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ये कौन सा ट्रेंड है जिसमें गोरी लड़कियां काली दिखने के लिए सौ उपाय कर रही हैं

जिसके लिए किम कार्दाशियन तक ट्रोल हो रही हैं.

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किम कार्दाशियन की इस तस्वीर में उनके हाथ के रंग को लेकर लोग ट्रोल कर रहे हैं. (फोटो- ट्विटर @KimKardashian)

किम कार्दाशियन मॉडल हैं. फेमस सोशल मीडिया पर्सनैलिटी हैं. बिज़नेसवुमन हैं और कुछ फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. किसी न किसी वजह से अक्सर खबरों में रहती हैं. आज इसलिए हैं क्योंकि लोग भयंकर ट्रोल कर रहे हैं. 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप लग रहे हैं. अब ये 'ब्लैकफिशिंग' क्या बला है? बताएंगे, लेकिन पहले किम की ट्रोलिंग का मसला पूरा जान लीजिए.


किम कार्दाशियन का 6 सेकेंड का वीडियो है फसाद की जड़!

किम अक्सर बड़े हाई-फाई फोटोशूट कराती रहती हैं. 14 जनवरी को एक फोटोशूट का 6 सेकेंड्स का वीडियो उन्होंने ट्विटर पर डाला. इस वीडियो में किम ब्राउन शेड के कपड़े पहनकर चार-पांच कदम चलते हुए दिख रही हैं. अब इस छोटे से वीडियो में लोगों की नज़र पड़ी किम के हाथों में. और फिर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. दरअसल, किम के चेहरे और हाथों का रंग आपस में मैच नहीं हो रहा था. उनका चेहरे की स्किन ब्राउन रंग की दिख रही थी, वहीं उनका हाथ काफी लाइट और गोरा दिख रहा था. इस पर कुछ लोगों ने किम को ट्रोल कर दिया. लोगों का कहना है कि किम जानबूझकर ब्लैक दिखने की कोशिश करती हैं.


ये रहे लोगों के कमेंट्स-

एक ने कहा- ये किसका हाथ है?

दूसरे यूज़र ने कहा- 'कम से कम अपने हाथ में भी फाउंडेशन लगा लेना था'.


एक अन्य यूज़र ने कहा-

"वो (किम) अपनी त्वचा के असली रंग को मानने से इनकार करती हैं."


दूसरे यूज़र ने कहा-

"किम आप सच में 'ब्लैकफिशिंग' कर रही हैं."


एक और यूज़र ने लिखा-

"आप अपने हाथ को टैन करना भूल गईं."


इस तरह के कई सारे कमेंट्स किम कार्दाशियन के पोस्ट पर किए जा रहे हैं. अब उन पर फिर से 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप लग रहे हैं. फिर से? हां पहले भी लग चुके हैं. कब लगे? ये जानने के पहले थोड़ा इस शब्द को समझिए.


क्या है 'ब्लैकफिशिंग' का मतलब?

वेबसाइट 'द वीक' में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक, ब्लैकफिशिंग माने वो एक्ट, जब कोई व्यक्ति, जो असल में ब्लैक या कलर्ड न हो, खुद को सोशल मीडिया पर अफ्रिकन या अरब वंश का दिखाने की कोशिश करता है. और ब्लैक दिखने के लिए वो मेकअप, हेयर प्रोडक्ट, फोटोशॉप या कई बार तो कॉस्मेटिक सर्जरी का तक सहारा लेता है. इस एक्ट को 'ब्लैकफिशिंग' नाम दिया गया है. और इस एक्ट को करने का आरोप अक्सर औरतों पर लगता है. वो भी वाइट औरतों पर.

साल 2018 में पहली बार 'ब्लैकफिशिंग' शब्द का इस्तेमाल हुआ था. फ्रिलांस राइटर वान्ना थॉम्प्सन ने नवंबर 2018 में एक ट्वीट किया था. लिखा था-

"क्या हम एक थ्रेड शुरू करके उन सभी वाइट लड़कियों के बारे में पोस्ट कर सकते हैं, जो इंस्टाग्राम पर खुद को ब्लैक वुमन दिखाती हैं? चलो उन्हें बाहर लाते हैं, क्योंकि अब अलार्म बज चुका है."


