NDA यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी. इसके एंट्रेंस एग्ज़ाम को लेकर 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था. कहा था कि अब लड़कियां भी NDA के एंट्रेंस एग्ज़ाम में बैठ सकेंगी. और इस नई पहल की शुरुआत आगामी एंट्रेंस एग्ज़ाम से होगी, जो 14 नवंबर को है. चूंकि अब तक NDA के दरवाज़े लड़कियों के लिए बंद थे. लंबे समय से NDA में लड़कियों की एंट्री की मांग रखी जा रही थी. कुश कालरा नाम के एक वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ये दरवाज़े खोलने की कवायद की थी. इसके बाद 8 सितंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक मांग रखी. कहा कि आगामी एंट्रेंस एग्ज़ाम में लड़कियों को शामिल न करके अगले एग्ज़ाम से शामिल किया जाए, जो मई 2022 में होंगे. मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने कहा कि औरतों को अलाउ करने के लिए कई NDA में कई सारे इन्फ्रास्ट्रक्चरल बदलाव करने होंगे, कैरिकुलम में बदलाव करना होगा और इसके लिए वक्त चाहिए. इसलिए औरतों को मई 2022 में होने वाले एग्ज़ाम से बैठने की परमिशन दी जाए.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NDA में औरतों की भर्ती को एक साल तक के लिए टाला नहीं जा सकता.
क्या है मामला?
'लाइव लॉ' के मुताबिक, इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को सुनवाई की. साफ कह दिया कि 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जो अंतरिम आदेश पास किया था, जिसमें लड़कियों को आगामी NDA एंट्रेंस एग्ज़ाम में बैठने की परमिशन दी गई थी, उस फैसले को रद्द नहीं किया जाएगा. जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि औरतों के एडमिशन को अब पोस्टपोन नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने ऑब्ज़र्व किया कि 2022 में औरतों को एग्ज़ाम में बैठने के लिए परमिशन अगर दी गई, तो इसका ये मतलब होगा कि NDA में उनका एडमिशन साल 2023 में जाकर हो सकेगा. कोर्ट ने कहा कि वो NDA में औरतों की भर्ती को एक साल तक के लिए पोस्टपोन नहीं कर सकते.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में ये सब्मिट किया था कि एक स्टडी ग्रुप का गठन किया गया था, ये देखने के लिए कि NDA में औरतों की भर्ती के लिए कैरिकुलम, इंफ्रास्ट्रक्चर, फिटनेस ट्रेनिंग, एकॉमोडेशन फेसिलिटीज़ में किन बदलावों की ज़रूरत है. और ये पाया गया कि ये सारे बदलाव मई 2022 तक पूरे हो सकेंगे. इसका हवाला देते हुए आगामी NDA एंट्रेंस एग्ज़ाम में महिलाओं के शामिल होने पर रोक लगाने की मांग रखी गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को सुनवाई करते हुए कहा-
"नहीं मिस भाटी. हम आपकी दिक्कतें समझते हैं. हमें पूरा यकीन है कि आप लोग कोई न कोई हल ज़रूर निकाल लेंगे. हमें रिज़ल्ट देखने दीजिए. प्लानिंग तो चलती रहेगी. आर्म्ड फोर्सेज़ इमरजेंसीज़ से डील करते हैं. तो हमें नहीं लगता कि इस सीनिरियो से आर्म्ड फोर्सेज़ रिस्पॉन्स टीम डील नहीं कर सकती... ज्यादा किसी ने इस एग्ज़ाम के लिए एनरॉल नहीं किया है. इसलिए नंबर्स पहले ही कम होंगे. इसलिए इसे स्किप करने के बजाए, उनके लिए कुछ हल निकालने की कोशिश कीजिए."
जस्टिस कौल ने कहा कि उन्होंने मिनिस्ट्री द्वारा दायर किया गया एफिडेविट ध्यान से पढ़ा है और सारी दिक्कतें भी सही से समझी है. उन्होंने आगे कहा कि औरतों को अंतरिम ऑर्डर में एक बार उम्मीद देकर, उसे तोड़ा नहीं जा सकता. जस्टिस कौल ने कहा-
"हम आपके सारे कन्सर्न्स समझते हैं. आपने फिटनेस टेस्ट, एकॉमोडेशन, कैरिकुलम बदलाव की बात की है... लेकिन इसे एक साल के लिए पोस्टपोन करना दिक्कत वाली बात है. औरतों को नवंबर के एग्ज़ाम में बैठने की उम्मीद दे दी गई है, हम नहीं चाहते कि उसे झुठलाया जाए. हम आपको थोड़ा विस्तार देंगे, लेकिन आप इस आदेश को रद्द करने के लिए न कहिए. हमें रिज़ल्ट देखने दीजिए."
NDA के एग्ज़ाम के बारे में और डिटेल में जानने के लिए आप हमारे शो का एक पुराना एपिसोड देख सकते हैं, उसका लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा. इस खबर के बाद आखिर में आपको हम रूबरू करवाएंगे ऐसी खबर से, जो बताती है कि महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में कुछ तो अच्छा बदलाव हो रहा है.