पुर्तगाल में भारतीय गर्भवती महिला की मौत हो गई. इसके बाद वहां की स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मार्टा टेमिडो ने इस्तीफा दे दिया. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भवती महिला को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल शिफ्ट किया जा रहा था. इसी दौरान रास्ते में कार्डियेक अरेस्ट से उसकी मौत हुई. हालांकि, पुर्तगाल में ये ऐसा पहला मामला नहीं है. लंबे समय से अस्पताल और मेडिकल स्टाफ की कमी की वजह से मरीजों की मौत के मामले सामने आ रहे थे. इस वजह से स्वास्थ्य मंत्री सवालों के घेरे में थीं.
प्रेग्नेंट औरत की मौत हुई तो स्वास्थ्य मंत्री ने इस्तीफ़ा दिया, कहा -"मैं लायक़ नहीं"
सबसे बड़े अस्पताल में प्रेग्नेंट औरत को भर्ती नहीं किया गया, दूसरे अस्पताल के रास्ते में हुई मौत.
गर्भवती भारतीय महिला की मौत का मामला पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन का है. महिला की उम्र 34 साल थी और वो 31 हफ्तों की गर्भवती थी. वो घूमने के लिए पुर्तगाल गई थी.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल सांता मारिया में गर्भवती महिला को एडमिट नहीं किया गया. मजबूरी में उसे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा था. लेकिन ये समय पर न हो सका जिस वजह से रास्ते में ही उसकी मौत हो गई.
महिला की कोख में पल रहे बच्चे को इमरजेंसी सी-सेक्शन सर्जरी करके बचा लिया गया है. बच्चा पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन अभी उसे निगरानी में रखा गया है. वहीं महिला की मौत की जांच शुरू हो गई है.
पुर्तगाल की स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहकर इस्तीफा दिया?गर्भवती महिला की मौत का मामला मीडिया ने उठाया. सरकार और स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया.
मामला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया. मामला इसलिए भी गंभीर हो गया क्योंकि घटना देश की राजधानी में हुई थी. लोगों ने सवाल उठाया कि अगर राजधानी का ये हाल है तो देशभर में क्या ही व्यवस्था होगी.
इसका असर ये हुआ कि कुछ घंटे बाद ही स्वास्थ मंत्री मार्टा टेमिडो ने इस्तीफा दे दिया. प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया. सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया,
"स्वास्थ्य मंत्री मार्टा का कहना है कि वो इस पद पर बने रहने के माकूल नहीं है."
पुर्तगाल के प्रधानमंत्री ने भी भारतीय महिला की मौत पर शोक व्यक्त किया है.
स्वास्थ्य मंत्री पर पहले भी उठ चुके हैं सवालमार्टा टेमिडो ने 2018 में स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला था. कोरोना काल में उनके काम की तारीफ हुई थी. कहा गया कि कोविड 19 के मामलों को काबू और मैनेज करने में उन्होंने सफलता पाई थी. लेकिन पिछले कुछ महीनों से वो सवालों के घेरे में थीं. आरोप लगे कि देश में बच्चों के इलाज की सही व्यवस्था नहीं है. मैटरनिटी स्टाफ और व्यवस्था में कमी है. हालात यहां तक पहुंच गए कि स्टाफ की कमी के कारण कई यूनिट्स को बंद करना पड़ा. कई ऐसे मामले सामने आए जहां प्रेग्नेंट महिलाओं को दूसरे अस्पताल शिफ्ट करना पड़ा.
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