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हिजाब और बुर्के के अलावा और क्या-क्या पहन सकती हैं मुस्लिम महिलाएं?

कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद हो रहा है.

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'कर्नाटक हिजाब बवाल' में लड़कियां पहुंची हाई कोर्ट तक
कर्नाटक के स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं का हिजाब
 पहनने पर पिछले एक महीने से विवाद बना हुआ है. ऐसी भी खबरें आई हैं कि हिजाब के विरोध में बजरंग दल के संगठनों ने छात्र-छात्राओं को भगवा स्कार्फ पहनाए.
सोशल मीडिया पर भी इस मामले की ख़ूब चर्चा है. सबके अपने मत हैं. कुछ धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला दे रहे हैं, कुछ संस्थान से धार्मिक पहचानों को अलग रखने के पक्षधर हैं. कुल मिलाकर हिजाब पर बहस फिर ताज़ा हो गई है. पुरानी बहस है. कई लोगों ने बयान दिए हुए हैं. 2016 में भी बुर्के को लेकर ऐसा ही विवाद छिड़ा था.
लेकिन हर बार विवाद में कुछ जानकारियां छूट जाती हैं.
जब भी इस्लाम में महिलाओं के पर्दे पर बात होती है, तो केवल बुर्के और हिजाब तक ही रह जाती है. लेकिन इसके अलावा भी पर्दे की कई शक्लें है. आगे उसी बारे में बताएंगे. बुर्के और हिजाब के अलावा क्या है? सर ढकने का रिवाज अलग-अलग पंथों में अलग-अलग तरीक़े से रहा है. इस्लाम से पहले भी ऑर्थोडॉक्स जुडाइज़्म और कैथलिसिज़्म में सर ढकने की रीति थी. फिर अगर आप थोड़ा सोचें तो आपको हिजाब बनाम घूंघट वाली बहस याद आ जाएगी. कहने का मतलब ये कि सब पंथों में कुछ कुछ है. लेकिन आज बात इस्लाम की.
निक़ाब, हिजाब, ख़िमार, अबाया, चादर, शायला और अल-आमिरा. ये पर्दे की अलग-अलग शक्लें हैं. अलग अलग क्षेत्रों के हिसाब से.
# हिजाब
पहले तो बात कर लेते हैं हिजाब की. ये आजकल ट्रेंडिंग है. हिजाब मुस्लिम महिलाओं द्वारा सबसे ज़्यादा पहने जाने वाला हेडस्कार्फ है. हिजाब में एक या दो स्कार्फ होते हैं, जो सिर और गर्दन को ढकते हैं. वेस्ट में भी हिजाब सबसे ज़्यादा पहना जाता है.
# नकाब
नकाब भी आप हिजाब जैसा ही मानिए, जिसमें चेहरा ढका होता है और आंखों के लिए जगह छोड़ दी जाती है. नकाब पहनने के दो मुख्य तरीक़े हैं. आधा नकाब, जिसमें एक हेडस्कार्फ और एक चेहरे के लिए स्कार्फ होता है, जो आंखों और माथे के कुछ हिस्से को खुला छोड़ देता है. और दूसरा फुल नकाब, या खाड़ी नकाब, जो आंखों के आस पास बस एक पतली पट्टी को खुला छोड़ता है. नकाब खाड़ी के देशों में कॉमन है. यूरोप में नकाब को लेकर ख़ूब बवाल है.
# चादर
इसको आप बॉडी-लेंथ शॉल समझ लीजिए. चादर में सिर और शरीर को ढका जाता है, लेकिन चेहरे को पूरी तरह से खुला छोड़ देते हैं. यह मिडल-ईस्ट के देशों में आम है. सबसे ज़्यादा ईरान में.
पर्दे के प्रकार
पर्दे की अलग-अलग शक्लें (तस्वीर - रेडिट)

# बुर्का
बुर्के में पूरे शरीर का पर्दा होता है. पहनने वाले को पूरा चेहरा और शरीर ढकना होता है और देखने के लिए एक जालीदार स्क्रीन होती है, बुर्के में. आमतौर से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में पहना जाता है. जब तालिबान ने 1996 और 2001 के दौरान अफ़ग़ानिस्तान के बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया था, तो वहां की महिलाओं के ऊपर ये थोप दिया गया था.
# अबाया
अबाया भी बुर्के जैसा ही होता है. सऊदी अरब और आस पास के देशों में पहना जाता है. लॉन्ग-स्लीव, फ्लोर लेंथ और आमतौर से काला. हालांकि, आजकल बाजुओं पर कढ़ाई और रंगीन अबाया भी आम हो रहा है. अबाया बनाने में विशेष बात यह है कि यह एक ही कपड़े के टुकड़े से बनाया जाता है. इसमें कुछ भी अलग से स्टिच नहीं किया जाता. पर्दे के अलग अलग माएने- पर्दे को लेकर सभी समुदायों में अलग-अलग मत हैं. कुछ स्कॉलर्स यह तर्क देते हैं कि पर्दे की शुरुआत महिलाओं को बचाने की और उनके ऑब्जेक्टिफिकेशन को रोकने की तर्ज पर हुई थी. इस्लामिक स्कॉलर्स भी यह तर्क देते हैं कि पर्दा महिला की गरिमा की रक्षा करने के लिए है.
काबुल अफगानिस्तान
अफ़गानिस्तान में महिलाएं बुर्के को मैनडेटरी करने के ख़िलाफ़ विरोध कर रही हैं (तस्वीर - AP)

एक दूसरा तबका पर्दे को महिलाओं की प्रताड़ना से जोड़कर देखता है. उनका तर्क है कि पर्दा महिलाओं की स्वायत्त एजेंसी, उनकी मूवमेंट की स्वतंत्रता, संसाधनों पर उनके अधिकार और पॉलीटिकल पार्टिसिपेशन को सीमित करता है. यूरोप के कई नियो-लिबरल स्कॉलर्स ने पर्दे को लिंगभेद को क़ायम रखने का एक ज़रिया बताया है और यह भी कहा कि पर्दा महिलाओं को कमज़ोर करता है. साथ ही साथ यह उन्हें एक प्रॉपर्टी के तौर पर ट्रीट करता है.