(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
कौन सी बीमारी है जिसमें इंसान बिन पिए नशे में रहता है?
ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम होने पर खून में शराब की मात्रा ज़्यादा पाई जाती है.
एक छोटी सी कहानी सुनिए. साल 2015 की बात है. अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक महिला को ड्रंक ड्राइविंग के लिए पुलिस ने पकड़ लिया. ड्रंक ड्राइविंग बोले तो शराब के नशे में गाड़ी चलाना. आपने देखा ही होगा, अक्सर पुलिस नुक्कड़ पर एक छोटी सी मशीन लेकर खड़ी रहती है. आपको उसमें फूंकने के लिए बोला जाता है. मशीन में एक रीडिंग आती है. उससे पता चल जाता है कि जो लीगल लिमिट है, आप उससे ज़्यादा पीकर चला रहे हैं. यही इन मोहतरमा के साथ हुआ.
अब आता है कहानी में ट्विस्ट. महिला के डॉक्टर ने कोर्ट में बताया कि वो शराब पीकर गाड़ी नहीं चला रही थी. दरअसल उसे एक बीमारी है. जिसका नाम है ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम. इस बीमारी में शरीर के अंदर अपनेआप शराब बनती है. इसकी वजह से खून में शराब की मात्रा ज़्यादा दिखती है. कोर्ट ने इस बिनाह पर महिला को छोड़ दिया. आप में से जिन भी लोगों को ये कहानी झूठी लग रही है, उन्हें बता दें, ये 100 फीसद सच है. ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम वाकई एक कंडीशन है, जिसमें इंसान बिन पिए नशे में रहता है.
ये हमें बताया डॉक्टर प्रतीक टिबड़ेवाल ने.
ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम काफ़ी रेयर कंडीशन है. इसमें आंतों के अंदर काफ़ी ज़्यादा मात्रा में शराब पाई जाती है. ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम के पेशेंट्स वही लक्षण महसूस करते हैं जो इंसान शराब पीने के बाद महसूस करता है पर ऐसा इन पेशेंट्स में बिना शराब पिए होता है.
कारणऑटो ब्रूरी सिंड्रोम बहुत रेयर है और इसे पकड़ना मुश्किल होता है. इस कंडीशन के पीछे कई कारण होते हैं. जो लोग बहुत ओवरवेट होते हैं, ज़्यादा मीठा खाते हैं, हाई कार्बोहायड्रेट डाइट लेते हैं, उन लोगों में ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम पाया जाता है. जिन लोगों को अलग-अलग खाने से एलर्जी होती है, उनमें भी ये दिक्कत देखने को मिलती है. लिवर सिरोसिस, फैटी लिवर के पेशेंट्स में भी ये कंडीशन देखने को मिलती है. आंतों की सर्जरी या आंतों में ज़्यादा बैक्टीरिया भी इस कंडीशन के कारण बनते हैं.
-ऑटो ब्रूरी सिंड्रोम में खून में शराब की मात्रा ज़्यादा पाई जाती है.
-इसमें पेशेंट को वही लक्षण महसूस होते हैं जो इंसान को शराब पीने के बाद होते हैं.
-उल्टियां होना
-चक्कर आना
-थकान लगना
-बैलेंस बिगड़ना
-चलने-फिरने में प्रॉब्लम
-इसकी वजह से पेशेंट का एक्सीडेंट भी हो सकता है. क्योंकि खून में शराब की मात्रा ज़्यादा रहती है, इसलिए गाड़ी चलाते समय लीगल समस्या भी आ सकती है.
-इस कंडीशन की वजह से पेशेंट एंटी सोशल एक्टिविटी करता है.
इलाजइस कंडीशन में आंतों के अंदर हार्मफुल बैक्टीरिया काफ़ी ज़्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. ये बैक्टीरिया शरीर के अंदर अल्कोहल बनाते हैं, जिसकी वजह से दिक्कतें शुरू होती हैं. जो लोग मीठा ज़्यादा खाते हैं या एंटीबायोटिक ज़्यादा लेते हैं, उनमें ये प्रॉब्लम ज़्यादा पाई जाती है. ऐसे में कारण को देखकर इलाज किया जाता है. आंतों में मौजूद बैक्टीरिया की जांच की जाती है. उसके हिसाब से एंटीबायोटिक देकर इलाज किया जाता है. डाइट में प्रोटीन ज़्यादा और चीनी कम खानी होती है. एक्सरसाइज करें. प्रोबायोटिक्स आंतों में अच्छे बैक्टीरिया पैदा करते हैं. इससे मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है. जो शराब की मात्रा बढ़ी होती है, उसे कंट्रोल किया जा सकता है.
कई लोगों को इस कंडीशन के बारे में सुनकर लग रहा होगा, वाह, क्या बीमारी है. काश हमें भी होती. पर ये काफ़ी सीरियस है. इसका असर न सिर्फ़ आपकी ज़िंदगी पर पड़ता है बल्कि शरीर को भी ख़तरा रहता है. इसको पकड़ना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए लक्षणों पर ध्यान देना ज़रूरी है.
वीडियो: सेहत: आपकी ज़ुबान सफ़ेद, पीली, गुलाबी या लाल है तो इसका क्या मतलब है?