(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वो बीमारी जिसमें चेहरे पर हमेशा रहती है स्माइल!
बाइलैट्रल मैक्रोस्टोमिया में इंसान एक मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ पैदा होता है. कहने का मतलब है कि इंसान के चेहरे की बनावट ही ऐसी होती है, जिससे लगता है इंसान हर वक़्त मुस्कुरा रहा है.
मुस्कुराना अपने आप में बेहद प्यारी चीज़ है. जब हम किसी को मुस्कुराते हुए देखते हैं तो अच्छा सा लगता है. फ़ोटोज़ भी हम मुस्कुराते हुए ही खिंचवाते हैं. 'स्माइल प्लीस' या 'मुस्कुराते रहिए', आपसे कई बार लोगों ने ये बात बोली होगी. अब फ़र्ज़ कीजिए आप ने मुस्कुराना शुरू किया पर बंद नहीं कर पाए. मिनट, घंटे, दिन, महीने, साल निकल गए, पर आपके चेहरे पर परमानेंट स्माइल बनी हुई है. अब ये सुनकर अजीब लग रहा होगा.
ये किसी डरावनी फिल्म का प्लॉट नहीं है, बल्कि एक कंडीशन है जिसे कहते हैं Bilateral Macrostomia. आसान भाषा में समझें तो परमानेंट स्माइल. इसमें इंसान एक मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ पैदा होता है. कहने का मतलब है कि इंसान के चेहरे की बनावट ही ऐसी होती है, जिससे लगता है इंसान हर वक़्त मुस्कुरा रहा है.
मई के महीने में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट बहुत वायरल हुआ था. ऑस्ट्रेलिया में एक बच्ची का जन्म हुआ जिसे Bilateral Macrostomia था. बच्ची जब मां के पेट में थी, तब ही इस कंडीशन का पता चल गया था.
बच्ची के जन्म के बाद, उसके मम्मी-पापा ने Bilateral Macrostomia जैसी रेयर कंडीशन के बारे में जागरूकता फैलानी शुरू की ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इसके बारे में पता चल सके. इंडिया में भी इसके कुछ केस मौजूद हैं. तो सबसे पहले जानते हैं कि कुछ लोग परमानेंट स्माइल के साथ क्यों पैदा होते हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर प्रदीप महाजन ने.
-हंसता चेहरा कुछ लोगों को जन्मजात मिलता है.
-ये बहुत आम नहीं है.
-ये एक बर्थ डिफेक्ट है, जिसके साथ ऑस्ट्रेलिया में हाल-फ़िलहाल एक बच्ची पैदा हुई है.
-जहां होंठ आपस में जुड़ते हैं, बाइलैट्रल मैक्रोस्टोमिया में मुंह के दोनों तरफ़ क्लिफ्ट्स यानी दरार होती हैं.
-दरार की वजह से होंठ पूरी तरह से बंद नहीं हो पाते.
-प्रेग्नेंसी के सांतवे हफ़्ते में बच्चे के होंठों की ये दरार बंद हो जानी चाहिए.
-पर इस कंडीशन में दरार बंद नहीं होती.
-इस दरार की वजह से बच्चे का चेहरा हंसता हुआ लगता है और बच्चा इसी के साथ पैदा होता है.
-ये बहुत ही रेयर होता है.
-तीन लाख लोगों में ये 1 को होता है.
-कभी-कभी ये स्माइल एक ही तरफ़ होती है जिसे यूनिलैट्रल कहते हैं.
-कभी-कभी स्माइल दोनों तरफ़ होती है जिसे बाइलैट्रल कहते हैं.
इलाज-ऐसे बर्थ डिफेक्ट को ठीक करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जाती है.
-हालांकि आजकल मॉडर्न साइंस के दौर में प्लास्टिक सर्जरी के साथ ग्रोथ फैक्टर्स और रीजेनरेटिव मेडिसिन के सेल्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं जिससे बिना कोई निशान इस कंडीशन को ठीक किया जा सकता है.
-इस कंडीशन को ठीक करना ज़रूरी है.
-क्योंकि जब बच्चा बड़ा होता है तब चेहरे का ये डिफेक्ट काफ़ी अलग लगता है.
-इस तरह के डिफेक्ट में नई टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर के उसे ठीक किया जा सकता है.
-यानी प्लास्टिक सर्जरी के साथ रिजेनरेटिव मेडिसिन.
-जिसमें प्लासेंटल शीट, स्टेम सेल्स और ग्रोथ फैक्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है.
-साथ ही माइक्रोनाइज्ड फैट भी इस्तेमाल किया जाता है.
-इसके साथ एक माइनर सर्जरी होती है.
-जिसमें स्किन को बंद कर दिया जाता है यानी दरार बंद कर दी जाती है.
बाइलैट्रल मैक्रोस्टोमिया का इलाज मुमकिन है, इसलिए घबराने की ज़रुरत नहीं है.
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