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बच्चों की देखभाल के लिए मिलने वाली छुट्टी क्या है, जिसके चलते नर्स की मैटरनिटी लीव पर बन आई

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि महिला से मैटरनिटी लीव का अधिकार छीना नहीं जा सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला को उसकी मैटरनिटी लीव के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता. सांकेतिक फोटो- Freepik

नौकरीपेशा महिलाओं की मैटरनिटी लीव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त को एक अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला को मातृत्व अवकाश के उसके अधिकार से इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता है कि वो पति की पहली शादी से हुए बच्चे के लिए अपनी छुट्टियों का इस्तेमाल कर चुकी है. ये बात सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के PGIMER अस्पताल (PGI अस्पताल) की एक नर्स की तरफ से लगाई गई याचिका की सुनवाई के दौरान कही.

क्या है पूरा मामला

PGI अस्पताल की नर्स की याचिका के मुताबिक, उनके पति की पहली शादी से दो बच्चे थे. पहली पत्नी की मौत के बाद उन दोनों ने शादी की. पति के एक बच्चे की देखभाल के लिए महिला ने चाइल्ड केयर लीव ली थी. अब इसे आधार बनाते हुए PGI चंडीगढ़ ने महिला के अपने बच्चे के लिए मैटरनिटी लीव देने से इनकार कर दिया. इसके लिए सिविल सर्विसेज नियम 43 का हवाला दिया गया.  

इस मामले में जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एसए बोपन्ना की बेंच ने फैसला दिया. बेंच कहा कि मैटरनिटी लीव और चाइल्ड केयर लीव देने का मकसद ये है कि महिलाओं को अपनी नौकरी जारी रखने का प्रोस्ताहन मिले. कोर्ट ने कहा कि बच्चे के जन्म पर छुट्टी नहीं मिलने की वजह से कई महिलाओं को काम छोड़ना पड़ता है. बेंच ने फैसला सुनाया कि केंद्रीय सेवा (अवकाश नियम) 1972 के तहत एक महिला को उसके बायोलॉजिकल बच्चे के लिए मैटरनिटी लीव से वंचित नहीं किया जा सकता है. बेंच ने ये भी कहा कि प्रसव को कामकाजी महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक पहलू माना जाना चाहिए.

क्या हैं मैटरनिटी लीव और चाइल्ड केयर लीव के नियम?

नियमों के अनुसार, महिला दो बच्चों के जन्म के समय मातृत्व अवकाश ले सकती है. मैटरनिटी बेनिफिट (एमेंडमेंट) एक्ट-2017 क्या है? क्या सुविधाएं इस कानून से मिलती है. इस एक्ट को ठीक से समझने के लिए हमने बात की सीनियर एडवोकेट आभा सिंह से. उन्होंने बताया,

"हमारे देश में मैटरनिटी लीव का कानून 2017 में संशोधित हुआ है. वो ये कहता है कि किसी भी कंपनी या सेक्टर में काम करने वाली महिला मैटरनिटी लीव की हकदार है. चाहे वो पब्लिक सेक्टर में काम करती हो, चाहे प्राइवेट सेक्टर में. अगर कंपनी में वो 80 दिन से ज्यादा काम कर चुकी है, तो वो मैटरनिटी लीव ले सकती है. ये 26 हफ्तों की पेड लीव होती है, माने इस छुट्टी के पैसे नहीं कटते हैं. डिलीवरी डेट से आठ हफ्ते पहले से ये छुट्टी ली जा सकती है. और 26 हफ्ते पूरे होने के बाद खत्म होती है."

मैटरनिटी लीव के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव की सुविधा भी मिलती है. ये सुविधा 18 साल से कम उम्र के बच्चों की देखभाल के लिए मिलती है. अधिकतम दो बच्चों के लिए ये सुविधा ली जा सकती है. ये छुट्टी पूरी सर्विस के दौरान अधिकतम दो साल के लिए ली जा सकती है. इसमें पहले एक साल में 100 प्रतिशत सैलरी और दूसरे साल में 80 प्रतिशत तक सैलरी कर्मचारियों को मिलती है. ये छुट्टी कर्मचारी एक साथ भी ले सकते हैं और अधिकतम तीन किश्तों में ले सकती हैं. हालांकि,सिंगल मांओं को सुविधा है कि वो छह किश्तों में यानी अलग-अलग समय में छह बार में ये छुट्टी ले सकती हैं. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग के मुताबिक, सेंट्रल सिविल सर्विस (CCS) के नियम 43-सी के मुताबिक, चाइल्ड केयर लीव की सुविधा सिंगल पिताओं को भी मिलती है. इनमें अविवाहित, तलाकशुदा और विधुर कर्मचारी शामिल हैं. 

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