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'हर हर शंभो' गाने वाली फरमानी नाज़ पर फतवा जारी नहीं हुआ, ये है असली कहानी

फतवे और बयान का फ़र्क़ समझ लीजिए.

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ख़बर उड़ी थी कि फ़रमानी नाज़ पर फ़तवा जारी हुआ (फोटो - ANI/YouTube)

फरमानी नाज़. गायिका हैं. 'Farmani Naz Singer' नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं, जहां अपने गाने रिलीज़ करती रहती हैं. फरमानी ने हाल में एक गाना रिलीज़ किया, 'हर हर शंभो'. सावन के महीने में इंस्टाग्राम रील्स और कावड़ियों के बीच तो ये गाना ख़ूब वायरल हुआ, लेकिन देवबंद के कुछ मौलानाओं ने इस पर आपत्ति जताई. एक मुस्लिम महिला का हिंदुओं के भगवान पर गाना बनाने की आलोचना की है. इसमें कैच ये है कि ख़बर ये उड़ी कि फरमानी के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी हुआ. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. केवल एक बयान जारी किया गया था.

दरअसल, फ़तवे के साथ एक भ्रांति है. लोगों को लगता है कि फ़तवा किसी क़िस्म का आदेश या फ़रमान है. इस सोच को बढ़ावा देने में बड़ा हाथ मीडिया का है. फ़तवा असल में देवबंद का दारुल इफ़्ता ही जारी कर सकता है. दारुल इफ़्ता एक गवर्निंग बॉडी है, जिसका काम ही होता है फतवा जारी करना. फ़तवा मतलब होता है सलाह. और, ऐसा नहीं है कि सुबह उठे, सलाह बांचने लगे. फ़तवा किसी सवाल के जवाब पर जारी किया जाता है. मसलन, पूछा जाएगा कि क्या फ़लां आदमी का काम इस्लाम के मुताबिक़ है? तब फ़तवा जारी होगा कि, नहीं, फ़लां का काम इस्लाम के मुताबिक़ नहीं है. इसका बाक़ायदा एक प्रोसेस है. लिखित में दिया जाता है. दारुल इफ़्ता की मोहर के साथ.  

जैसे इस मामले में मुफ़्ती असद क़ासमी ने केवल एक बयान दिया. कहा,

"देखिए, इस्लाम में शरीयत के अंदर किसी भी तरह के गाना गाना जायज़ नहीं है. मुसलमान होते हुए अगर कोई गाना गाता है, तो ये गुनाह है. किसी भी तरीक़े के गाने हों, उनसे परहेज़ करना चाहिए. बचना चाहिए. फरमानी नाम की महिला ने गाना गाया है. यह शरीयत के ख़िलाफ़ है. मुसलमान होने के बावजूद ऐसे गाने गाना गुनाह है. उनको इससे तौबा करनी चाहिए."

अब मुफ़्ती असद क़ासमी कौन हैं? इस्लाम में मुफ़्ती एक पद है. मुफ़्ती एक इस्लामी लीगल अधिकारी हैं, जो इस्लामी क़ानून के तहत किसी मुद्दे की समीक्षा करते हैं और अपनी राय रखते हैं. वैसे ही मुफ़्ती असद क़ासमी ने बयान जारी किया. असद क़ासमी देवबंद से तो जुड़े हुए हैं, लेकिन वो दारुल इफ़्ता के सदस्य नहीं हैं. मतलब वो फ़तवा जारी कर ही नहीं सकते. इसीलिए उन्होंने केवल नसीहत दी है कि इस्लाम में किसी भी तरह के संगीत से परहेज़ है और इसलिए फरमानी को इससे तौबा करनी चाहिए.

इस मामले में फरमानी ने कहा कि वो एक कलाकार हैं और कलाकारों का कोई धर्म नहीं होता. उन्हें हर तरह के गाने गाने पड़ते हैं. वो कव्वाली भी गाती हैं और भजन भी. बता दें कि फरमानी नाज़ तलाकशुदा हैं. शादी के एक साल बाद उनका बेटा पैदा हुआ था, उसके गले में कुछ तकलीफ थी. इसे लेकर ससुराल वाले और पति फरमानी को प्रताड़ित करने लगे थे. फरमानी अपने मायके आ गईं. यहां गांव के एक शख्स ने उन्हें गाना गाते सुना और उसका वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड कर दिया. इसके बाद ही फरमानी नाज़ ने गाने बनाना शुरू किया और यूट्यूब पर फेमस हुईं. फरमानी ने बताया था कि यूट्यूब उनकी कमाई का मुख्य साधन है.

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