(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
ज्यादा प्यास लगती है और बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो आपको ये बीमारी हो सकती है
और क्या-क्या हैं इस गंभीर बीमारी के लक्षण?
डायबिटीज. ये शब्द सुनकर आपके दिमाग में क्या आता है? यही न कि ये लाइफस्टाइल की एक बीमारी है, जिसमें इंसान का शुगर बढ़ जाता है. सही बात है. पर यहां जिस डायबिटीज के बारे में बात हो रही है उसे कहते हैं डायबिटीज मेलिटस यानी मधुमेह. एक चीज़ और है जिसका नाम भी डायबिटीज है. पर ये है डायबिटीज इन्सिपिडस. ये मधुमेह से एकदम अलग बीमारी है. पर क्योंकि दोनों के नाम एक जैसे हैं तो ज़्यादातर लोग कन्फ्यूज़ हो जाते हैं.
हमें मेल आया अभिषेक का. 42 साल के हैं. उन्हें डायबिटीज इन्सिपिडस है. वो चाहते हैं कि हम इसके बारे में बात करें. लोगों को जानकारी दें कि ये मधुमेह से कैसे अलग है ताकि उनकी तरह और लोगों को भी मदद मिले.
ये हमें बताया डॉक्टर अनिकेत मूले ने.
डायबिटीज इन्सिपिडस और डायबिटीज मेलिटस (मधुमेह) सुनने में एक जैसे लगते हैं इसलिए लोग इनके बीच का फ़र्क नहीं समझ पाते. पर डायबिटीज मेलिटस (मधुमेह) एकदम अलग बीमारी है. डायबिटीज इन्सिपिडस अलग बीमारी है. डायबिटीज मेलिटस (मधुमेह) में शुगर बढ़ता है इसलिए बार-बार यूरिन आता है. डायबिटीज इन्सिपिडस में एंटी ड्यूरेटिक हॉर्मोन की कमी की वजह से या उसके ठीक तरह काम न कर पाने की वजह से यूरिन बार-बार होता है.
कारणडायबिटीज इन्सिपिडस दो प्रकार का हो सकता है. सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस या नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस. सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस में ब्रेन में मौजूद हाइपोथैलेमस से बनने वाले एंटी ड्यूरेटिक हॉर्मोन में कमी आ जाती है. इसकी वजह से यूरिन ज़्यादा आता है. नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस में जो एंटी ड्यूरेटिक हॉर्मोन बनता है वो किडनी पर ठीक तरह से काम नहीं कर पाता है. जिसकी वजह से यूरिन ज़्यादा आता है. ऐसा स्ट्रोक में हो सकता है. जन्मजात हो सकता है. जेनेटिक कारणों से हो सकता है. नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस आमतौर पर लिथियम के सेवन से होता है. लिथियम कुछ दवाइयों में पाया जाता है. ज़्यादा मात्रा में कैल्शियम लेने से भी ऐसा हो सकता है.
नमक कम मात्रा में लेना है. दवाइयां खाते हैं तो जब भी चक्कर आएं, थकान हो, बेहोशी हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलना है
डायबिटीज इन्सिपिडस में बार-बार पेशाब आता है. जो मधुमेह का भी लक्षण है. पर दोनों का इलाज अलग है. इसलिए अगर आपको बहुत प्यास लगती है, हर दिन तीन लीटर से ज़्यादा पेशाब आता है यानी बार-बार पेशाब होता है, रात में सोते समय भी पेशाब से आंख खुल जाती है, सफ़ेद रंग का पेशाब आता है, कमज़ोरी होती है, मांसपेशियों में दर्द होता है और चिड़चिड़ापन महसूस होता है तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.
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