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चिकन पॉक्स क्यों और कैसे होता है, जान लीजिए

बच्चों को इससे सबसे ज्यादा खतरा होता है.

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चिकन पॉक्स के 90 प्रतिशत केसेज़ 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होते हैं
यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

चिकन पॉक्स. इसे आप चेचक के नाम से भी जानते हैं. इसमें शरीर पर ददोरे निकल आते हैं. बहुत खुजली होती है. हममें से कई लोगों को बचपन में एक बार तो चिकन पॉक्स हुआ ही है. बहुत ही आम है. वैसे हमारे देश में चिकन पॉक्स को माता निकलना भी कहते हैं. हमें मेल आया सुहासिनी का. पिछले साल उनकी छह साल बेटी को चिकन पॉक्स हुआ. तब वो अपने गांव में थीं. मेल पर  उन्होंने बताया कि आस पड़ोस के लोग कहने लगे की माता निकली हैं. दवाई मत लो. माता नाराज़ होंगी. पूजा करो. जैसे-तैसे सुहास्नी अपनी बेटी को पास के गांव लेकर पहुंचीं. इलाज चला. कुछ समय बाद उनकी बेटी ठीक हो गईं. अब सुहास्नी चाहती हैं कि हम लोगों तक चिकन पॉक्स को लेकर सही जानकारी पहुंचाएं. ये क्यों होता है. इसका इलाज क्या है. ये सब बताएं. तो चलिए सबसे पहले जानते हैं चिकन पॉक्स क्या होता है और क्यों होता है?
क्या होता है चिकन पॉक्स?
ये हमें बताया डॉक्टर राजीव ने.
डॉक्टर राजीव कुमार, एमबीबीएस, एम डी मेडीसिन, हिंडाल्को, सोनभद्र डॉक्टर राजीव कुमार, एमबीबीएस, एम डी मेडीसिन, हिंडाल्को, सोनभद्र


चिकन पॉक्स एक वायरस से होने वाली बीमारी है. इस वायरस का नाम वेरीसेल्ला जोस्टर (varicella-zoster). इंडिया में चिकन पॉक्स को आमतौर पर माता निकलना कहते हैं. चिकन पॉक्स किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसके ज़्यादातर केसेज़ बच्चों में होते हैं. इसके 90 प्रतिशत केसेज़ 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होते हैं. जब भी चिकन पॉक्स होता है तो मरीज़ को पूरे शरीर में दाने निकल आते हैं. अक्सर बुखार भी हो जाता है.
कारण
-चिकन पॉक्स आमतौर पर दो कारणों से होता है
-इसका मुख्य कारण है रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स. अगर इन्फेक्टेड रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स एक पेशेंट से हेल्दी  में चली जाएंगी, इससे दूसरे इंसान को इन्फेक्शन हो सकता है. रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स यानी खांसने और छींकने से निकलने वाली ड्रॉप्लेट्स.
-दूसरा कारण. अगर इन्फेक्टेड पेशेंट के दानों से निकलने वाला पानी किसी को लग जाए, तो भी इन्फेक्शन एक इंसान से दूसरे इंसान को हो सकता है.
चिकन पॉक्स के 90 प्रतिशत केसेज़ 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होते हैं
चिकन पॉक्स के 90 प्रतिशत केसेज़ 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होते हैं


कारण आपने जान लिए. उम्मीद है आपको समझ में आ गया होगा कि ये एक इन्फेक्शन है. जिसको इलाज की ज़रूरत है. इसलिए किसी भी मिथक को सुनकर उसपर यकीन मत करिए. चलिए अब जानते हैं कि अगर चिकन पॉक्स हो गया है तो क्या करना चाहिए और क्या नहीं. साथ ही इसका इलाज क्या है
टिप्स
-जब भी चिकन पॉक्स होता है तो खुद को दूसरे से दूर रखें
-एक हवादार, नॉर्मल तापमान वाले कमरे में रेस्ट करें
-ज़्यादा गर्म या ज़्यादा ठंडे तापमान में न रहें
-ज़्यादा गर्मी होगी तो स्किन में इरिटेशन होगा
-आपको खुजली होगी
-अगर कमरा ठंडा है और आप रज़ाई या कंबल का इस्तेमाल करेंगे तो दानों को नुकसान पहुंचने का रिस्क है
-दूसरों से दूर रहेंगे तो आपका इन्फेक्शन बाकी लोगों में नहीं फैलेगा
-दानों को खुजलाएं नहीं, खुजलाने से दानों के निशान पड़ जाएंगे, ये निशान जाते नहीं हैं
इलाज
-चिकन पॉक्स आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है, बच्चों में इसके कम लक्षण आते हैं
-अगर मरीज़ को बुखार है तो बुखार की दवाई दी जाती है
-अगर स्किन में ज़्यादा खुजली हो रही है लोशन लगाने के लिए दिए जाते हैं
चिकन पॉक्स आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है
चिकन पॉक्स आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है


-एंटी एलर्जिक दवाइयां दी जाती हैं जिनसे कम खुजली हों
-अगर पेशेंट हाई रिस्क है तो इस केस में एंटी वायरल दवाई दी जाती है
-अगर सेकेंडरी बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाए तो एंटी बायोटिक दवाइयां दी जाती हैं
-चिकन पॉक्स के लिए अब इंजेक्शन भी दिया जाता है, पर ये अक्सर बच्चों को दिया जाता है या फिर कोई पेशेंट हाई रिस्क है तो उन्हें भी दिया जा सकता है.
सुना आपने. तो अगली बार अगर आपके आसपास किसी को चिकन पॉक्स हो तो उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएं ताकि उसे सही इलाज मिल सके.


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