The Lallantop

इस दुनिया में कुछ लोग ख़ुश, कुछ लोग दुखी क्यों रहते हैं?

कसूर सिर्फ़ हालातों का नहीं है. दिमाग में मौजूद एक केमिकल भी इसकी वजह है.

post-main-image
लाइफ में आपके साथ क्या होगा, इसपर आपका कोई कंट्रोल नहीं है.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

इस दुनिया में 2 तरह के लोग होते हैं. एक जो ख़ुशमिजाज़ हैं, बहुत ज़्यादा मोटिवेटेड फ़ील करते हैं. जो मिलता है उसमें ख़ुश रहते हैं. दूसरी तरह के लोग वो हैं जो कुछ भी कर लें, ख़ुशी नहीं महसूस कर पाते. उनको लाइफ में मोटिवेशन महसूस नहीं होता. हर वक़्त हारा हुआ, उदास और थका हुआ लगता है. अब आपको क्या लगता है इन दो तरह के लोगों में इतना फर्क क्यों है. क्या इसके पीछे वजह केवल परवरिश, हालात या पर्सनैलिटी है. नहीं.  इसके पीछे वजह है आपके ब्रेन में मौजूद एक केमिकल जिसका नाम है डोपामाइन. इसी की वजह से आपको खुशी महसूस होती है. कुछ करने की चाह आती है. जिन लोगों के ब्रेन में डोपामाइन की कमी होती है, वो दुःख ज़्यादा महसूस करते हैं. ख़ुश नहीं रह पाते. यकीन नहीं आता? चलिए ख़ुद सुन लीजिए डॉक्टर्स क्या कहते हैं.

डोपामाइन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर प्रवीन गुप्ता ने.

Dr Praveen Gupta: Read all stories from Dr Praveen Gupta | Healthshots Hindi
डॉक्टर प्रवीन गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस, गुरुग्राम

डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर (ब्रेन में मौजूद केमिकल) है. जिससे ब्रेन की कोशिकाएं आपस में बातचीत करती हैं. ये सेल-टू-सेल सिग्नल ट्रांसफ़र करता है.

इसका हमारे शरीर में क्या काम है?

हमारे ब्रेन में डोपामाइन का बहुत अहम योगदान है. डोपामाइन हमारे हौसले, खुशी, सोच और शरीर के मूवमेंट का मेन न्यूरोट्रांसमीटर है.

डोपामाइन की कमी से क्या होता है?

उम्र बढ़ने के साथ-साथ धीरे-धीरे ब्रेन में डोपामाइन की कमी होने लगती है. ब्रेन में 70 प्रतिशत सेल्स जो डोपामाइन बनाते हैं. ये बेसल गैंग्लिया नाम की कोशिका में कम हो जाते हैं. ऐसा होने पर पार्किन्सन नाम की बीमारी हो जाती है. डोपामाइन की कमी की वजह से शरीर बहुत धीरा हो जाता है. इसके कुछ लक्षण हैं जैसे मूवमेंट न कर पाना. छोटे कदम से चलना. आगे झुक जाना. बैलेंस न बना पाना. हाथों में कंपन. डोपामाइन की कमी से डिप्रेशन, हताशा, सोचने में कमज़ोरी जैसी मानसिक अवस्थाएं भी होती हैं. वहीं डोपामाइन ज़्यादा होने के कारण स्कित्ज़ोफ्रेनिया, साइकोसिस, भ्रम, मेनिया जैसी बीमारियां हो जाती हैं. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में भी डोपामाइन की कमी होती है. डोपामाइन का लेवल ठीक होने पर ये ठीक हो जाता है.

Dopamine: Function, Deficiency, How to Naturally Boost Levels - Dr. Axe
उम्र बढ़ने के साथ-साथ धीरे-धीरे ब्रेन में डोपामाइन की कमी होने लगती है.
इलाज

जो बीमारियां डोपामाइन की कमी के कारण होती हैं उनमें बाहर से डोपामाइन देकर ठीक किया जा सकता है. मरीज़ के लक्षणों को ठीक किया जा सकता है. जिन बीमारियों में डोपामाइन ज़्यादा होता है, उनमें डोपामाइन कम करने की दवाइयां दी जाती हैं. इसलिए इन लक्षणों का ध्यान रखें. अगर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, जो डोपामाइन की प्रॉब्लम को समझकर दवाइयों से उसे ठीक कर सकते हैं.

देखिए लाइफ में आपके साथ क्या होगा, इस पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है. पर उस सिचुएशन में आप कैसा महसूस करते हैं, किस हद तक कोई फीलिंग महसूस करते हैं, ये वाकई केमिकल कंट्रोल करते हैं. इसलिए डॉक्टर ने जो लक्षण आपको बताए हैं, उन पर ध्यान दीजिए. अगर आपको वो महसूस हो रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि आप इंसान ही दुखी पैदा हुए हैं, इसका मतलब ये है कि आपके ब्रेन में एक केमिकल की कमी है जो ठीक की जा सकती है. 

सेहत: सिर के एक तरफ़ दर्द होता है तो ये ज़रूरी बात जान लो