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ऋतु सुहास: मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण पर JCB चलाने वाली PCS अधिकारी से मिलिए

मॉडलिंग कर चुकी हैं, ब्यूटी कॉन्टेस्ट भी जीत चुकी हैं ऋतु.

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बाएं से दाएं. अपने पति और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ऋतु सुहास. मिसेज इंडिया कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेने के दौरान पोज करती हुईं. (दोनों फोटो: विशेष प्रबंध)
ऋतु सुहास. पीसीएस हैं. हाल ही में इनका ट्रांसफर हुआ है. अब वे गाजियाबाद में एडीएम प्रशासन के तौर पर जिम्मेदारी संभालेंगी. पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात थीं.
आप सोच रहे होंगे कि अधिकारियों के तो ट्रांसफर होते रहते हैं, तो ऋतु सुहास के ट्रांसफर की खबर अलग से बताने की जरूरत क्या है? दरअसल, ऋतु सुहास वो पीसीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने लखनऊ में अपनी तैनाती के दौरान विधायक और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माणों को एक के बाद एक ढहाने की जिम्मेादारी निभाई.
फील्ड वर्क के दौरान Ritu Suhas. (फोटो: विशेष प्रबंध)
फील्ड वर्क के दौरान Ritu Suhas. (फोटो: विशेष प्रबंध)

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ विकास प्राधिकरण की संयुक्त सचिव रहते हुए ऋतु सुहास ने शाइन बिल्डर्स की अवैध कॉलोनियों पर जेसीबी चलवा दी. उन्होंने मुख्तार अंसारी के जियामऊ में दो अवैध निर्माण, कैसरबाग में ड्रैगन मॉल और रानी सल्तनत में अवैध निर्माण को धव्स्त कराया. अवैध निर्माणों को हटाने में उनकी कार्यक्षमता के देखते हुए उन्हें पूरे लखनऊ में इस काम को अंजाम देने के लिए नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया. कानून की सीमाओं में रहते हुए ऋतु सुहास अपना काम करती रहीं. अपने पिता से प्रेरित हुईं ऋतु सुहास का जन्म लखनऊ शहर के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ. उनके पिता वकील हैं और मां हाउस वाइफ. ऋतु अपनी एक बहन और भाई के साथ बड़ी हुईं.  उन्होेंने लखनऊ के लॉरेटे कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की. लखनऊ से ही बाकी की पढ़ाई की. यूनीवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन किया. इस बीच अध्यापन से भी जुड़ीं. ऋतु बताती हैं-
"मेरे पापा वकील हैं. बहुत सिद्धांतों वाले वकील. बचपन से ही वे मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं. उन्होंने हमेशा से ही मेहनत के जरिए मुकाम हासिल करने की सीख दी. इसी का परिणाम रहा कि ना केवल मैंने ना केवल LLB और B.Sc में गोल्ड मेडल हासिल किया, बल्कि PCS के साथ-साथ PCS ज्युडिशयल सर्विस भी क्वालिफाई कर ली. फिर 2004 में बतौर SDM मैंने सर्विस ज्वाइन की."
लॉ में ग्रेजुएशन करने के बाद ऋतु सुहास बच्चों को बॉयोलॉजी पढ़ाने लगी थीं. लॉ से पहले उन्होंने लखनऊ यूनीवर्सिटी से ही B.Sc भी की थी. बच्चों को पढ़ाना उनके लिए कोई छोटा काम नहीं था. लेकिन उनके मन में कहीं ना कहीं यह खयाल आता रहता था कि उन्हें कुछ बड़ा करना है. कुछ ऐसा करना है, जिससे एक बड़ी संख्या में लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़े. उनके पिता भी उन्हें इस बात के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे. उनके मन में यह खयाल भी आता था कि जब वे यूनीवर्सिटी में गोल्ड मेडल हासिल कर सकती हैं, तो फिर PCS एग्जाम भी निकाल सकती हैं. ट्यूशन से आत्मनिर्भरता बच्चों को बॉयोलॉजी पढ़ाते-पढ़ाते आखिरकार ऋतु सुहास ने PCS एग्जाम की तैयारी करने का फैसला ले ही लिया. लेकिन उन्हें जिस दौर में इस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी थी, उस दौर में यह धारणा टूटने लगी थी कि इस तरह के एग्जाम की तैयारी करने वाले प्रतियोगी इलाहाबाद और लखनऊ जैसे सेकेंड टायर शहरों में रहकर तैयारी कर सकते हैं.
Ritu Suhas ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. इससे ना केवल उन्हें आत्मनिर्भर महसूस कराने वाली पॉकेट मिली, बल्कि तैयारी के लिए सिलैबस भी रिवाइज हो गया. (फोटो: विशेष प्रबंध)
Ritu Suhas ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. इससे ना केवल उन्हें आत्मनिर्भर महसूस कराने वाली पॉकेट मिली, बल्कि तैयारी के लिए सिलैबस भी रिवाइज हो गया. (फोटो: विशेष प्रबंध)

