वो ज़माने गए जब घुटने में दर्द और अकड़न सिर्फ़ बुढ़ापे में होने वाली प्रॉब्लम मानी जाती थी. आजकल तो 25-30 साल के लोग भी घुटनों में दर्द की शिकायत कर रहे हैं. कोई पालती मारकर ज़मीन पर नहीं बैठ पाता तो किसी को ज़मीन से उठने के लिए सहारे की ज़रुरत पड़ती है. ज़्यादा चल लो या भाग लो तो घुटनों में दर्द शुरू. यही नहीं, सुबह सोकर उठने के बाद घुटने में अकड़न महसूस होती है. आखिर कम उम्र में जवान और स्वस्थ लोगों में घुटनों में दर्द और अकड़न क्यों शुरू हो गई है? इस सवाल का जवाब डॉक्टर्स से जानते हैं. साथ ही जानते हैं इससे बचने का तरीका और इलाज.
कम उम्र में दर्द होने लगे हैं घुटने, कहीं आपको ये बीमारी तो नहीं है?
डॉक्टर से इलाज के तरीके भी जान लीजिए.

ये हमें बताया डॉक्टर राहुल मोदी ने.

कम उम्र में घुटनों में दर्द होने के तीन मुख्य कारण हो सकते हैं. पहला, संधिवात या रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis). दूसरा, घुटने की गद्दी को रगड़ लगना या ACL या मिनिसक्स टियर (ACL Meniscus Tear). तीसरा, कोंड्रोमलेसिया पटेला (Patellar Chondromalacia) यानी रनर्स नी (Runners Knee). इसमें घुटने की ऊपरी हड्डी के नीचे मौजूद कार्टिलेज सॉफ्ट हो जाती है (घिस जाती है).
संधिवात या रूमेटाइड अर्थराइटिस में न सिर्फ घुटनों में बल्कि शरीर के बाकी जोड़ों में भी दर्द होता है. सबसे पहले छोटे जोड़ों में दर्द शुरू होता है. जैसे हाथ-पैर की उंगलियों के जोड़. सुबह उठने के बाद ज्यादा दर्द होता है और समय बीतने के साथ-साथ ये दर्द कम हो जाता है. इसके लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं, जिनसे पता चलता है कि आपको संधिवात है या नहीं. दवाई से संधिवात को कंट्रोल किया जा सकता है.
मिनिसक्स टियरमिनिसक्स टियर आमतौर पर स्पोर्ट्स इंजरी होती है. ये चोट लगने के बाद होती है. मिनिसक्स टियर होने के मुख्य कारण हैं घुटने का मुड़ जाना. जिस वजह से घुटने के अंदर मौजूद मांस की गद्दी पर जोर पड़ता है. ACL या मिनिसक्स टियर का पता लगाने के लिए MRI करना पड़ता है. MRI जांच से इलाज में आगे भी मदद मिलती है.

घुटनों का ज्यादा इस्तेमाल होने से 'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' यानी 'रनर्स नी' की दिक्कत होती है. थायरॉइड या डायबिटीज से भी 'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' हो सकता है. कई बार घुटने की ऊपरी हड्डी घिस जाने के कारण भी ये समस्या हो सकती है. 'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' का आम लक्षण है काफी देर तक बैठने के बाद उठने पर घुटनों में दर्द होना. ये थोड़ा चलने पर कम हो जाता है. मैराथन में दौड़ने वालों या ज्यादा रनिंग करने वाले लोगों में 'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' होने की आशंका ज्यादा होती है. थायरॉइड मरीजों में भी ये समस्या हो सकती है.
'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' के इलाज में ऑफ लोडिंग, फिजियोथेरेपी, ब्रेसिंग और कभी-कभी कुछ खास इन्जेक्शनों का भी इस्तेमाल होता है. इन इन्जेक्शनों को PRP कहा जाता है. इसमें मरीज के खून के सैंपल को 'सेन्ट्रीफ्यूज' कर उसके 'ग्रोथ फैक्टर्स' को इन्जेक्शन के जरिए घुटने में डाला जाता है. इससे सॉफ्ट हो चुके कार्टिलेज को फिर से बढ़ने में मदद मिलती है.
डॉक्टर को कब दिखाएं?-अगर आपके घुटनों में 10 दिन से ज्यादा लगातार दर्द हो रहा है
-घुटनों के ज्यादा इस्तेमाल से ये दर्द कम नहीं हो रहा है तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी है
-अगर आपकी उम्र 45 से कम है और लगातार घुटनों में दर्द हो रहा है
-'स्क्वाट्स' करने में, पालती मारकर बैठने में, दौड़ने में या लंबी दूरी तक चलने से सुबह उठने के बाद घुटनों में या जोड़ो में लगातार दर्द होता है
-तो आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए
-अगर घुटने में कोई चोट लगने से सूजन आ गई है और ये सूजन उतर नहीं रही है
-या सूजन काफी ज्यादा है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं

अगर हम बीमारी की बात करें तो रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचने के लिए कुछ किया तो नहीं जा सकता. लेकिन रूमेटाइड अर्थराइटिस का पता जितनी जल्दी चल जाएगा, घुटने को जल्दी बचाने की उतनी ज्यादा संभावनाएं होंगी. यानी अगर आपके परिवार में माता या पिता किसी को भी रूमेटाइड अर्थराइटिस है, तो आपको भी इसके होने का खतरा बढ़ जाता है. इसकी जांच जल्दी ही करानी चाहिए.
खिलाड़ियों के घुटनों में अगर चोट है तो उन्हें इलाज के बाद ही आगे खेलना चाहिए. इससे ACL या मिनिसक्स टियर से बचा जा सकता है. अगर घुटने में चोट लग जाती है तो ऑर्थोस्कोपिक तकनीक के जरिए घुटने को अर्थराइटिस से बचा सकते हैं. उसे ठीक कर सकते हैं. 'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' या 'रनर्स नी' से बचने के लिए घुटने के 'पेटेलोफेमोरल' जॉइन्ट पर ध्यान देना जरूरी है. क्योंकि इसमें चोट अलग होती है, इसे समझना जरूरी है और इसके लिए एक्सरसाइज और फिजियोथेरेपी अलग होती हैं. आमतौर पर ट्रेनिंग में होनी वाली गलतियों के कारण 'पटेलर कोंड्रोमलेशिया' की समस्या होती है. मैराथन दौड़ने वालों को इन गलतियों से बचना है. दौड़ने के दौरान सही जूते पहनना और ब्रेसिस का इस्तेमाल करने से इस समस्या से बचा जा सकता है.
उम्मीद है ये जानकारी उन सभी लोगों के बहुत काम आएगी जो 30-40 साल की उम्र में घुटनों के दर्द से परेशान हैं.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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