अमेरिका की एक वेबसाइट ने 22 साल की एक लड़की को नौकरी पर रखा है. उस लड़की का काम होगा पॉर्न देखना. इस काम के उसे बहुत सारे पैसे भी मिलेंगे. हर घंटे के 20 डॉलर यानी करीब 1500 रुपये. ख़बर है तो एक महीने पुरानी, लेकिन सोशल मीडिया पर अभी जमकर वायरल है.
इस लड़की को पॉर्न देखने की नौकरी मिली है, हर घंटे मिलते हैं 1500 रुपये!
90 हज़ार आवेदकों में चुनी गई लड़की. बोली- ऐसा काम कौन नहीं करना चाहेगा.

21वीं सदी को सूचना का दौर कहते हैं, लेकिन असल में दौर मार्केट का ही है. सूचना केवल इंधन है. 19वीं सदी के बाद से भौकाल मार्केट और मार्केटिंग वालों का है. हर जगह. कॉर्पोरेट्स भर-भर के मार्केटिंग के लिए बजट देते हैं. और, मार्केटिंग वालों का काम केवल बेचने की अलग-अलग विधियां निकालना नहीं होता. मार्केटिंग का एक अहम हिस्सा है ग्राहक को समझना. यानी मार्केट रिसर्च. जो कोई भी कुछ बेच रहा है, वो रिसर्च करता है, कि किसको बेचें, कैसे बेचें.
एक वेबसाइट है. बेडबाइबल. सेक्स-टॉयज़ के रिव्यूज़, सेक्स को लेकर लेटेस्ट स्टैस्टिक्स, ब्लॉग्स, पॉडकास्ट्स के इर्द गिर्द काम करती है. बेडबाइबल ने पॉर्न इंडस्ट्री के बारे में बेहतर जानकारी जुटाने के लिए रिसर्च शुरू की है. इसी रिसर्च के लिए स्कॉटलैंड की रहने वाली रेबेका डिक्सन को नौकरी पर रखा है. 90,000 आवेदकों में से बेडबाइबल ने रेबेका को चुना है.
न्यू यॉर्क पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, रेबेका को सेक्स पोज़ीशन, वीडियो कितनी देर की है, ऑर्गैज़्म, मेल-फ़ीमेल रेशियो से संबंधित डेटा इकट्ठा करना होगा. उन्हें पॉर्न क्लिप से डेटा एकत्र करना है, ताकि पॉर्न देखने वाले यूजर्स को लेकर डिटेल में एक रिपोर्ट बनाई जा सके.
न्यूयॉर्क पोस्ट से बात करते हुए रेबेका ने कहा,
"मेरे लिए ये काम परफ़ेक्ट है. पॉर्न देखकर पैसे मिलेंगे, तो कौन नहीं करना चाहेगा? सच कहूं तो मैं हैरान हूं कि मुझे नौकरी के लिए चुना गया क्योंकि मैं एक छोटे से शहर से हूं, जहां बहुत कुछ नहीं होता है. इसलिए ये मेरे लिए अच्छा मौक़ा है."
न्यू यॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेबेका का पहला असाइनमेंट है कि वो पॉर्नसाइट पॉर्नहब के टॉप 100 वीडियो देखें और अवधि के बारे में पॉइंट्स नोट करें. उन वीडियोज़ में दिखाई गई सेक्स पोज़ीशन, ऐक्टर्स के बालों के रंग, भाषा आदि के बारे में नोट्स तैयार करें.
जब से ये ख़बर सोशल मीडिया पर घूम रही है, तब से ज़्यादातर रिऐक्शंस और कमेंट्स इसी तरह के हैं कि 'मुझे भी यह नौकरी चाहिए.' लेकिन इसमें एक गंभीर बात है. एक समाज कैसा कॉन्टेंट कंज़्यूम कर रहा है, कैसा कॉन्टेंट कंज़्यूम करना बंद कर दिया, इस कंज़प्शन से समाज की सोशियो-कल्चरल प्रवृत्तियों का पता चलता है. पॉर्न सिर्फ़ पॉर्न नहीं है. इससे उस समाज में रह रहे लोगों की मानसिकता के बारे में पता चलता है.