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आज़ाद भारत की पहली लोकसभा की इन महिलाओं के बारे में जानते हैं आप?

अमृत महोत्सव पर जानिए देश की पहली संसद की महिलाओं के बारे में.

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राजकुमारी अमृतकौर, अम्मू स्वामीनाथन, सुचेता कृपलानी (फोटो - PIB/Wiki/Gandhi Org)

देश के पहले लोकसभा चुनाव हुए 1952 में. इस कैबिनेट में 24 महिलाएं शामिल थीं. 2019 में हुए 17वें लोकसभा चुनाव में 78 महिला सांसद चुनी गईं. और, ये आज तक का सबसे बड़ा नंबर है. आज हम आज़ादी के 75 सालों का जश्न मना रहे हैं. अमृत महोत्सव. लेकिन लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी की शुरुआत कहां से हुई थी? पहली लोकसभा में वो महिलाएं कौन थीं, जिन्होंने देश की लोकतांत्रिक यात्रा में अहम भूमिका निभाई? आइए जानते हैं उन महिलाओं के बारे में, जो देश की सबसे पहली संसद का हिस्सा थीं.

(भाग-1)

राजकुमारी अमृत कौर

जन्म हुआ था 2 फरवरी 1889 को. लखनऊ में. राजकुमारी पंजाब के कपूरथला राजसी परिवार से थीं. पिता का नाम था राजा हरनाम सिंह. राजकुमारी ने इंग्लैंड के डोरसेट से स्कूली पढ़ाई पूरी की. उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफ़ोर्ड चली गईं. वापस आईं, तो देश का माहौल देखा. गुरबत देखी, गुलामी देखी, आंदोलन देखे. उस वक़्त राजा हरनाम सिंह से मिलने बड़े-बड़े लीडरान आते रहते थे. जैसे, गोपालकृष्ण गोखले हरनाम सिंह के क़रीबियों में गिने जाते थे. फिर आया 1919 का साल. जलियांवाला बाग़ हत्याकांड. जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के बाद राजकुमारी अमृत कौर ने ठान लिया कि वो ऐक्टिव पॉलिटिक्स में आकर रहेंगी. कांग्रेस के साथ जुड़ गईं. दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया. प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की वजह से जेल भी गईं.

राजकुमारी अमृत कौर (फोटो - PIB)

देश आज़ाद हुआ तो इन्होंने मंडी की सीट से चुनाव लड़ा, जो हिमाचल प्रदेश में पड़ती है. कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत भी गईं. पहली कैबिनेट में हेल्थ मिनिस्टर बनीं. दस साल तक ये ज़िम्मेदारी निभाई. दिल्ली के एम्स (AIIMS) को शुरू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहीं और वो इसकी पहली प्रेसिडेंट भी बनीं. इसके अलावा वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली की भी प्रेसिडेंट बनीं. वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली WHO की गवर्निंग बॉडी है. 1950 तक उस संस्था में कोई महिला प्रेसिडेंट नहीं बनी थी. राजकुमारी अमृत कौर का निधन 6 फरवरी, 1964 को हुआ था.

अनसूयाबाई भाऊराव बोरकर

अनसूयाबाई का जन्म मध्य प्रदेश में 1929 में हुआ, जो उस समय सेन्ट्रल प्रोविंस था. रायपुर के सलेम गर्ल्स हिंदी इंग्लिश मिडल स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की.1947 में उनकी शादी भाऊराव बोरकर से हुई. तीन बेटियां हुईं. शादी के बाद अनसूयाबाई सोशल वर्क में लग गई थीं. वयस्क महिलाओं के लिए नागपुर में एजुकेशन प्रोग्राम्स चलाती थीं. कांग्रेस पार्टी की नागपुर डिस्ट्रिक्ट कमिटी की भी मेंबर थीं. किस्से-कहानियां, ख़ास तौर पर नॉवेल पढ़ने की शौक़ीन थीं. बुनाई का भी बहुत शौक था.

1952 के चुनाव में अनसूयाबाई के पति भाऊराव भंडारा सीट से सांसद बने थे. ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. 1955 में उनकी मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए. इस इलेक्शन में कांग्रेस के टिकट पर अनसूयाबाई ने चुनाव लड़ा. 84,458 वोट मिले. इनके सामने खड़े होने वाले कैंडिडेट को लगभग 58,000 वोट मिले. इस तरह पहली लोकसभा में श्रीमती अनसूयाबाई भाऊराव बोरकर पहुंचीं. अपनी सांसदी के दौरान भी उन्होंने अपने सोशल वर्क के काम को जारी रखा. सन 2000 में श्रीमती अनसूयाबाई भाऊराव बोरकर का निधन हो गया.

अम्मू स्वामीनाथन

जन्म हुआ था केरल के पालघाट ज़िले में. 22 अप्रैल 1894 को. परिवार में नौ बहनें और थीं. अम्मू बहनों में सबसे छोटी बच्ची थीं. कम उम्र में पिता गुज़र गए, तो उनकी पढ़ाई-लिखाई पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया. जब वो 13 साल की हुईं, तो मां ने उनका रिश्ता डॉक्टर सुब्बाराम स्वामीनाथन से तय कर दिया. वो उम्र में अम्मू से 20 साल बड़े थे. और,  कुछ जगहों पर इस बात का ज़िक्र मिलता है कि अपनी जाति की वजह से अम्मू को शादीशुदा जिंदगी में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़. वो एक पिछड़ी जाति से थीं और उनके पति ब्राह्मण थे. इस वजह से उन्हें उनके पति के पैतृक घर में भी जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता था. लेकिन स्वामीनाथन जातिवाद के ख़िलाफ़ थे. उन्होंने अम्मू को सपोर्ट किया. उनके लिए ट्यूशन लगवाई. उन्हें अंग्रेज़ी सिखाई. एक समय ऐसा भी आया कि अम्मू उनसे भी दो क़दम आगे निकल गईं और लोगों के बीच फर्राटेदार बातचीत करने लगीं.

