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सिर, दाढ़ी में एक्ने जैसे दाने फॉलिकुलाइटिस हो सकता है

फॉलिकुलाइटिस से पीड़ित किसी व्यक्ति के शरीर के बाल वाले हिस्सों में मुंहासे जैसे दाने हो जाते हैं. गर्मियों में ये समस्या बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में इनका समय पर इलाज कराना ज़रूरी है.

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मुंहासे जैसे इन दानों को छूने से बचें.

हमारे एक पाठक हैं पंकज. दिल्ली के रहने वाले हैं. उनका हमें मेल आया. मेल में उन्होंने लिखा कि उनके दाढ़ी वाले हिस्से में छोटी-छोटी फुंसी हो गई हैं. एक-दो बार उन्होंने वहां खुजला लिया. इसके बाद वो और भी जगह फैल गईं. अब इनमें खुजली और जलन भी हो रही थी. इस दिक्कत से परेशान होकर पंकज डॉक्टर के पास गए. वहां जाकर पता चला कि उन्हें फॉलिकुलाइटिस हो गया है. इसमें शरीर के बाल वाले हिस्सों जैसे- सिर, दाढ़ी, सीने आदि में दाने निकल आते हैं. जो बहुत दर्द देते हैं. आज हम इसी पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि फॉलिकुलाइटिस क्या होता है? इसके होने के पीछे क्या कारण हैं? गर्मियों में फॉलिकुलाइटिस की समस्या क्यों बढ़ जाती है? साथ ही समझेंगे कि इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए? 

फॉलिकुलाइटिस क्या होता है?

ये हमें बताया डॉ. मनीष जांगड़ा ने. 

डॉ. मनीष जांगड़ा, कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट, पार्क हॉस्पिटल

जहां से हमारे बाल निकलते हैं, उसके फॉलिकल यानी रोम के इंफेक्शन को फॉलिकुलाइटिस कहते हैं. फॉलिकुलाइटिस में कुछ पस वाले दाने बन जाते हैं. हेयर फॉलिकल यानी रोम के आसपास सूजन हो जाती है. स्किन लाल पड़ जाती है. इसे ही फॉलिकुलाइटिस कहा जाता है.

कारण

फॉलिकुलाइटिस होने के कई सारे कारण हो सकते हैं. इसमें मुख्य कारण है बैक्टीरिया का इंफेक्शन. बैक्टीरिया के इंफेक्शन में भी सबसे आम स्टैफिलोकोकस और स्यूडोमोनास है. ये इंफेक्शन हमें कई चीज़ों की वजह से हो सकते हैं. जैसे हॉट टब या स्विमिंग पूल में नहाने से. दूसरा मुख्य कारण फंगल इंफेक्शन है. फंगल की वजह से भी फॉलिकुलाइटिस हो सकता है. कई बार यह किसी वायरस से भी हो सकता है. कुछ परजीवी भी फॉलिकुलाइटिस कर सकते हैं. किसी ट्रॉमा या दूसरी वजहों से भी यह हो सकता है.

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ऑयली स्किन वालों में फॉलिकुलाइटिस ज़्यादा फैलने की संभावना है

गर्मियों में ये समस्या क्यों बढ़ जाती है?

इसके कई रिस्क फैक्टर हैं. पहला है ऑयली स्किन जिनकी स्किन ज़्यादा ऑयली है, उनमें ये फैलने की ज़्यादा संभावना है. इसके अलावा दाढ़ी, स्कैल्प, जांघों और सीने वाले एरिया में ये ज़्यादा होता है. बहुत दर्द देता है, असहज महसूस होता है. गर्मियों में टाइट कपड़े पहनना भी बड़ा कारण है. टाइट कपड़े पहनने से पसीना ज़्यादा आता है. इससे बैक्टीरिया का विकास होता है. फिर वो स्किन में मौजूद ओपन पोर्स में जाकर उसे इंफेक्ट कर देता है. इससे गर्मियों में फॉलिकुलाइटिस की समस्या बढ़ जाती है. हमारा वातावरण भी नम और गर्म रहता है. इन सब वजहों से फॉलिकुलाइटिस बढ़ जाता है. 

बचाव और इलाज

गर्मियों में टाइट कपड़े पहनना अवॉइड करें. कॉटन के कपड़े पहनें. जब जिम जाते हैं तो वहां बहुत पसीना आता है. जिम के पसीने वाले कपड़े जल्दी बदल लें. उन्हें ज़्यादा देर तक न पहनें. ठंडे पानी से नहाएं. अपनी डाइट भी थोड़ी कंट्रोल करें. शुगर और ऑयली चीज़ों को अवॉइड करें. शेविंग करते समय धारदार रेज़र का इस्तेमाल करें. हाथ से बाल को न तोड़ें, इससे सूजन बढ़ सकती है. अगर एक जगह फॉलिकुलाइटिस हो गया है तो वहां बार-बार हाथ न लगाएं. उसे फोड़ने की कोशिश न करें. इससे वो बाकी जगह फैल सकता है. फॉलिकुलाइटिस के बाद शेविंग करने से भी ये फैल सकता है. 

फॉलिकुलाइटिस के मरीज़ को एंटीबायोटिक दी जाती है क्योंकि आमतौर पर यह बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से होता है. अधिकतर मरीज़ इससे ठीक हो जाते हैं. एंटीबायोटिक दो तरीके से दी जाती है. एक, खाने के लिए. दूसरी, क्रीम लगाने के लिए. अगर इससे मरीज़ ठीक नहीं होता है तो कई बार ये फंगस की वजह से हो सकता है. इसमें एंटी-फंगल ट्रीटमेंट दिया जाता है. बहुत रेयर केस में वायरस की वजह से भी ये इंफेक्शन हो सकता है. कई बार फॉलिकुलाइटिस को एक्ने समझ लिया जाता है. एक्ने और फॉलिकुलाइटिस के दाने अलग-अलग होते हैं. हमें अच्छे से इसका इलाज लेना चाहिए. अपने आसपास स्किन के डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 

अगर आपको ये समस्या है, तो उस जगह पर बार-बार हाथ न लगाएं. इससे इंफेक्शन फैल सकता है. खुद से एंटीबायोटिक्स लेने की कोशिश न करें. पहले डॉक्टर की सलाह लें. फिर डॉक्टर जो दवाएं बताए, वो ही खाएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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