(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
क्या है एंजियोप्लास्टी जो हार्ट अटैक में जान बचाती है?
एंजियोप्लास्टी द्वारा बिना ऑपरेशन के दिल की धमनियों को खोला जा सकता है.
नरेंद्र लखनऊ के रहने वाले हैं. हमारी हाल-फ़िलहाल में उनसे बात हुई. दो महीने पहले उनके 65 साल के पिताजी को सीने में तेज़ दर्द उठा. सीने में भयानक भारीपन महसूस हुआ. सबको लगा उन्हें हार्ट अटैक पड़ा है. पूरा परिवार पिताजी को लेकर अस्पताल भागा. वहां पहुंचकर जांच हुई. पता चला कि चलो हार्ट अटैक नहीं था. उन्हें एंजाइना पेन उठा था. अब इसका मतलब क्या है? हार्ट में जो ब्लड सप्लाई होती है, वह तीन नसों के द्वारा होती है. अगर इन तीन नसों में से किसी एक में ब्लॉकेज होता है तो हॉर्ट को मिलने वाली ब्लड सप्लाई कम हो जाती है. हार्ट की नसें कमज़ोर हो जाती हैं और मांसपेशियां मरने लगती हैं, इसकी वजह से उठता है दर्द.
एंजाइना की समस्या हमारे देश में काफ़ी आम है. इस पर हम सेहत के एक एपिसोड में बात कर चुके हैं. आप चाहें तो ज़्यादा जानकारी ले लिए वो एपिसोड देख सकते हैं. फ़िलहाल नरेंद्र के पिताजी एंजाइना से जूझ रहे थे. डॉक्टर्स ने उनके परिवार वालों को इलाज के तौर पर एंजियोप्लास्टी करवाने की सलाह दी. कुछ समय बाद उनकी एंजियोप्लास्टी भी है. अच्छी बात ये है कि नरेंद्र के पिताजी एकदम ठीक हैं.
नरेंद्र चाहते हैं कि हम अपने शो पर एंजियोप्लास्टी के बारे में बात करें. दिल की बीमारियों से जूझ रहे कई पेशेंट्स के लिए एंजियोप्लास्टी बेहद ज़रूरी हो जाती है. ऐसे में इसके बारे में सही जानकारी होना बेहद ज़रूरी है. तो सबसे पहले जानते हैं एंजियोप्लास्टी क्या होती है?
एंजियोप्लास्टी क्या होती है?ये हमें बताया डॉक्टर विनायक अग्रवाल ने.
-एंजियोप्लास्टी यानी एंजियो इसका मतलब हुआ धमनी, प्लास्टी यानी उसको ठीक करना.
-एंजियोप्लास्टी एक बहुत ही सिंपल टेक्निक है, जिसके द्वारा बिना ऑपरेशन के दिल की धमनियों को खोला जा सकता है.
-दिल की ऊपरी सतह पर तीन धमनियां होती हैं, जो दिल की मांसपेशियों को खून देती हैं.
-LAD यानी लार्जेस्ट कोरोनरी आर्टरी, ये मेन धमनी है.
-ये दिल की 70 प्रतिशत मांसपेशियों को खून देती है.
-राइट कोरोनरी आर्टरी जो 20-25 प्रतिशत मांसपेशियों को खून देती है.
-दिल के पीछे होती है सेराफ्लेक्स आर्टरी, जो 10 प्रतिशत तक खून देती है.
-अगर ये धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं तो पेशेंट को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
-जैसे हार्ट अटैक.
-चलने पर छाती में भारीपन महसूस होना, सांस फूलना.
-अगर इन धमनियों को नहीं खोला गया तो आगे जाकर ये दिल को कमज़ोर कर सकती हैं.
-फिर दिल धीरे-धीरे कम खून पंप करता है.
-अगर अचानक हार्ट अटैक पड़ेगा तो दिल बहुत ही कम खून पंप कर पाएगा.
-इन धमनियों को खोलने के कई तरीके हैं.
-जिसमें से एक है बाईपास सर्जरी.
-जिसे ओपन हार्ट सर्जरी भी कहा जाता है.
-इसमें पूरा चीरा लगाया जाता है.
-फिर दिल का ऑपरेशन किया जाता है.
-चाहे बीटिंग हार्ट सर्जरी हो या हार्ट को रोककर.
-बिना ऑपरेशन दिल के ब्लॉकेज को ठीक करने वाली इस टेक्निक का नाम है एंजियोप्लास्टी. इसमें स्टेंट भी साथ में डाले जाते हैं.
एंजियोप्लास्टी कैसे की जाती है?-एंजियोप्लास्टी में एक छोटा सा प्लास्टिक का कैथिटर (पतला सा ट्यूब) हाथ से या जांघ से शरीर में डाला जाता है.
-उससे एक वायर या पाइप ले जाते हैं दिल की धमनियों तक.
-पहले एंजियोग्राफ़ी से चेक किया जाता है कि ब्लॉकेज कहां है.
-फिर कैथिटर से जुड़े वायर को ब्लॉकेज के आरपार लेकर जाया जाता है.
