हमारे शरीर में कई ऐसी जगहें हैं जहां दो हड्डियां आपस में मिलती हैं. जिनको आप आम भाषा में जोड़ कहते हैं. कभी-कभी कुछ वजहों के चलते, इन हड्डियों में एक्स्ट्रा ग्रोथ हो जाती है. लोगों को लगता है जैसे एक अलग हड्डी ही निकल रही है. ऐसा ख़ासतौर पर एड़ियों में होता है. इसको कहते हैं बोन स्पर. डॉक्टर से जानिए कि ऐसा क्यों होता है और इसका इलाज क्या है. इस समस्या में काफ़ी दर्द भी होता है. तो सबसे पहले डॉक्टर साहब से जान लेते हैं बोन स्पर आखिर होता क्या है?
40-50 की उम्र में बढ़ सकती है एड़ी की हड्डी, जानें क्या है बोन स्पर और इसका इलाज
हड्डियों में एक्स्ट्रा ग्रोथ की वजह से दर्द होता है. इसे मेडिकल भाषा में बोन स्पर कहते हैं. डॉक्टर से जानिए कि ऐसा क्यों होता है और इसका इलाज क्या है.

ये हमें बताया डॉ. अश्वनी माईचंद ने.

(Dr. Ashwani Maichand, Director, Orthopaedics, CK Birla Hospital, New Delhi)
(डॉ. अश्वनी माईचंद, डायरेक्टर , ऑर्थोपेडिक्स, सीके बिरला हॉस्पिटल, नई दिल्ली)
कभी-कभी शरीर की किसी हड्डी में असामान्य ग्रोथ हो जाती है. इस वजह से दर्द होता है. इस कंडीशन को बोन स्पर कहते हैं. सबसे ज्यादा बोन स्पर एड़ी में होता है. इसमें हड्डी एड़ी के नीचे भी बढ़ सकती है और एड़ी के पीछे भी बढ़ सकती है. इसे हील स्पर कहते हैं. इसके अलावा बोन स्पर कोहनी, घुटने और कंधे में भी हो सकता है.
बोन स्पर हमेशा उस जगह बनता है जहां हड्डी लिगामेंट और मांसपेशियों से जुड़ी होती हैं. लिगामेंट दो हड्डियों को जोड़ता है. स्पर तब बनता है जब हड्डी के ऊपर लिगामेंट या मांसपेशियों की वजह से ज्यादा तनाव पड़ता है. ये तनाव या खिंचाव कभी-कभी अपनी गलती और कभी-कभी बिना गलती के पड़ता है. जैसे एड़ी में जब स्पर बनता है तब सुबह उठकर चलने में दर्द होता है. थोड़ी देर बाद दर्द ठीक हो जाता है.
इसके पीछे क्या वजह है?
पैर के बेस में एक बहुत ही मजबूत टिश्यू होता है जिसे प्लांटर फेसिया (plantar fascia) कहते हैं. एड़ी के पीछे एक मांसपेशी होती है जिसे टेंडो अकिलिस (Tendon Achilles) कहते हैं. दोनों बहुत मजबूत होते हैं. लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो ये दोनों सिकुड़ना शुरू हो जाते हैं. ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि शरीर में लचीलापन कम होने लगता है. जब इन पर नॉर्मल से ज्यादा खिंचाव या तनाव पड़ता है तब उस जगह पर कैल्शियम जमने लगता है.
कैल्शियम टेंडन, लिगामेंट या मांसपेशी कहीं भी जम सकता है. इसे ही बोन स्पर कहते हैं. दूसरी वजह है खुद की मर्जी से कुछ ऐसा करना जिसकी वजह से बोन स्पर बन जाए. ये समस्या ज़्यादातर बॉडी बिल्डर्स में होती है. ऐसे लोगों के कंधे या कोहनी पर धीरे-धीरे बोन स्पर बन जाते हैं. ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि शरीर इतना ज्यादा वजन उठाने के लिए नहीं बना है. आर्थराइटिस की वजह से भी घुटनों में बोन स्पर की समस्या हो सकती है.
बचाव और इलाजजिस वजह से हड्डी पर तनाव पड़ रहा है उसे ठीक करें. चाहे वो खुद की गलती हो या बिना गलती के. इस पर फोकस करना है. अगर आप 40-50 की उम्र के आसपास हैं और बोन स्पर बन गए हैं तो लिगामेंट, मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए. इनका लचीलापन बढ़ाना चाहिए, इससे बोन स्पर उतने पर रुक जाएगा. बॉडी बिल्डर्स और वेट लिफ्टर्स को भी एक बात का ध्यान रखना चाहिए. आप अपनी एक्सरसाइज इस तरह करें कि शरीर को नुकसान न हो.
कई बार ये स्पर इतने बढ़ जाते हैं कि सर्जरी करवानी पड़ती है. अगर फिर भी दर्द कम नहीं होता तो फिजियोथेरेपी करवानी चाहिए. कुछ अल्ट्रासोनिक मशीन होती हैं, जिससे स्पर की जगह पर सूजन कम हो जाती है. अपने चपल-जूते बदलने पड़ेंगे और थोड़ा सा जीवनशैली में बदलाव करना पड़ेगा. 90-95% मरीज ऐसे ही ठीक हो जाते हैं. बाकी 5% मरीजों की सर्जरी करवानी पड़ती है.
बोन स्पर काफ़ी दर्दनाक समस्या है. हालांकि इसका इलाज किया जा सकता है. इसलिए अगर आपको जोड़ों में एक्स्ट्रा ग्रोथ महसूस हो रही है तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.