(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
ब्लड प्लेटलेट्स क्या हैं जो कम हुए तो बहता खून नहीं रुकता, जान तक का खतरा हो सकता है?
डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्लेटलेट्स हों तो सब ठीक वरना...

कुछ दिन पहले मेरे पास एक दोस्त का फ़ोन आया. काफ़ी परेशान था. उसको अपनी पत्नी को अस्पताल में एडमिट करवाना था. उसके प्लेटलेट्स लाखों से घटकर कुछ हज़ार रह गए थे. आपने प्लेटलेट्स शब्द सुना होगा. इसका ज़िक्र अक्सर डेंगू या मलेरिया के साथ होता है. डेंगू, मलेरिया में प्लेटलेट्स काफ़ी घट जाते हैं और ये जानलेवा हो सकता है. पर मेरे दोस्त के केस में न उसकी पत्नी को डेंगू था न मलेरिया. फैक्ट ये है कि जिंदा और हेल्दी रहने के लिए इंसान के शरीर में डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्लेटलेट्स होने चाहिए.
अब सोचिए, अगर ये प्लेटलेट्स घटकर कुछ हज़ार रह जाएं? डेंगू, मलेरिया जैसे आम कारणों के अलावा किन वजहों से प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं? इन्हीं सवालों के जवाब आपको देते हैं. मगर पहले ये जान लीजिए प्लेटलेट्स होते क्या हैं और ये आपके लिए इतने ज़रूरी क्यों हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर मीत कुमार ने.

चोट लगने पर हमारा खून बहता है, प्लेटलेट्स शरीर के ऐसे पदार्थ हैं जो बहते हुए खून के प्रवाह को रोकने का काम करते हैं. शरीर में आमतौर पर डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्लेटलेट्स होते हैं.
प्लेटलेट्स कम हो जाने के रिस्क-प्लेटलेट्स कम हो जाने से शरीर में अलग-अलग जगहों से ब्लीडिंग हो सकती है
-खून का प्रवाह कम नहीं होता. जैसे ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आना
-काला मल होना
-लाल पेशाब होना
-शरीर पर लाल-काले धब्बे पड़ जाना
-प्लेटलेट्स की कमी से ये लक्षण देखने को मिलते हैं

प्लेटलेट्स की कमी आमतौर पर दो कारणों से होती है. पहला. प्लेटलेट्स बन नहीं रहे. यानी जहां प्लेटलेट्स बनते हैं बोन मैरो में वहां ये बन नहीं पा रहे. दूसरा. शरीर में प्लेटलेट्स सामान्य रूप से बन रहे हैं पर ये प्लेटलेट्स टूट रहे हैं. प्लेटलेट्स टूटने का सबसे आम कारण है ITP ( इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया). बोन मैरो में प्लेटलेट्स न बनने के कई कारण होते हैं. जैसे किसी में पोषण की कमी होना. विटामिन बी 12 की कमी होना. एप्लास्टिक अनीमिया जिसमें प्लेटलेट्स का प्रोडक्शन कम हो जाता है. लिवर की समस्या यानी क्रोनिक लिवर डिजीज. इसमें स्प्लीन (तिल्ली) में प्लेटलेट्स का ज़्यादा इस्तेमाल होता है.
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इलाज कारण पर निर्भर करता है. अगर ITP की तकलीफ़ है तो उसमें स्टेरॉइड दिए जाते हैं. IVIG इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन दिए जाते हैं. इन तरीकों से प्लेटलेट्स को ठीक किया जाता है.
प्लेटलेट्स क्यों कम हो जाते हैं, ये तो समझ में गया. इसलिए डॉक्टर के बताए गए लक्षणों पर ध्यान दीजिए. अगर आपको ये महसूस हो रहे हैं तो अपना ब्लड टेस्ट ज़रूर करवाएं. टेस्ट से पता चल जाएगा आपका असल प्लेटलेट काउंट क्या है.
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