-फिर वहां बलून को फुला देते हैं.
-इस बलून के फूलने से, धमनी के अंदर मौजूद रुकावट खुल जाती है.
-फिर उस बलून को बाहर निकाल लिया जाता है.
-फिर एक और बलून घुसाया जाता है, उसी धमनी के अंदर जो खुल चुकी है.
-उस बलून के ऊपर एक स्टेंट लिपटा होता है.
-स्टेंट एक मेटल का स्प्रिंग टाइप ट्यूब है, जो बलून के ऊपर लिपटा होता है.
-उसके ऊपर एक दवाई भी लिपटी होती है, जिससे ये धमनियां दोबारा बंद नहीं होतीं.
-इस स्टेंट को धमनी के अंदर फुला दिया जाता है.
-ताकि धमनी दोबारा बंद न हो.
-इस पूरी प्रक्रिया का नाम है एंजियोप्लास्टी जो स्टेंट के साथ की जाती है.
-एंजियोप्लास्टी यानी बलून और स्टेंटिंग यानी बलून के बाद जो स्प्रिंग टाइप ट्यूब लगाया जा रहा है.
ख़र्चा-एंजियोप्लास्टी काफ़ी सेफ़ है.
-इससे 1 प्रतिशत से भी कम ख़तरा है.
-ये बहुत महंगा इलाज भी नहीं है.
-डेढ़ से ढाई लाख रुपए के बीच खर्च आता है.
-कभी-कभी 1 स्टेंट भी डल सकता है.
-कभी-कभी 2 या 3 या उससे ज़्यादा भी डल सकते हैं.
-सरकार ने स्टेंट की कीमत पर कैप लगाया हुआ है.
-इसलिए ये प्रक्रिया बहुत महंगी नहीं पड़ती.
एंजियोप्लास्टी की ज़रुरत किसे पड़ती है?-एंजियोप्लास्टी उन लोगों को करवाने की सलाह दी जाती है, जिन्हें एंजाइना हो.
-एंजाइना यानी दिल की वो बीमारी जिसमें चलने, सीढ़ी चढ़ने या कोई भी मेहनत का काम करने पर छाती में दबाव महसूस होता है, भारीपन लगता है.
-जिन लोगों को हार्ट अटैक पड़ रहा है, ऐसे पेशेंट्स में तुरंत एंजियोग्राफ़ी कर के स्टेंट डाला जाता है.
-जिससे दिल की मांसपेशी पर असर न पड़े.
-इसको बोला जाता है प्राइमरी एंजियोप्लास्टी.
-कभी-कभी अगर पेशेंट का पहले से बाईपास हुआ होता है, उसके बवाजूद कुछ समय बाद उसमें समस्या आ जाती है. ऐसे में एंजियोप्लास्टी की जाती है.
-जिन लोगों की वेसेल्स में बहुत ज़्यादा कैल्शियम जमा होता है, उनमें एक घूमने वाली डिवाइस जिसे बर्क बोला जाता है, वो डाला जाता है.
-ऐसे पेशेंट्स जिनमें बाईपास नहीं हो सकता, उनमें भी एंजियोप्लास्टी की जाती है.
एंजियोप्लास्टी के बाद किन बातों का ध्यान रखें-आजकल कई सेंटर्स में सिर्फ़ हाथ के ज़रिए एंजियोप्लास्टी की जाती है.
-जिसमें पेशेंट को कोई तकलीफ़ नहीं होती.
-अगर जांघ से की गई है तो भी रिकवरी बहुत जल्दी हो जाती है.
-पेशेंट कुछ घंटों बाद ही चलने-फिरने लगता है.
-आजकल तो अगले ही दिन छुट्टी कर दी जाती है.
-नहीं तो ज़्यादा से ज़्यादा 1-2 दिन के बाद छुट्टी हो जाती है.
-एंजियोप्लास्टी के बाद बहुत ज़्यादा एहतियात बरतने की ज़रुरत नहीं है.
-बस दवाइयां समय पर खाएं.
-रोज़ समय पर ब्लड थिनर ज़रूर लें.
-ताकि स्टेंट बंद न हों.
-हाल-फ़िलहाल में हार्ट अटैक पड़ा है तो ज़्यादा न चलें.
-लेकिन बिना हार्ट अटैक पड़े एंजियोप्लास्टी हुई है तो 2-4 दिन के बाद चल सकते हैं.
-3-4 किलोमीटर घूम सकते हैं.
-घी-तेल का इस्तेमाल कम करें.
-शुगर और कार्बोहायड्रेट की मात्रा को कम रखें.
-फल और सब्जियां ज़्यादा खाएं.
हमारे देश में पिछले कुछ समय से युवाओं में दिल की बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. कम उम्र में हार्ट अटैक पड़ रहा है. इसकी वजह है दिल में ब्लॉकेज. ऐसे में लक्षण महसूस होने पर एंजियोग्राफ़ी से जान बचाई जा सकती है. ये एक बहुत ही अहम प्रोसीजर है जिसकी जानकारी लोगों को होनी चाहिए.
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