कहा जाता है कि हमारे यहां के टीवी सीरियल्स में बड़ा ड्रामा होता है. और काफी हद तक ये बात हमें सच भी लगती है. क्योंकि किसी ऐपिसोड में कोई इंसान मर जाता है, तो अगले ऐपिसोड में दोबारा जन्म लेकर, या प्लास्टिक सर्जरी करवाकर वापस भी आ जाता है. लेकिन सच तो ये है कि असल ज़िंदगी में ऐसा नहीं होता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि सीरियल्स में बार-बार मरकर ज़िंदा होने वाला जो कॉन्सेप्ट है वो पूरी तरह से फेक है. लेकिन इन्हीं सीरियल्स में कुछ ड्रामा ऐसा होता है, जो हम हर दूसरे या तीसरे दिन अपने आस-पास होता देखते हैं. मतलब जब परिवार के लोग ही एक-दूसरे के दुश्मन बन जाएं, एक दूसरे को पुलिस और कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगवाने शुरू कर दें, तो इस कॉन्सेप्ट पर हम आंख मूंदकर भरोसा कर सकते हैं. क्योंकि ये ऐसी घटनाएं हैं जो हमेशा असल ज़िंदगी में, असल परिवारों में होती हैं. घटनाएं कड़वी हैं, लेकिन ऐसा होता है. फिर चाहे वो परिवार आर्थिक तौर पर गरीब हो या फिर पैसों के गद्दे पर सो रहा हो. हाल ही में ऐसे ही एक परिवार का मामला खबरों में है, वो इसलिए क्योंकि ये परिवार एक राजघराना है. एक महारानी पर ही धमकी देने के आरोप लगे हैं और उनकी गिरफ्तारी हुई है. क्या है ये पूरा मामला आपको डिटेल में बताएंगे.
पन्ना राजघराने की महारानी जीतेश्वरी देवी कर रही हैं राजमाता सास के साथ फ्रॉड?
पांच दिन से जेल में बंद हैं पन्ना की महारानी.
क्या है मामला?
जिस राजघराने की हम बात कर रहे हैं, वो है मध्य प्रदेश के पन्ना का राजघराना. आगे हम कुछ बताएं, उससे पहले एक ज़रूरी बात. भारत एक लोकतंत्र है, यहां जनता द्वारा चुने गए लोग कामकाज संभालते हैं. राजघरानों का अब जनता पर कोई कंट्रोल नहीं है, लेकिन आज भी ये घराने टाइटल वाली भूमिका में ज़िंदा हैं. इसलिए हम आगे जो राजमाता, महाराजा, महारानी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने वाले हैं वो इसलिए करेंगे क्योंकि ये उनके टाइटल हैं. अब आते हैं मुद्दे पर.
22 जुलाई की सुबह खबर आई कि पन्ना पुलिस ने महारानी जीतेश्वरी देवी को गिरफ्तार कर लिया है. और ये गिरफ्तारी राजमाता दिलहर कुमारी की शिकायत पर की गई. मामला ठीक से समझने के लिए पहले इस परिवार को जानिए. दरअसल, पन्ना राजघराना बुंदेला डायनेस्टी से आता है. अभी यहां के मौजूदा महाराजा हैं 'महेंद्र महाराजा राघवेंद्र सिंह जूदेव बहादुर'. 'इंडियन राजपूत्स डॉट कॉम' वेबसाइट के एक आर्टिकल की मानें, तो ये पन्ना के 16वें महाराजा हैं. अक्टूबर 2009 में इनका राजतिलक हुआ था. उनके पिता 'महाराजा महेंद्र मानवेंद्र सिंह जूदेव बहादुर' के निधन के बाद. महाराजा राघवेंद्र की पत्नी हैं महारानी जीतेश्वरी देवी. वहीं महाराजा मानवेंद्र की पत्नी हैं राजमाता दिलहर कुमारी. यानी दिलहर कुमारी मौजूदा महाराजा की मां हैं और महारानी की सास हैं.
पुलिस की गिरफ्त में जीतेश्वरी देवी. (फोटो- दीपक शर्मा)
"आज तक" से जुड़े पत्रकार दीपक शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, राजमाता ने जून के महीने में पुलिस को एक शिकायती आवेदन दिया था. जीतेश्वरी देवी पर आरोप लगाए थे कि 19 जून की रात ज़बरन घर में घुसकर उन्होंने जान से मारने की धमकी दी. शिकायत में राजमाता ने महारानी और तीन अन्य लोगों पर ये भी आरोप लगाए थे कि उन लोगों ने पिस्टल दिखाकर धमकाया था और घर के सामान को नुकसान भी पहुंचाया था. इसी शिकायत पर पन्ना पुलिस ने IPC की धारा 147 यानी उपद्रव करना, 323 यानी जानबूझकर नुकसान पहुंचाना, 294 अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करना, 506 आपराधिक धमकी देना समेत कई अन्य मामलों में केस दर्ज किया. आर्म्स एक्ट के तहत भी शिकायत दर्ज की गई. इसी पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जीतेश्वरी देवी को 22 जुलाई के दिन गिरफ्तार किया. इसके पहले एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार करके जूडिशियल कस्टडी में भेजा गया था.
