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किडनी कैंसर की वजह से हो सकती है पैरों-एड़ियों में सूजन, डाक्टर से सारी बातें जान लीजिए!

World Health Organization की एक रिपोर्ट है. इसके मुताबिक, साल 2022 में दुनियाभर में कैंसर के 2 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए थे. इनमें 4 लाख से भी ज़्यादा मामले किडनी कैंसर से जुड़े थे.

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अगर कैंसर का पता जल्दी चल जाए तो किडनी बचाई जा सकती है. (सांकेतिक फोटो)

कैंसर के मामले भारत समेत दुनियाभर में तेज़ी से बढ़ रहे हैं. WHO के मुताबिक, साल 2022 में कैंसर के 2 करोड़ नए मामले सामने आए थे और इससे 97 लाख मौतें हुई थीं.  इनमें किडनी कैंसर के 4 लाख केसेस सामने आए थे. अब ये भारत के लिए चिंता की बात इसलिए है क्योंकि जिन देशों में सबसे ज़्यादा मामले पाए गए, उनमें भारत भी शामिल है. पैरों, एड़ियों में सूजन अक्सर किडनी से जुड़ी बीमारियों का लक्षण माना जाता है. पर, क्या कैंसर के केस में भी ये बतौर लक्षण सामने आता है? डॉक्टर से जानेंगे. साथ ही पता करेंगे, किडनी कैंसर के लक्षण और इसका इलाज.  

किडनी में कैंसर के क्या लक्षण हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर विकास जैन ने.

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डॉ. विकास जैन, हेड, यूरोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, नई दिल्ली

किडनी कैंसर का सबसे आम लक्षण पेशाब में खून आना है. अगर पेशाब में खून आ रहा है तो हो सकता है किडनी में कैंसर हो. साथ ही, अगर वज़न तेज़ी से घट रहा है, भूख कम हो रही है तो ये भी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि कैंसर होने पर पैरों में सूजन आ जाती है. ऐसा नहीं होता है. पैरों में सूजन आमतौर पर किडनी के कैंसर की वजह से नहीं होती. हालांकि, ये कैंसर के आखिरी स्टेज में हो सकता है. जब कैंसर फैलता है और किडनी से खून ले जाने वाली नस, जिसे रीनल वेन कहते हैं, वहां तक पहुंच जाता है. फिर वहां से शरीर की सबसे अहम खून की नस, जिसे IVC कहते हैं, उसमें फैल जाता है. तब ये इन दोनों नसों को ब्लॉक कर देता है. ऐसे में पैरों में सूजन आ सकती है. हालांकि, किडनी के कैंसर में ज़्यादातर ऐसा नहीं होता है.

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इलाज किडनी कैंसर के स्टेज पर निर्भर करता है

बचाव और इलाज

किडनी के कैंसर का इलाज करने के कई तरीके हैं. हालांकि, इलाज कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है. कैंसर की स्टेज पता करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं. इनमें सीटी स्कैन, PET स्कैन शामिल हैं. इनसे पता चलता है कि किडनी का कैंसर किस स्टेज में है. फिर उस हिसाब से आगे इलाज किया जाता है.

अगर किडनी का कैंसर शुरुआती स्टेज में है यानी उसका साइज़ छोटा है और एक ही किडनी में है. तब रोबोटिक सर्जरी करके किडनी का वो छोटा-सा हिस्सा निकाल दिया जाता है. यानी अगर कैंसर का पता शुरू में ही चल जाए और किडनी में कैंसर का साइज़ 4 या 7 सेंटीमीटर से कम हो. तब उस स्टेज में न केवल कैंसर निकाला जा सकता है बल्कि आपकी किडनी भी बचाई भी जा सकती है. इसे रोबोटिक सर्जरी के ज़रिए किया जाता है. ये रोबोटिक पार्शियल नेफ्रेक्टोमी (Robotic partial nephrectomy) कहलाता है.

अगर किडनी के कैंसर का साइज़ काफी बड़ा है और वो अभी भी किडनी के अंदर ही है, कहीं बाहर नहीं गया है. तो ऐसे में कई बार पूरा गुर्दा निकालना पड़ता है. इसे रेडिकल नेफ्रेक्टोमी कहते हैं. यहां भी रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल हो सकता है. हालांकि, अगर किडनी का कैंसर फैल जाए तो उसके लिए दूसरे उपचार करने पड़ते हैं. जैसे इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy). 

किडनी के कैंसर से बचाव किया जा सकता है. अगर इसका शुरुआती स्टेज में पता चल जाए और वो सिर्फ किडनी तक ही सीमित हो. तब किडनी या किडनी का वो हिस्सा निकालकर आपको नया जीवन मिल सकता है. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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