ये कहानी है 30 साल के रमित की. पुणे में रहते हैं. एमएनसी में काम करते हैं. शादीशुदा हैं, उनकी एक बेटी भी है. उन्होंने ईमेल के ज़रिए हमसे संपर्क किया. बताया कि वो बहुत परेशान हैं. उन्हें नींद ही नहीं आती. न दिन में. न रात में. आंख लग भी गई तो हर 20 मिनट में नींद टूटती है. ऐसा कुछ महीनों से हो रहा है. अब हालत ये है कि न वो अपने काम पर फोकस कर पाते हैं. न उनकी तबीयत ठीक रहती है, सिर में दर्द रहता है. खाना हज़म नहीं हो पाता. बहुत स्ट्रेस रहता है. डॉक्टर को दिखाया तो पता चला उन्हें इनसोम्निया है. इलाज चल रहा है. नींद की गोलियां दी गईं हैं. पर वो गोलियां नहीं खाना चाहते. रमित चाहते हैं हम इनसोम्निया पर बात करें. और बात भी सही है. नींद कितनी ज़रूरी है आपके शरीर के लिए, शायद आपको अंदाज़ा नहीं है.

अगर आप चाह कर भी नहीं सो पा रहे तो वो आपकी सेहत के लिए बहुत ख़तरनाक है. इनसोम्निया एक आम दिक्कत है. मगर लोग इसके बारे में ज़्यादा तफ़सील से नहीं जानते. और न ही इससे होने वाले असर के बारे में. तो सबसे पहले तो ये जानते हैं कि इनसोम्निया क्या होता, क्यों होता है और इसके लक्षण क्या हैं?
क्या होता है इनसोम्निया?
ये हमें बताया डॉक्टर राक़िब अली ने. वो दिल्ली के बीएलके अस्पताल में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं.

डॉक्टर राक़िब अली, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, बीएलके हॉस्पिटल, दिल्ली
-मेडिकल प्रॉब्लम, स्ट्रेस, किसी अप्रिय घटना के बाद नींद डिस्टर्ब हो जाती है.
-पर कई लोगों में ये प्रॉब्लम लंबी चलती है जिसकी वजह से मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है, इसे हम इनसोम्निया कहते हैं.
-ये एक तरह का साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जिसमें नींद न आना प्रमुख लक्षण होता है.
-जब ये नींद न आना किसी दूसरे मेडिकल प्रॉब्लम या साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे डिप्रेशन की वजह से होता है तो इसे सेकेंडरी इनसोम्निया बोला जाता है
-प्राइमरी और सेकेंडरी इनसोम्निया के लक्षण कुछ-कुछ एक जैसे ही होते हैं
कारण:
-प्री-स्लीप अराउज़ॅल. यानी सोने के समय शरीर का उत्तेजित हो जाना. दिमाग का उत्तेजित हो जाना, जिसके कारण हार्ट रेट बढ़ जाती है, सांस तेज़ आने लगना, पसीना निकलना. इन वजहों से हम रिलैक्स नहीं हो पाते.
-हमारी नींद की प्रक्रिया हमारे न सोने वाले व्यवहार से जुड़ जाती है, जैसे बेड पर लेट कर ज़्यादा मोबाइल देखना, टीवी देखना या अपनी प्रॉब्लम लेकर बेड पर जाना.
-सोते समय ज़्यादा विचार आना

