सुप्रिया पाठक. एक बार को नाम ध्यान न भी हो तो भी इनको आप ‘खिचड़ी’ सीरियल की हंसा के नाम से ज़रूर जानते होंगे. इस एक कैरेक्टर ने सुप्रिया पाठक को घर-घर में पहुंचा दिया था. इतनी पॉपुलर हुईं कि हंसा के मीम आज भी लोग सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. लेकिन सुप्रिया हंसा से पहले और हंसा के बाद भी बहुत कुछ रही हैं. आइये आपको एक छोटे, लेकिन खूबसूरत सफर पर लेकर चलते हैं. सुप्रिया पाठक की जिंदगी के सफ़र पर. स्टेज के ऊपर, और स्टेज के परे.
खिचड़ी का एक सीन. हंसा पारेख का ये डायलॉग भी काफी फेमस हुआ.
करियर की शुरुआत
दीना पाठक और बलदेव पाठक के घर जन्मीं सुप्रिया. 7 जनवरी 1961 को. बचपन से घर में कला और एक्टिंग का माहौल देखा. मां दीना पाठक गुजराती थियेटर, सिनेमा और बॉलीवुड का जाना-माना नाम रहीं. पिता बलदेव पाठक उस समय बॉलीवुड के धुआंधार एक्टर दिलीप कुमार और राजेश खन्ना के लिए काम करते थे. बतौर ड्रेस स्टाइलिस्ट. बड़ी बहन रत्ना पाठक भी थियेटर और फिल्मों में ही रुचि रखती थीं. लेकिन सुप्रिया शर्मीली बच्ची थीं. फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि जब उनके घर पर गेस्ट आते थे, तब वो चुपचाप अपने कमरे में छुप जाती थीं और लाइट्स ऑफ कर लेती थीं.
सुप्रिया की मां दीना पाठक भी काफी पॉपुलर एक्ट्रेस रहीं.
सुप्रिया की शुरुआत हुई मां के डायरेक्शन में. 'मैना गुर्जरी' नाम के नाटक में सुप्रिया ने काम किया. इसके लिए भी उन्हें उनके मामा ने मनाया था. ऐसे ही एक बार सुप्रिया पृथ्वी थियेटर में नाटक कर रही थीं, जब जेनिफर केंडल ने उनको देखा और उनकी सिफारिश श्याम बेनेगल से की. जेनिफर केंडल एक्ट्रेस और शशि कपूर की पत्नी थीं. जब उन्होंने श्याम बेनेगल को सुप्रिया के बारे में बताया, तब वो 'कलयुग' (1981) फिल्म की तैयारी कर रहे थे. उस फिल्म में सुप्रिया ने सुभद्रा का किरदार निभाया था. सुप्रिया बताती हैं कि उस समय श्याम बेनेगल ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था फिल्म के लिए. कहा था, ‘अगर तुमने वज़न कम नहीं किया तो मैं तुम्हें फिल्म में नहीं लूंगा’. लेकिन शशि कपूर को सुप्रिया चाहिए थीं फिल्म में. इसके बाद सुप्रिया ने बॉलीवुड की कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया. जैसे 'मासूम' (1983), 'मिर्च मसाला' (1985), 'बाज़ार' (1982).
साल 1986 में उनकी मुलाक़ात हुई एक्टर पंकज कपूर से. दोनों को प्रेम हुआ. दो साल बाद उन्होंने शादी कर ली. बाद में दोनों ने मिलकर एक प्रोडक्शन हाउस भी खोला.
करियर की शुरुआत के दिनों में सुप्रिया पाठक.
सीरियल और फिल्में
साल 1985. तब घरों में दूरदर्शन ही एंटरटेनमेंट का मुख्य स्रोत हुआ करता था. तब के सीरियल्स आज भी एक तरह से स्टैण्डर्ड माने जाते हैं. उसी समय के एक सीरियल में सुप्रिया अपनी बड़ी बहन रत्ना पाठक के साथ नज़र आई थीं. नाम था 'इधर-उधर'. अपने समय के हिसाब से ये सीरियल काफी प्रोग्रेसिव माना जाता था. इसमें दो लड़कियों की कहानी थी, जो एक घर में पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती थीं. जब उन्हें दो पुरुषों के साथ फ़्लैट शेयर करना पड़ा, तब क्या कॉमेडी हुई और कैसे कहानी आगे बढ़ी, इसी को शो में दिखाया गया था. साल 1998 में इसका दूसरा हिस्सा भी आया था. उसमें भी सुप्रिया और रत्ना के किरदार सेम ही थे.
इसके अलावा 'एक महल हो सपनों का' में भी सुप्रिया नज़र आई थीं. इस सीरियल में उनकी मां दीना पाठक ने दादी का किरदार निभाया था. एक गुजराती टीवी शो का हिंदी रीमेक ये पहला ऐसा हिंदी सीरियल बना था, जो 1000 एपिसोड तक पहुंचा.
फिर आया ‘खिचड़ी’. साल 2002 में. जिसमें उन्होंने हंसा पारेख का किरदार निभाया. इस किरदार ने उन्हें काफी पॉपुलर बना दिया.
खिचड़ी सीरियल में हंसा का किरदार.
सुप्रिया की फिल्मों में वापसी हुई 'सरकार' से, जो साल 2005 में आई थी. इसके बाद उन्होंने 'वेकअप सिड' में रणबीर कपूर की मां का रोल निभाया. लेकिन 2013 में आई फिल्म 'गोलियों की रासलीला- राम लीला' में धनकोर बा के उनके किरदार ने सबको चौंका दिया. बेधड़क और दबंग धनकोर बा सनेड़ा समुदाय की लीडर थीं. इनका किरदार शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलियट के किरदार लेडी कैपुलेट से प्रेरित बताया जाता है. एक इंटरव्यू में सुप्रिया ने बताया था कि उन्होंने ऐसा किरदार निभाने के बारे में सोचा भी नहीं था. क्योंकि तब तक उनकी इमेज हंसा पारेख वाली थी. हल्की-फुल्की कॉमेडी करतीं. लेकिन संजय लीला भंसाली, जो कि फिल्म के डायरेक्टर थे, उन्होंने सुप्रिया को इस किरदार के लिए मना लिया. भंसाली ने कहा था कि सुप्रिया की आंखों में ऐसा लुक है, जो विलेन वाले किरदारों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
धनकोर बा के किरदार में सुप्रिया पाठक एक नए अवतार में नज़र आई थीं.
मां से परे
इस फिल्म के बाद भी फिल्मों में उन्होंने मां के किरदार निभाने जारी रखे. जैसे 'बॉबी जासूस', जिसमें वो विद्या बालन के किरदार की मां के रोल में थीं. और 'किस किस को प्यार करूं' फिल्म में कपिल शर्मा की मां के किरदार में दिखाई दीं. इस बाबत सुप्रिया ने IANS को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि भले ही उन्हें मां के रोल मिलते हैं, क्योंकि वो एक खास एज ग्रुप में हैं, लेकिन वो हर किरदार को अलग तरीके से निभाने की कोशिश करती हैं.
हालांकि एज ग्रुप से परे भी एक एक्टर कई तरह के किरदार निभा सकता है, तो ये देखना बहुत इंट्रेस्टिंग होगा कि सुप्रिया एक मां के किरदार से हटकर कोई रोल निभाएंगी तो वो कैसा होगा.