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खाना निगलने में दिक्कत है? कहीं डिस्फेजिया तो नहीं, डॉक्टर से जानिए बचना कैसे है

जो लोग खाना खाते ही लेट जाते हैं, पेट भरकर खाते हैं या खाने में बहुत गैप रखते हैं. काफी ज़्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स और कैफीन का इस्तेमाल करते हैं. बहुत मसालेदार खाना खाते हैं तो उन लोगों के गले में खाना अटकने की दिक्कत ज़्यादा होती है. डॉक्टर से इस बारे में सबकुछ जानिए.

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खाना गले में अटकता हो तो पानी खूब पिएं

जब आप खाने के बड़े निवाले लेते हैं. या खाना ठीक से नहीं चबाते. तब क्या होता है? खाना आपके गले में अटक जाता है. आपसे खाना निगला नहीं जाता. ये एक आम दिक्कत है जो कभी न कभी होती ही है. खाना निगलने में कठिनाई हो, तो इसे डिस्फेजिया (Dysphagia) कहा जाता है. कभी जब हम बात करते-करते, हंसते हुए या लेटकर खाना खाते हैं तो खाना गले में अटकने लगता है. फिर जब हम पानी पीते हैं तो दिक्कत ठीक हो जाती है.

हालांकि अगर आपके गले में अक्सर खाना फंस जाता है. गले या छाती में कुछ अटका हुआ महसूस होता है. खांसते समय गले में दर्द होता है. ऐसा लगता है, जैसे खाना ऊपर की ओर आ रहा है. तो, यह किसी गंभीर बीमारी का इशारा भी हो सकता है. लिहाज़ा गले में खाना क्यों अटक रहा है, यह समझना बहुत ज़रूरी हो जाता है. ऐसे में आज डॉक्टर से जानेंगे कि बार-बार खाना निगलने में दिक्कत क्यों होती है? इसके पीछे क्या कारण हैं? इससे बचाव कैसे किया जाए? और, इसका इलाज समय पर करवाना क्यों ज़रूरी है? 

खाना निगलने में दिक्कत क्यों होती है?
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डॉ. अनीश गुप्ता, लीड कंसल्टेंट, ईएनटी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

खाना निगलने में दिक्कत होने का सबसे आम कारण एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux) है. इसमें हमारे खाने की नली और पेट के बीच मौजूद वॉल्व ढीला हो जाता है. इससे पेट का एसिड ऊपर की ओर खाने की नली में आने लगता है और गले तक पहुंच जाता है. इस वजह से खाने की नली में ऐंठन होने लगती है और ऐसा लगता है कि गले में कुछ अटका हुआ है. फिर खाना निगलने में भी दिक्कत होती है. 

डिस्फेजिया होने की दूसरी वजह गले और खाने की नली में कैंसर होना है. वहीं जो लोग स्मोकिंग करते हैं, तंबाकू खाते हैं या ज़्यादा शराब पीते हैं. उन्हें भी खाना निगलने में दिक्कत होती है. तीसरा कारण डिस्मोटिलिटी डिसऑर्डर्स हैं. इन्हें ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम कंट्रोल करता है. अगर इस सिस्टम में कोई दिक्कत आ जाए तो डिस्मोटिलिटी डिसऑर्डर हो सकता है. इससे खून की नली ढंग से काम नहीं कर पाती और खाना अटकना शुरू हो जाता है.

जो लोग खाना खाते ही लेट जाते हैं, पेट भरकर खाते हैं या खाने में बहुत गैप रखते हैं. काफी ज़्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स और कैफीन का इस्तेमाल करते हैं. बहुत मसालेदार खाना खाते हैं तो उन लोगों में ये दिक्कत ज़्यादा होती है. कभी-कभी ये कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों (autoimmune diseases) की वजहों से भी होता है. 

डिस्फेजिया का एक और कारण न्यूरोलॉजिकल डिस्फेजिया है. इसमें खाने की नली को कंट्रोल करने वाली नर्व में दिक्कत आ जाती है. ये दिमाग से जुड़ा हुआ होता है. इसमें खाना खाने में परेशानी नहीं होती बल्कि पानी या दूसरे द्रव्य पदार्थ पीने में दिक्कत आती है.

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खाना गले में अटकता हो तो डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन कम कर दें

इससे बचाव कैसे किया जाए?

- पानी खूब पिएं

- डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन कम करें

- जैसे चाय, कॉफी, दूध और दूध से बनी चीज़ें

- पनीर, आइसक्रीम और चॉकलेट्स कम से कम खाएं

- खाने की मात्रा सीमित करें

- छोटे-छोटे मील ज़्यादा लें यानी थोड़ा-थोड़ा खाना हर तीन-चार घंटे में खाएं

- लंबे समय तक खाली पेट न रहें

- साथ ही, खाने के तुरंत बाद न लेटें

- कम से कम दो से तीन घंटे का गैप रखें

- अगर आप ये सलाह अपनाएंगे तो दवाइयों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी

डिस्फेजिया की जांच कैसे होती है?

डिस्फेजिया की जांच के लिए लैरिंगोस्कोपी या अपर जीआई एंडोस्कोपी की जा सकती है. अगर एसिड रिफ्लक्स लंबे समय तक रहे तो ये कैंसर में भी बदल सकता है. लिहाज़ा इसका इलाज तुरंत करवाना चाहिए.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

 

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