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एक तरफ़ होने वाला सिर का दर्द खतरनाक क्यों है?

इसे कहते हैं सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द.

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इसका मुख्य कारण है उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी का घिसना.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

अमित 32 साल के हैं. पिछले कई समय से उनके सिर में तेज़ दर्द है. शुरुआत में उनको लगा था कि शायद माइग्रेन हो. इसलिए उन्होंने माइग्रेन की दवाइयां खाईं, पर उसका कोई असर नहीं हुआ. किसी ने सलाह दी कि वो अपनी आंखों की जांच करवाएं, हो सकता है कमज़ोर नज़र के कारण एकाएक सिरदर्द हो रहा हो. पर जांच में आंखें सही निकलीं. जब डॉक्टर को दिखाया तो उनकी जांच हुई. पता चला ये आम सिरदर्द नहीं सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द है. इसका बड़ा कारण था लगातार सिर झुकाकर घंटों लैपटॉप पर काम करना. इसलिए अमित चाहते हैं हम अपने शो पर सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द के बारे में बात करें ताकि बाकी लोगों को भी मदद मिल सके. तो सबसे पहले समझ लेते हैं सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द क्या होता है.

सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर प्रवीन गुप्ता ने.

Dr Praveen Gupta: Read all stories from Dr Praveen Gupta | Healthshots Hindi
डॉक्टर प्रवीन गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस, गुरुग्राम

ये एक ऐसा सिर का दर्द है जिसकी शुरुआत गर्दन से होती है. इसलिए इसे सर्वाइकोजेनिक बोलते हैं. सर्वाइकल मतलब गर्दन. जेनिक मतलब उत्पत्ति. हेडेक यानी सिर का दर्द. ये गर्दन में कोशिकाएं, हड्डियां बढ़ने से. मसल्स में स्पाज्म आने से होता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, डिस्क, लिगामेंट्स और हड्डियां घिसती हैं. जिससे गर्दन के मसल्स में तनाव आता है. गर्दन अकड़ जाती है और उसे हिला नहीं पाते. इससे गर्दन में दर्द होता है. ये दिमाग की नसों में तनाव पैदा करता है, जिससे सिर में दर्द होता है.

कारण

इसका मुख्य कारण है उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी का घिसना. जो ख़ासकर सिर झुकाकर, बैठकर काम करने से बढ़ता है.

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ये एक ऐसा सिर का दर्द है जिसकी शुरुआत गर्दन से होती है.
लक्षण

-गर्दन में अकड़न

-गर्दन में दर्द

-गर्दन मोड़ने में दिक्कत

-हाथों में सुन्नपन

-हाथों में दर्द

-तनाव

-सुन्नपन कभी-कभी कमर तक जा सकता है

इलाज

इसका इलाज सिंपल है. गर्दन को लगातार झुकाकर न रखें. बीच-बीच में उठाते रहें. फ़िज़ियोथेरेपी कराएं. जब गर्दन का दर्द कम हो जाए तो ख़ुद एक्सरसाइज करें. जिससे गर्दन की मांसपेशियों को ताकत मिले और गर्दन में तनाव न बढ़े. इससे सिर की नसों में तनाव नहीं आता और दर्द नहीं होता. इसके साथ मसल रिलैक्सेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, दर्द कंट्रोल करने वाली दवाइयां साथ में ले सकते हैं. विटामिन बी, डी की कमी है तो वो भी ले सकते हैं. ये उतना आम है नहीं जितना आम इसको समझा जाता है. 

गर्दन से सिर तक जाने वाले और भी दर्द हैं. जैसे माइग्रेन और ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया. ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया में गर्दन से सिर तक करंट जैसा दर्द होता है. माइग्रेन का दर्द गर्दन में शुरू हो सकता है. आम धारणा है कि ये आंखों के पास या कनपटी में होता है. पर ये गर्दन से भी हो सकता है. उसमें तनाव कर सकता है और गर्दन से सिर तक जाता है. माइग्रेन भूखे रहने से, तनाव, हॉर्मोनल इम्बैलेंस, सफ़र करने से, तेज़ धूप से बढ़ता है. 2-3 दिन तक रहता है और फिर ठीक हो जाता है. इसमें गोलियों का असर होता है. फ़िज़ियोथेरेपी की ज़रुरत नहीं पड़ती. 

सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द लगातार झुककर काम करने से, गर्दन की अकड़न से, गर्दन घुमाने में दिक्कत होने से बढ़ता है. इसमें धूप, भूख, नींद की कमी का कोई रोल नहीं होता. खाली एक्सरे पर न जाएं. क्योंकि सर्वाइकल स्पाइन के एक्सरे में बढ़ती उम्र के साथ कमी दिखती ही है. एक्सरे में स्पॉन्डिलाइटिस का मतलब ये नहीं कि आपका दर्द सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द है. पेशंट के लक्षणों की जांच की जाती है. उस जांच से कारण का सही पता चलता है. कारण पता चलने पर इसे ठीक किया जा सकता है. अगर इसपर ध्यान नहीं दिया जाए तो गर्दन की नस पर दबाव पड़ता है. जिससे हाथ में कमज़ोरी और सुन्नपन रह सकता है. इसलिए इसका इलाज करना ज़रूरी है.

सर्वाइकोजेनिक सिरदर्द क्या होता है, ये तो आपको समझ में आ ही गया होगा. जो लक्षण डॉक्टर साहब ने बताए हैं, उनके महसूस होने पर डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं. इसका इलाज जल्दी लेना बेहद ज़रूरी है.

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