आपने कई बार देखा होगा. हमारे शरीर के कुछ हिस्सों पर ऐसी लकीरें दिखती हैं…
वजन घटने और बढ़ने पर स्ट्रेच मार्क्स क्यों पड़ जाते हैं? किसी बड़ी बीमारी की शुरुआत तो नहीं?
अगर आपको शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स हैं तो ये किसी बीमारी की ओर इशारा तो नहीं कर रहे? इन्हें कितना सीरियस लेने की जरूरत है, इनसे जुड़े हर सवाल का जवाब एक्सपर्ट ने दिया है.


ये स्ट्रेच मार्क्स होते हैं. स्किन में जब कोई खिंचाव या सिकुड़न होती है, तब ये पड़ जाते हैं. स्ट्रेच मार्क्स होना बहुत आम-सी बात है. ये कोई बीमारी नहीं हैं. इनकी वजह से आपको टेंशन लेने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है. ये उम्र के साथ धीरे-धीरे खुद ही हल्के भी पड़ जाते हैं. पर कुछ लोगों में स्ट्रेच मार्क्स काफ़ी गहरे हो जाते हैं. हमें सेहत पर कई सारे व्यूअर्स के मेल आए हैं, जो जानना चाहते हैं कि स्ट्रेच मार्क्स हमेशा के लिए हट सकते हैं या नहीं? आज डॉक्टर से जानेंगे, हमारे शरीर पर आखिर स्ट्रेच मार्क्स पड़ते क्यों हैं? महिलाओं में ये समस्या ज़्यादा क्यों होती है? अचानक से वज़न घटने या बढ़ने पर स्ट्रेच मार्क्स क्यों पड़ जाते हैं? और इससे बचाव और इलाज कैसे किया जा सकता है?
शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स क्यों पड़ जाते हैं?ये हमें बताया डॉ. रुबिन भसीन ने.

जब त्वचा में बहुत अधिक खिंचाव होता है, तब इसकी निचली सतह में कट्स पड़ जाते हैं. कोलेजन को नुकसान पहुंचता है. कोलेजन शरीर में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है. इस वजह से शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स पड़ जाते हैं. ऐसा जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है. महिलाओं में स्ट्रेच मार्क्स पड़ने के ज़्यादा चांस होते हैं. हॉर्मोन में बदलावों की वजह से भी स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं. अचानक वज़न बढ़ने या कम होने की वजह से भी ये हो जाते हैं.
महिलाओं में स्ट्रेच मार्क्स की समस्या ज़्यादा क्यों?- महिलाओं में एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन होता है
- जब एस्ट्रोजन में कोई बदलाव आता है
- जैसे टीनएज, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज़ के समय पर
- तब दोनों परतों को जोड़ने वाले टिशू टूट जाते हैं और स्ट्रेच मार्क्स पड़ जाते हैं
- 90 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाओं, 60 फीसदी टीनएज लड़कियों में और 40 फीसदी टीनएज लड़कों में स्ट्रेच मार्क्स पाए जाते हैं
- लड़कियों में ये ज़्यादातर ब्रेस्ट, पेट, जांघों और कूल्हों पर होते हैं
- वहीं लड़कों में स्ट्रेच मार्क्स कंधों, कमर के निचले हिस्से और जांघों में पाए जाते हैं
- ये लाल रंग के होते हैं लेकिन धीरे-धीरे इनका रंग सफेद हो जाता है
- इनकी लंबाई 1 से 10 सेंटीमीटर और चौड़ाई 1 से 10 मिलीमीटर तक हो सकती है

- त्वचा का कोलेजन सबसे कठोर होता है
- जब त्वचा किसी खिंचाव के कारण घटती या बढ़ती है
- तब ऊपर की त्वचा पतली और फ्लैट हो जाती है
- वहीं नीचे की त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है
- कनेक्टिव टिशू भी टूट जाते हैं और कोलेजन ऊपर की ओर आ जाता है
- इस वजह से स्ट्रेच मार्क्स दिखने लगते हैं
बचाव और इलाज- स्ट्रेच मार्क्स कोई बीमारी नहीं है
- लेकिन खासकर टीनएज बच्चे इसको लेकर सहज महसूस नहीं करते
- स्ट्रेच मार्क्स से बचने के लिए इसका शुरुआती स्टेज में ही इलाज कराएं
- जब इनका रंग लाल हो, इससे नतीजे बेहतर आते हैं
- अगर ट्रीटमेंट न भी लिया जाए तो ये समय के साथ कम हो जाते हैं
- किसी दवाई के कारण स्ट्रेच मार्क्स पड़ रहे हैं तो दवाई लेना बंद कर दें या उसे बदल दें
- एकदम से वज़न बढ़ाएं या घटाएं नहीं
- कुछ क्रीम्स, लेज़र ट्रीटमेंट और बायोथेरेपी लेकर भी स्ट्रेच मार्क्स कम किए जा सकते हैं
अगर आपको स्ट्रेच मार्क्स हैं तो यह किसी बीमारी की ओर इशारा नहीं है. इसलिए परेशान होने की बिलकुल ज़रुरत नहीं है. लेकिन अगर आपको फिर भी इनका इलाज कराना है तो आप डॉक्टर से मिल सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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