इस पोस्ट को 23 हज़ार से भी ज्यादा बार रिट्वीट किया गया. और लोगों ने कई फेमस इंस्टाग्राम यूज़र्स की तस्वीरें पोस्ट कीं, जो मेकअप के ज़रिए खुद को ब्लैक दिखाती हैं, लेकिन असल में उनका स्किन कलर वाइट है.


लेकिन 'ब्लैकफिशिंग' का इतना विरोध क्यों?

ब्लैक न होकर भी खुद को सोशल मीडिया पर ब्लैक दिखाना, ये ट्रेंड कुछ साल पहले काफी लोकप्रिय हुआ और अभी भी है. लेकिन अब इस ट्रेंड का विरोध भी हो रहा है. क्रिटिक्स का कहना है कि जो लड़कियां ऐसा करती हैं, उनके खासतौर पर दो ही मकसद हैं. पहला- इस लुक के ज़रिए कई सारे फैन्स इकट्ठा करना. दूसरा- बड़े-बड़े ब्रांड्स के विज्ञापन झटककर आर्थिक तौर पर फायदा उठाना.

क्रिटिक्स इस ट्रेंड को एक खास संस्कृति के अपमान के तौर पर भी देखते हैं. 'द इंडिपेंडेंट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिटिक्स का कहना है कि लोग खुद को ब्लैक दिखाकर फायदा तो उठा लेते हैं, लेकिन उस संस्कृति को क्रेडिट नहीं देते, जो असल में ब्लैक हैं. इससे इस संस्कृति के लोग दबा हुआ और पिछड़ा महसूस करते हैं. राइटर वान्ना थॉम्प्सन कहती हैं,

"वो वाइट औरतें, जो इस ट्रेंड में शामिल हैं, वो तालाब में अपना पैर तो डाल रही हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से गीला नहीं होने दे रहीं."

थॉम्प्सन का कहना है कि ब्लैक औरतों की तरह मेकअप करने, बाल रखने भर से आप असल में ब्लैक वुमन के साथ होने वाली दिक्कतों को नहीं जान सकते. और उस कम्युनिटी ने इतने साल तक जो सहा है, उसका भी एक्सपीरियंस नहीं कर सकते और न ही उसके बारे में ठीक तरह से जान सकते हैं. वान्ना कहती हैं कि बड़े-बड़े ब्रांड्स, उन वाइट सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स को अपने विज्ञापनों में ले लेते हैं, जो ब्लैक होने का दिखावा बस करते हैं, लेकिन यही ब्रांड्स अपने विज्ञापनों में असल ब्लैक वुमन को कास्ट नहीं करेंगे. 'द गार्डियन' को दिए एक इंटरव्यू में थॉम्प्सन ने कहा था,

"ब्लैक कूल है, लेकिन तब तक जब तक आप खुद असल में ब्लैक न हों"

एन्नी नोवा नाम की एक यूट्यूबर हैं. मिक्स रेस की हैं. वो अपने एक यूट्यूब वीडियो में कहती हैं,

"ब्लैक महिलाओं के सौंदर्य का फायदा वाइट लड़कियां उठा रही हैं. उनके सौंदर्य से जुड़े प्रोडक्ट के विज्ञापन भी उन्हें नहीं मिलते. जो असल ब्लैक यूट्यूबर और इंस्टाग्राम इन्फ्लूएंसर्स हैं, उनसे मौके छिन जाते हैं."

कुछ क्रिटिक्स इसे 19 और 20 के दशक के 'ब्लैकफेस' की तरह बताते हैं. इस दौरान अमेरिका के कुछ थियेटर्स में किसी ब्लैक व्यक्ति का व्यंगात्मक चित्र पेश करने के लिए नॉन-ब्लैक आदमी एकदम डार्क सा मेकअप करता था. एक तरह से मज़ाक बनाने के मकसद से इसे किया जाता था. इस मेकअप को 'ब्लैकफेस' कहते थे. ‘वॉक्स’ वेबसाइट के लिए लिखते हुए जेनी हैरिस ने बताया,