अम्मू स्वामीनाथन (फोटो - आर्काइव)

इसके बाद साल 1917 में मद्रास में एनी बेसेंट, मार्गरेट, मालथी पटवर्धन, श्रीमती दादाभाय और श्रीमती अम्बुजमल के साथ मिलकर अम्मू स्वामीनाथन महिला भारत संघ का गठन किया. अम्मू स्वामीनाथन ने भीमराव आंबेडकर के साथ मिलकर संविधान का ड्राफ़्ट तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई थी. कुछ ही समय में उन्हें तमिल नाडु का एक तेज़ तर्रार नेता माना जाने लगा. अम्मू साल 1952 में लोकसभा और साल 1954 में राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं. कांग्रेस के टिकट पर मद्रास के डिंडीगुल से जीती थीं. सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष भी रहीं.

अम्मू की बेटी लक्ष्मी स्वामीनाथन ने डॉक्टर प्रेम सहगल से शादी की और बाद में यही कैप्टन लक्ष्मी सहगल कहलाईं, जिन्हें आज़ाद हिन्द फ़ौज में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है.

कुमारी एनी मैस्करेन

एनी मैस्केरेन का जन्म 6 जून 1902 को केरल के त्रावणकोर में हुआ था. हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स में उन्होंने डबल मास्टर्स किया. इसके बाद वो श्रीलंका में लेक्चरर के तौर पर पढ़ाने चली गईं. वहां से वापस आईं, तो कानून की डिग्री ली. लेकिन फिर राजनीति की तरफ उनका रुझान बढ़ने लगा. त्रावणकोर स्टेट कांग्रेस की वर्किंग कमिटी का हिस्सा बनने वाली वो पहली महिला थीं. 1939 से लेकर 1947 तक उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा.

एनी मैस्केरेन (फोटो - विकी)

उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. केरल की पहली महिला सांसद बनने के भी पहले वो त्रावणकोर कोचीन विधानसभा की सदस्य रह चुकी थीं. कई जगह पढ़ने को मिलता है कि गांधी ने एनी को उनके भाषण और बोलने के तरीके के लिए लताड़ा था. 1951 में शुरू हुए लोकसभा चुनावों में वो जीती थीं. उनका निधन 19 जुलाई 1963 को हुआ था. एनी मैस्केरेन के नाम पर चौक है तिरुवनंतपुरम में. वहीं उनकी एक कांसे की मूर्ति लगवाई गई है उनकी याद में. इसका अनावरण पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया था.

मरगथम चन्द्रशेखर 

जन्म 11 नवम्बर 1917 को हुआ था. चेन्नई में. भारत से उन्होंने अपनी B. Sc पूरी की. उसके बाद डिप्लोमा के लिए लंदन चली गईं. आर चन्द्रशेखर से इन्होंने शादी की. कांग्रेस जॉइन की और पहले लोकसभा चुनावों में तिरुवल्लुर सीट से जीत कर संसद पहुंचीं. 1951 से 1957 तक ये केंद्रीय डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर रहीं. 1970 से 1984 तक राज्यसभा सदस्य भी रहीं. 1972 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी की जनरल सेक्रेटरी चुनी गईं. साल 2001 में उनका निधन हो गया.

मरगथम चन्द्रशेखर (फोटो - विकी)

इनका नाम राजीव गांधी की हत्या के समय हाईलाइट हुआ था. जब राजीव गांधी 1991 में श्रीपेरुम्बुदुर आए थे, तब मरगथम ने ही उन्हें होस्ट किया था. पढ़ने को मिलता है कि राजीव इन्हें प्यार से आंटी कहा करते थे. जिस रैली में राजीव गांधी की हत्या हुई, उस रैली में वो भी मौजूद थीं.

लता प्रियाकुमार इनकी बेटी हुईं, जो आगे चलकर तमिलनाडु विधानसभा की सदस्य बनीं. इनका एक बेटा भी था.

सुचेता कृपलानी

सुचेता मजूमदार बंगाली परिवार में जन्मी थीं. साल था 1908. आज़ादी की लड़ाई में भाग लेना चाहती थीं, लेकिन 1929 में उनके पिता और बहन, दोनों गुज़र गए. परिवार की ज़िम्मेदारी उन पर आ पड़ी. सुचेता बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में पढ़ाने चली गईं. वहीं BHU में उनकी मुलाक़ात आचार्य जे बी कृपलानी से हुई. फिर दोनों ने शादी कर ली.

देश की पहली महिला मुख्यमंत्री (फोटो - Facebook/Indian History)

सुचेता ने भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिया. ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की स्थापना की. 1947 में जब जवाहरलाल नेहरू ने मशहूर ट्रिस्ट विद डेस्टिनी स्पीच दी थी, तब उनके पहले सुचेता ने वंदे मातरम गाया था. वो उन 15 महिलाओं में से एक थीं जिन्हें संविधान लिखने के लिए चुना गया था. माने संविधान सभा की सदस्य भी रहीं. 1963 में देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने एक बहुत बड़ी हड़ताल को संभाली थी. 62 दिन तक चली इस हड़ताल के सामने उन्होंने झुकने से इनकार कर दिया था. सुचेता के बाद मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने वाली दूसरी महिला हुईं.

(ये स्टोरी हमारी साथी प्रेरणा ने लिखी है)

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