पीरियड्स से कुछ दिन पहले, तो उनका मूड बहुत खराब रहता है. यही मेनोपॉज (Menopause) के समय भी होता है. बहुत गुस्सा आता है. चिड़चिड़ापन होता है. इसके पीछे वजह है, उनके शरीर में बदलाव और हार्मोन्स की उथल-पुथल. पर ऐसा केवल महिलाओं के साथ नहीं होता. पुरुषों के साथ भी होता है. ख़ासकर 40 की उम्र के बाद. बस इस पर ध्यान कम दिया जाता है.

आपको याद होगा, एक समय होता था जब पापा के घर में घुसते ही सब चुपचाप अपना काम करने लगते थे. सबको डर लगता था कि पापा अब किस बात पर फट पड़ेंगे. पापा का मूड ख़राब रहता था. गुस्से में रहते थे. हम में से ज़्यादातर लोगों के घरों की यही कहानी है. हमने ये मान लिया था कि पापा तो हैं ही गुस्सेवाले. काम से परेशान हैं, इसलिए मूड ऑफ़ रहता है. पर हर बार ऐसा नहीं था.

पुरुषों में एक उम्र के बाद इरिटेबल मेल सिंड्रोम की समस्या आती है. जिसका असर उनके मूड से लेकर हेल्थ पर पड़ता है. आज इसी पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि इरिटेबल मेल सिंड्रोम क्या होता है? इस सिंड्रोम के लक्षणों को कैसे पहचानें? यह क्यों होता है? और इरिटेबल मेल सिंड्रोम से राहत कैसे पा सकते हैं?

इरिटेबल मेल सिंड्रोम क्या होता है?

ये हमें बताया अरूबा कबीर ने. 

अरूबा कबीर, मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल, फाउंडर, एन्सो वेलनेस

पुरुषों को भी मेनोपॉज़ होता है. आपने मेल इरिटेबल सिंड्रोम ज़रूर सुना होगा, ये वही है. इसे हम एंड्रोपॉज (Andropause) कहते हैं. ये अक्सर 40 से 50 साल के बाद पुरुषों में देखा जाता है. ज़रूरी नहीं है कि हर पुरुष को ऐसा हो लेकिन, इसके लक्षण देखकर आप बता सकते हैं कि आप या आपके किसी जानकार को मेल मेनोपॉज या मेल इरिटेबल सिंड्रोम हुआ है या नहीं. 

इस सिंड्रोम के लक्षणों को कैसे पहचानें?

- शरीर में थकान रहती है.

- सुस्ती लगती है.

- मूड बहुत ख़राब रहता है.

- छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाते हैं.

- गुस्सा आता है.

- सेक्शुअल लाइफ में लिबिडो यानी कामेच्छा कम हो सकती है.

- इंटिमेट होने का मन नहीं करता या आप ज़्यादा देर तक नहीं कर पाते.

- शीघ्रपतन हो सकता है.

- इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है.

- रिलेशनशिप में छोटी-छोटी बातों पर अनबन हो जाती है.

- धैर्य नहीं रहता.

- आत्मविश्वास गिरने लगता है जिसकी वजह से लो-सेल्फ एस्टीम और डिप्रेशन भी हो सकता है.

- नींद के पैटर्न में भी काफी बदलाव आते हैं.

- आपका मन तनाव में रहता है.

आमतौर पर 40 से 50 साल के बाद ये बदलाव देखने को मिलते हैं. हालांकि ये भी ज़रूरी नहीं है. कई बार कम उम्र वाले लोग भी ये शिकायतें लेकर आते हैं. ये उन पुरुषों में भी ज़्यादा देखा जाता है जिन्हें डायबिटीज़ हो या कोई दूसरा लाइफस्टाइल डिज़ीज़ हो.

यह क्यों होता है?

जैसे औरतों में मेनोपॉज के बाद बदलाव आते हैं, वैसे ही पुरुषों में भी आते हैं. औरतों के मेनोपॉज में उनका मेंस्ट्रुअल साइकिल पूरी तरह से बंद हो जाता है. हर महीने खून आना बंद हो जाता है. वहीं मर्दों में ऐसा नहीं है कि टेस्टोस्टेरोन बनना बंद हो जाता है लेकिन उनमें धीरे-धीरे कमी आ जाती है. पुरुषों के शरीर में बनने वाले सेक्स हार्मोन (Sex Hormones) को टेस्टोस्टेरोन कहा जाता है.

इरिटेबल मेल सिंड्रोम के लक्षण हैं तो डॉक्टर से मिलें, घबराएं नहीं

इरिटेबल मेल सिंड्रोम से राहत कैसे पा सकते हैं?

सबसे पहले आपको अपने डॉक्टर से बात करनी है. डॉक्टर के पास जाना है. वो आपको कुछ सप्लीमेंट्स देंगे. साथ ही थेरेपी करने को बोलेंगे क्योंकि ये बदलाव उन पुरुषों में ज़्यादा और जल्दी आते हैं जिनका इमोशनल वल्नरेबिलिटी कोफिसेंट कम होता है. यानी जो लोग अपनी भावनाएं कम दिखा पाते हैं. हम पितृसत्तात्मक समाज में रहते हैं जिसमें माना जाता है कि मर्द को दर्द नहीं होता, उसे कोई तकलीफ नहीं होती. लेकिन ऐसा नहीं है. मर्द को दर्द भी होता है. डिप्रेशन भी होता है. शायद मेल इरिटेबल सिंड्रोम भी होगा. लिहाजा आपको थेरेपिस्ट के साथ जुड़ना है. अपने बारे में बात करनी है ताकि आप अपनी सोशल, पर्सनल, प्रोफेशनल रिलेशनशिप को अच्छा कर पाएं. 

एक हेल्दी लाइफस्टाइल रखें. जैसे एक्सरसाइज़ करें. अच्छा खाना खाएं. जर्नलिंग करें यानी डायरी लिखें. मेडिटेशन करें. अपनी हॉबीज़ पर ध्यान दें. अपने रिलेशनशिप पर ध्यान दें. मेल इरिटेबल सिंड्रोम से घबराने की ज़रूरत नहीं है. यह एक नैचुरल प्रोसेस है, जहां शरीर में टेस्टोस्टेरोन कम होता है. अगर आप अपना ख्याल रखेंगे तो आपको चिड़चिड़ापन नहीं होगा.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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