‘ब्लैकफेस का इतिहास मिन्स्ट्रेल शोज़ में भी देखा जाता है. ये उन्नीसवीं सदी के आखिर तक काफी पॉपुलर हो गया था. मिन्स्ट्रेल शो खास तौर पर अश्वेत किरदारों पर आधारित एक कॉमिक प्ले होता था. इसमें श्वेत एक्टर एक अश्वेत व्यक्ति को बेवकूफाना, जोकर जैसा किरदार बना कर दिखाते थे. इस तरह अमेरिका में अश्वेत लोगों को इंसान से कमतर, एक कैरिकेचर बनाकर प्रस्तुत किया जाता था. एक श्वेत ऑडियंस के सामने.’

21 वीं सदी तक आते-आते इस तरह के शो पूरी तरह से नकार दिए गए. लेकिन ब्लैकफेस फिर भी बना रहा. अभी भी अगर कोई श्वेत व्यक्ति अपने चेहरे पर गहरे रंग का मेकअप करता है, तो उसे ब्लैकफेस कहते हैं.


किन-किन पर 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप लगे?

कई एक्ट्रेस हैं. सबसे पहला नाम तो किम कार्दाशियन का ही आता है. अभी तो 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप लग ही रहे हैं, लेकिन पहले भी हो चुका है. अप्रैल 2020 में किम ने इंस्टाग्राम पर एक मेकअप ट्यूटोरियल शेयर किया था. इसमें भी उनके हाथ का रंग उनके चेहरे के रंग से अलग दिख रहा था. चेहरा ज्यादा डार्क दिख रहा था और हाथ हल्के रंग का. इस पर ट्यूटोरियल के दौरान किम ने खुद लिखा था-

"मुझे मेरे हल्के रंग के हाथों की वजह से जज मत करना."

इस पर भी लोगों ने तब भी किम को काफी ट्रोल किया था. लोगों ने यही कहा था कि उनके हाथ का जो रंग दिख रहा है, वो उनका असल रंग है. किम पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो ब्राउन रंग दिखाने की कोशिश करती हैं, जबकि वो असल में वाइट औरत हैं. खैर, 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप एक्ट्रेस-सिंगर सेलेना गोमेज़ पर भी लग चुके हैं. अप्रैल 2020 में एक मैगज़ीन ने अपनी कवर इमेज में सेलेना की तस्वीर लगाई थी. इस तस्वीर में सेलेना अपने असल रंग के मुकाबले ज्यादा टैन दिख रही थीं. इस पर लोगों ने सवाल किया था-

"सेलेना गोमेज़ ब्लैक दिखने की कोशिश क्यों कर रही हैं..."


Selena Gomez
सेलेना गोमेज़ की ये तस्वीर विवादों में आई थी. (फोटो- इंस्टाग्राम interviewmag)

ब्रिटिश टॉप सिंगर रीटा ओरा पर भी 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप लगे थे. दो फेमस इंस्टाग्राम इन्फ्लूएंसर्स हैं- एम्मा हालबर्ग और एगा ब्रुस्तव्स्का. इन पर भी 'ब्लैकफिशिंग' के आरोप लगते रहे हैं. 'द वीक' की रिपोर्ट के मुताबिक, इन आरोपों पर एम्मा ने 2018 में ये एक्सेप्ट भी किया था कि वो असल में वाइट हैं. उन्होंने कहा था-

"मैं खुद को वाइट होने के अलावा किसी और तरह से नहीं देखती. सूरज की वजह से मेरा कलर अपने आप टैन हो जाता है."

वहीं एगा ने इन आरोपों पर कहा था-

"टैनिंग को लेकर मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत किया है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि मुझे ऐसा करना बंद कर देना चाहिए... मैं वो काम क्यों बंद करूं जिससे मुझे फायदा मिलता है या जिसे में इन्जॉय करती हूं."

लोगों का मानना है. कि हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि ब्लैक कम्युनिटी ने बरसों तक रंगभेद और नस्लभेद सहा है. अलग-अलग स्तर पर,  अलग-अलग तरीकों से. ऐसे में बाज़ार के लिए खुद को ब्लैक दिखाकर फायदा उठाना कितना सही है और कितना गलत, ये लंबी बहस का मसला बन जाता है.