अब प्रतियोगी छात्र दिल्ली आने लगे थे. जहां कोचिंग में महंगी फीस तो देनी ही थी, साथ ही रहने और खाने के लिए भी जेब से ठीक-ठाक पैसे खर्च करने थे. ऐसे में ऋतु ने घर में रहकर ही तैयारी करने का फैसला लिया. उन्होंने हमें बताया-
"जब मैंने तैयारी करने का फैसला लिया, तब मेरा छोटा भाई पढ़ रहा था. दीदी की शादी ही हुई थी. मैं भी ग्रेजुएशन कर चुकी थी. ऐसे में मां-बाप से पैसे मांगना अच्छा नहीं लगता था. ग्रेजुएशन करने के बाद मैं आत्मनिर्भर होना चाहती थी."
इस आत्मनिर्भरता को हासिल करने में ऋतु की मदद ट्यूशन ने की. वे बच्चों को ट्यूशन पढ़ातीं. इससे उन्हें पैसे भी मिल जाते और साथ ही में तैयारी में भी मदद मिल जाती. कैसे, यह भी ऋतु ने ही बताया-
"मैं सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहती थी. जितना चांस इस परीक्षा को पास करने का था, उतनी ही फेल होने का भी. इसलिए मैंने किसी बड़े शहर जाकर तैयारी नहीं की. बच्चों को पढ़ा ही रही थी. इससे फायदा हुआ कि NCERT वाला सिलैबस भी कवर हो गया. जनरल स्टडीज एक तरह से रिवाइज हो गई. बच्चों को पढ़ाने से पैसे तो मिल ही रहे थे. इससे स्वाभिमान भी बढ़ता था."
आगरा में हुआ प्यार आगरा में ताजमहल है. इसे प्रेम की निशानी माना जाता है. यहीं पर ऋतु सुहास ओर एल वाई सुहास को एक दूसरे से प्यार हुआ. दोनों ने फिर 2008 में शादी कर ली. एल वाई सुहास मूल तौर पर कर्नाटक से वास्ता रखते हैं. फिलहाल गौतमबुद्ध नगर के डीएम के तौर पर तैनात हैं. एल वाई सुहास से मुलाकात के बारे में ऋतु बताती हैं-
"हम दोनों आगरा में तैनात थे. वो लोकसभा चुनाव का दौर था. मैं बस घर से ही निकली थी. अचानक से कई सारी जिम्मेदारियां आन पड़ी थीं. मैं भी सीख रही थी और सुहास भी. साथ काम करते-करते ही हमने एक दूसरे साथ समय बिताना शुरू किया. हम दोनों एकदम अलग-अलग संस्कृतियों से आए हुए लोग हैं. मैं उत्तर भारत से और सुहास दक्षिण से. लेकिन समय बिताने पर पता चला कि हमारे बीच बहुत सारी बातें कॉमन हैं. फिर हमने एक साथ जिंदगी बिताने का फैसला किया और 2008 में शादी कर ली."
ऋतु सुहास की पहली तैनाती मथुरा में हुई थी. उसके बाद से वे कई जिलों में तैनात की जा चुकी हैं. इनमें आगरा, आजमगढ़, हाथरस, जौनपुर और लखनऊ का नाम शामिल है.
Ritu Suhas अपने पति L Y Suhas के साथ . LY Suhas गौतमबुद्ध नगर के डीएम हैं. (फोटो: विशेष प्रबंध)
Ritu Suhas अपने पति L Y Suhas के साथ . LY Suhas गौतमबुद्ध नगर के डीएम हैं. (फोटो: विशेष प्रबंध)