जीतेश्वरी देवी इस वक्त पुरुषोत्तमपुर स्थित पन्ना जिला जेल में बंद हैं. उनकी ज़मानत के लिए कोर्ट में आवेदन लगाया गया था, लेकिन अभी तक ज़मानत नहीं मिली है. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. उम्मीद थी कि आज फैसला सुनाया जाएगा, लेकिन शो शूट होने तक कोई जानकारी सामने नहीं आई थी. जीतेश्वरी देवी का कहना है कि उनके खिलाफ साजिश रची गई है. चूंकि महाराजा राघवेंद्र इस वक्त बीमार हैं, पिछले कई दिनों से उनकी सेहत ठीक नहीं है, महारानी का कहना है कि महाराज की बीमारी का फायदा उठाया गया है. पुलिस की गाड़ी में बैठते हुए जीतेश्वरी देवी ने कहा-
इस मुद्दे पर पुलिस भी ज्यादा कुछ कहने से बचते दिख रही है. क्योंकि मामला राजघराने से जुड़ा हुआ है. पन्ना एसपी धर्मराज मीना ने जीतेश्वरी देवी की गिरफ्तारी के बाद मीडिया से बात की, जहां वो खुद आरोपी का नाम लेने से बचते दिखे. उन्होंने कहा-
कैसे शुरू हुआ विवाद?
ये मामला केवल एक शिकायत और गिरफ्तारी पर आकर खत्म नहीं होता और न ही शुरू होता है. दरअसल, पन्ना राजघराने के अंदर पिछले कई बरसों से तनातनी चल रही है. और इस तनातनी के पीछे की असली वजह है प्रॉपर्टी. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट की मानें तो इस शाही परिवार की प्रॉपर्टी केवल पन्ना में ही नहीं, बल्कि मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम, लखनऊ, भोपाल में भी है. हमें ठीक-ठाक इनकी प्रॉपर्टी के दाम तो नहीं पता, लेकिन ज़ाहिर है कई करोड़ तो इनकी कीमत होगी ही. 2005 से ही ये सारी जायदाद राजघराने के लोगों के गले का कांटा बनी हुई है. और इसी वजह से कई बार इस परिवार की लड़ाई खबरों में आई है. पन्ना के एक NGO मान्सी सेंटर से जुड़े सुदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि पूर्व महाराजा मानवेंद्र सिंह अपने आखिरी दिनों में बीमार रहने लगे थे, तभी से प्रॉपर्टी को लेकर विवाद परिवार में शुरू हो गया था. सुदीप कहते हैं-
"महाराजा मानवेंद्र सिंह के पिता महाराजा नरेंद्र सिंह कांग्रेस के नेता थे, दो बार सांसद भी रह चुके थे. मानवेंद्र सिंह के छोटे भाई लोकेंद्र सिंह भी सांसद और विधायक रहे थे. इस परिवार में एक वक्त ऐसा था कि जब सब बढ़िया था. लेकिन 2009 के कुछ साल पहले से ही प्रॉपर्टी को लेकर विवाद पनपने लगा और लोगों के सामने भी आने लगा. दुख की बात है कि एक राजघराने में ऐसा विवाद हो रहा है."
ये विवाद और बढ़ा साल 2015 में. 'TOI' की रिपोर्ट के मुताबिक, महारानी जीतेश्वरी देवी ने पूर्व महाराजा मानवेंद्र सिंह की वसीयत को पब्लिक कर दिया. जिसमें पूर्व महाराजा ने कहा था कि उनकी सारी प्रॉपर्टी उनकी मौत के बाद उनकी पोती को मिलेगी, माने जीतेश्वरी देवी की बेटी को मिलेगी. इस वसीयत में ये भी कहा गया था कि महाराजा की संपत्ति उनकी बेटी कृष्णा कुमारी को नहीं मिलेगी. इसी वसीयत को जीतेश्वरी कुमारी ने पन्ना की कोर्ट में पेश किया. तब उन्होंने कहा था-
"ये वसीयत काफी समय से है. लेकिन मैं अपने बीमार पति पन्ना के महाराज राघवेंद्र सिंह जी का ध्यान रखने में व्यस्त थी. मैंने महाराज को अपनी एक किडनी भी डोनेट की है. उन्हें भी कुछ मामलों में फंसाया जा रहा है. हमने बुरे वक्त का सामना किया है. सुप्रीम कोर्ट और पन्ना की अदालतों में जो कई पेंडिंग मामले पड़े हैं, उनसे जुड़े जो भी दस्तावेज़ मौजूद हैं, ये वसीयत भी उन दस्तावेज़ों का हिस्सा है. आज मैंने केवल वसीयत को पब्लिक किया है."