जैसे ही हमारी नींद टूटती है या हमारी नींद की समस्या शुरू होती है, हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव दिखता है
लक्षण:
-आप लेटे हुए हैं पर नींद न आना
-नींद आ गई पर बार-बार आंख खुलना
-सो तो गए, पर जिस पर समय उठना था उससे पहले ही उठ गए. पर जब सोना चाह रहे हैं तो सो नहीं पा रहे
-जब आप सुबह उठ रहे हैं तो फ्रेश महसूस नहीं कर रहे
-दूसरी ज़िम्मेदारियां पूरा करने में दिक्कत आ रही है
-ये सभी लक्षण अगर एक महीने से ज़्यादा रहें या एक हफ़्ते में तीन दिन से ज़्यादा तो ये प्राइमरी इनसोम्निया एक्यूट लेवल पर कहलाता है
-यही लक्षण छह महीने से ऊपर हो जाए तो ये सेकेंडरी इनसोम्निया कहलाता है
अब आते हैं एक और ज़रूरी मुद्दे पर. नींद नहीं आने को हम बहुत हल्के में लेते हैं. पर क्या आपको पता है इनसोम्निया का आपके शरीर और दिमाग पर क्या असर पड़ता है? इस बारे में हमें बताया डॉक्टर अखिल अगरवाल ने. वो कोटा के मानस हॉस्पिटल में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट हैं.

डॉक्टर अखिल अगरवाल, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, मानस हॉस्पिटल, कोटा
नींद न आने से शरीर पर कैसा असर पड़ता है
-नींद हमारी इम्युनिटी के लिए बहुत ज़रूरी है
-जैसे ही हमारी नींद की समस्या शुरू होती है, हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव दिखता है
-जैसे दिन भर थकान रहना, कमज़ोरी होना
-काम में मन न लगना
-शरीर और दिमाग दोनों थके हुए लगते हैं
-सिर भारी होने लगता है, आंखें भारी होने लगती हैं
-बार-बार बुखार आना, कफ़ रहना
-टीबी, शुगर बढ़ना, बीपी बढ़ना
-सबसे बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है मन पर. जैसी ही आपको नींद नहीं आती है आप महसूस करते हैं आप चिड़चिड़े हो रहे हैं, गुस्सा ज़्यादा आ रहा है. आपको डिप्रेशन होने लगता है. साइकोटिक एपिसोड होने लगते हैं.
- भ्रम होने लगता है, दौरे पड़ने लगते हैं. हालत ज्यादा बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है.
इलाज:
-अगर प्राइमरी इनसोम्निया है तो हमें हमारी स्लीप हाईजीन हैबिट को बढ़ाना चाहिए
-जैसे एक तय समय पर सोना शुरू करिए. कोशिश करिए उस समय से 10-15 मिनट पहले आप बेड पर चले जाएं
-जब आप बेडरूम में जाएं तो कोशिश करें नहाकर जाएं
-बेडरूम आपका साफ़-सुथरा हो
-बेडशीट साफ़ हो, स्मेल अच्छी हो

-रूम में लाइट न हो, डार्क कलर के परदे हों
-आवाज़ न हो
-सोने से एक से डेढ़ घंटा पहले मोबाइल बंद कर दें, टीवी बंद कर दें. ब्लू लाइट न हो
-रात को सोते समय गर्म दूध लीजिए
-ड्राई फ्रूट्स लीजिए
-फल खाइए जैसे केले, चेरी
-सोने से पहले मन को डाइवर्ट करें
-उसके लिए उल्टी गिनती गिनिए, ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ कर सकते हैं
-शाम को थोड़ा एक्सरसाइज़ करिए ताकि थोड़ा शरीर थके
-अगर आप सोने जाते हैं और 15 मिनट तक बिस्तर पर नींद नहीं आती है तो कोशिश करें बिस्तर से उठ जाएं
-उठकर आप कोई किताब पढ़ें या दूसरे रूम में चले जाएं
-जब नींद आने लगे तब दोबारा बिस्तर पर आ जाएं
-अगर इनसोम्निया डिप्रेशन या किसी और मानसिक बीमारी के कारण है तो उस पर काम करिए
तो अगर आपको नींद नहीं आ रही है. थका हुआ लगता है, फिर भी आप सो नहीं पा रहे. सो रहे हैं तो नींद पूरी नहीं हो रही. इन सब बातों को नज़रअंदाज़ मत करिए. किसी से बात करिए. डॉक्टर से मिलिए. और मदद लीजिए.
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