ऋतु बताती हैं कि शुरुआती दौर में वे नोकिया के मोटे वाले फोन से काम करती थीं. एक लड़की जो घर और शहर से बाहर नहीं गई, उसके लिए अलग-अलग जिलों में SDM के तौर पर तैनात होना एकदम नया अनुभव था. और फिर एकदम अलग संस्कृति से आए व्यक्ति को जीवनसाथी बनाना भी एक अलग ही एक्सपीरिएंस था. मुख्तार के अवैध निर्माण गिराना ऋतु सुहास बताती हैं कि बाहुबली मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माणों के खिलाफ उन्होंने जो कार्रवाई की, वो पूरी तरह से कानूनसम्मत थी. जब उन्हें यह जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इसे एकदम सहज भाव से निभाया. ऋतु बताती हैं कि आज भी वे बिना किसी डर के अपनी ड्यूटी कर रही हैं. उन्होंने हमें बताया-
"मैं एकदम बिंदास रहती हूं. मैंने कुछ गलत तो किया नहीं है. उल्टा जो गैरकानूनी थी, उसके खिलाफ कार्रवाई की. यह मेरी ड्यूटी का हिस्सा है. इसमें मेरा कोई व्यक्तिगत हित तो शामिल नहीं है."
ऋतु बताती हैं कि इस तरह की जिम्मेदारी के दौरान दबाव होता है और आपके पास भागने के भी मौके होते हैं लेकिन कानूनी तौर पर जो गलत है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जिम्मेदारी तो आपको निभानी ही है. अगर आपको आदेश मिला है किसी काम को करने का, तो उसका पालन करना ही है. मिसेज इंडिया 2019 गाजियाबाज में बतौर एडीएम प्रशासन तैनात ऋतु सुहास मिसेज इंडिया का ताज भी अपने नाम कर चुकी हैं. उन्होंने 2019 में 60 प्रतियोगियों से मुकाबला करते हुए यह खिताब अपने नाम किया था. उन्होंने बताया-
"कॉलेज के दिनों से ही मुझे मॉडलिंग और फैशन का पैशन रहा है. कॉलेज में ऐसी कई प्रतियोगिताएं जीतीं. मैं कपड़े भी डिजाइन करती थी. ऐसे ही अचानक से एक दिन मुझे मिसेज इंडिया के बारे में पता चला. मुंबई में प्रतियोगिता हुई. पूरे 6 दिन चली. आखिर में मेरे सिर पर ताज़ था."
ऋतु ने यह भी बताया कि वे खादी इंडिया को प्रमोट करने के लिए भी मॉडलिंग कर चुकी हैं. साथ ही एक अधिकारी की हैसियत से अपने टैलेंट का प्रयोग उत्तर प्रदेश के दूसरे क्राफ्ट के प्रमोशन के लिए भी करती रहती हैं.
मिसेज इंडिया कॉन्टेस्ट के दौरान रैंप वॉक करतीं Ritu Suhas. 2019 में उन्होंने यह ताज अपने नाम किया था. (फोटो: विशेष प्रबंध)
मिसेज इंडिया कॉन्टेस्ट के दौरान रैंप वॉक करतीं Ritu Suhas. 2019 में उन्होंने यह ताज अपने नाम किया था. (फोटो: विशेष प्रबंध)

उनका कहना है कि यूपी में बहुत सारे ऐसे कपड़े, डिजायन, जूलरी इत्यादि हैं, जिनका प्रमोशन किया जाना चाहिए और उन्होंने किया भी है. हालांकि, प्रशासनिक जिम्मेदारी बढ़ने के चलते अब इतना प्रमोशन नहीं हो पाता. लड़कियों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता जरूरी ऋतु सुहास मानती हैं कि लड़कियों के पास आर्थिक आत्मनिर्भरता जरूर होनी चाहिए. चाहे उनका बैकग्राउंड कैसा भी हो. उनका कहना है कि लड़कियां पैसे खर्च करें या ना करें, लेकिन आर्थिक तौर पर सशक्त होनी ही चाहिएं. लड़कियों को एक कोई जॉब जरूर करनी चाहिए. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है.
Ritu Suhas का मानना है कि लड़कियों और महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी बहुत जरूरी है. इससे ना केवल उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है. (फोटो: विशेष प्रबंध)
Ritu Suhas का मानना है कि लड़कियों और महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी बहुत जरूरी है. इससे ना केवल उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है. (फोटो: विशेष प्रबंध)

उन्होंने कहा कि लड़कियों और महिलाओं को समझना होगा कि जिंदगी केवल घर तक सीमित नहीं है. जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा बाहर है. और सबको इसका अनुभव लेने का अधिकार है. उन्होंने यह भी बताया कि कोई ऐसा काम करने से, जो आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे, उससे लड़कियों और महिलाओं के व्यक्तित्व का भी निर्माण होता है. चलने के तो जिंदगी एक हाइस वाइफ के तौर पर भी चल सकती है. लेकिन उसमें और अपने काम में एक गर्व महसूस करने, आर्थिक तौर पर मजबूत और आजाद महसूस करने में बहुत अंतर है.