इस वसीयत को दिलहर कुमारी ने तब खारिज किया था, फेक डॉक्यूमेंट करार दिया था. कहा था कि इसे उनके बेटे राघवेंद्र सिंह और बहू ने मिलकर तैयार किया है, ताकि उनकी बेटी कृष्णा कुमारी को प्रॉपर्टी में हिस्सा न मिल सके. ये पहली बार नहीं है जब पन्ना राजघराने के लोगों के ऊपर परिवार के लोगों ने ही केस दर्ज कराया हो. TOI की ही एक रिपोर्ट बताती है कि 2005 में मौजूदा महाराज राघवेंद्र सिंह, के खिलाफ उनके पिता, यानी उस वक्त के महाराजा मानवेंद्र सिंह ने केस दर्ज कराया था, आरोप लगाया था कि राजकुमार ने शाही परिवार की कुछ प्राचीन वस्तुओं को चुराया है, जिनकी कीमत लाखों में थी.
पन्ना राजघराने की राजमाता दिलहर कुमारी. (फोटो- दीपक शर्मा)
इन सबके अलावा एक और मामला है, जो झगड़े की संभावित वजह कहला रहा है. वो है 'केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट'. इस प्रोजेक्ट के तहत केन और बेतवा नदियों को इंटरलिंक किया जाएगा, केन नदी का पानी बेतवा नदी में ट्रांसफर किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट का मकसद है कि बुंदेलखंड में पानी की किल्लत झेल रहे इलाकों की दिक्कतें दूर हो जाएं. मध्य प्रदेश और यूपी के कुछ ज़िले इस प्रोजेक्ट से फायदा पा सकते हैं. लेकिन इस प्रोजेक्ट का विरोध भी हो रहा है, क्योंकि इसमें पन्ना टाइगर रिज़र्व का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल होगा. 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, जीतेश्वरी देवी के वकील बृजभान यादव का कहना है कि हाल में महारानी की जो गिरफ्तारी हुई है, वो 'केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट' के उनके विरोध को कमज़ोर करने के मकसद से हुई है. और ये गिरफ्तारी पॉलिटिकली मोटिवेटेड है. दरअसल, जीतेश्वरी देवी इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही हैं. एक लोकल एक्टिविस्ट नदीम खान का कहना है कि महारानी प्रोजेक्ट के विरोध में हैं और राजमाता सपोर्ट में हैं.
यानी राजघराने में लड़ाई के तीन कारण हमें समझ आए. पहला प्रॉपर्टी विवाद, दूसरा वसीयत विवाद, जिसमें कहा गया है कि पूर्व महाराजा की बेटी को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा, तीसरा 'केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट'. लेकिन बड़े कारण तो प्रॉपर्टी और वसीयत विवाद ही हैं. इन विवादों ने साल 2017 में भी जमकर हेडलाइन्स बटोरी थीं. इस साल ये खबर सामने आई थी कि महारानी जीतेश्वरी ने राजमहल के गेट पर ताला लगवा दिया था, जिससे राजमाता दिलहर कुमारी करीब तीन घंटे तक अंदर नहीं जा पाई थीं.
थोड़ा इतिहास भी जानिए
अब थोड़ा इस राजघराने का इतिहास भी जान लेते हैं. 'इंडियन राजपूत्स डॉट कॉम' वेबसाइट के मुताबिक, पन्ना राज्य की स्थापना 1450 से मानी जाती है, और मॉडर्न स्टेट ऑफ पन्ना की स्थापना साल 1731 से. महाराजा छत्रसाल जो बुंदेला क्षेत्र के बड़े महाराज माने जाते हैं, उन्होंने पन्ना को अपनी राजधानी बनाया था. 1731 में उनकी मौत के बाद उनका किंगडम तीन हिस्सों में डिवाइड हुआ था. जिस हिस्से में पन्ना आया था, उसके राजा बने छत्रसाल के बेटे हारदे साह. और उसके बाद से उनका परिवार और उनके वंशज इसमें राज करते आ रहे हैं. 19वीं सदी में ये ब्रिटिश इंडिया के दौर में प्रिंसली स्टेट बना. आज़ादी के बाद ये प्रिंसली स्टेट 1950 में पन्ना ज़िला बन गया. उसके बाद से इसके महाराजा बनने वाले लोगों ने सीधे तौर पर शासन तो नहीं किया, लेकिन टाइटल वाली भूमिका में आज भी हैं. अब बात करते हैं मौजूदा महाराजा राघवेंद्र की. उनकी शादी हुई 1998 में. जयपुर स्टेट के ठिकाना शिवाद के राजावत ठाकुर दरबार शिवप्रकाश सिंह की बेटी जीतेश्वरी से. 2009 में जीतेश्वरी महारानी बनीं. इस वक्य ये शाही परिवार पन्ना के राज मंदिर पैलेस में रहता है. साथ ही प्रॉपर्टी के मसले पर हमेशा खबरें बनाता है.